₹2000 के नोट पर RBI की घोषणा पर सुप्रिया श्रीनेत ने गिनाए पहली नोटबंदी के भयावह दुष्परिणाम

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने ₹2000 के नोट वापस लिए जाने की घोषणा पर टिप्पणी में नवंबर 2016 की नोटबंदी के भयावह दुष्परिणामों को दोहराया है। साथ ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की उस भविष्यवाणी की भी चर्चा हो रही है जो उन्होंने नोटबंदी के बाद की थी।

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने 2000 का नोट बंद होने पर पहली नोटबंदी के दुष्परिणामों को सामने रखा है
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने 2000 का नोट बंद होने पर पहली नोटबंदी के दुष्परिणामों को सामने रखा है
user

नवजीवन डेस्क

2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, तो देश में हाहाकार मच गया था। इस विषय पर जब चंद दिनों बाद राज्यसभा में चर्चा हुई तो पूर्व प्रधानमंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह ने साफ कहा था कि यह सुनियोजित लूट और ऐतिहासिक भूल है। इसके दुष्परिणाम होंगे। इससे देश की अर्थव्यवस्था को कम से कम 2 फीसदी का नुकसान होगा। सुनिए 24 नवंबर 2016 को डॉ मनमोहन सिंह ने क्या कहा था। इसके बाद बताएंगे कि आखिर करीब 7 साल बाद इस बयान को क्यों याद किया जा रहा है।

डॉ सिंह की घोषणा सच साबित हुई थी, और देश की अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई थी। अब एक बार फिर उसी तरह का कदम उठाया गया है। इस बार सारी की सारी नकदी तो निशाने पर नहीं है, लेकिन 2000 रुपए का नोट बंद करने का ऐलान कर दिया गया है। इसी पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सिलसिलेवार इसके दुष्परिणामों और पूर्व में हुई नोटबंदी के भयावह प्रभावों को सामने रखा है।


सुप्रिया श्रीनेत ने एक वीडियो शेयर कर कहा है कि, "₹2000 के नोट हो रहे हैं बंद। अगर आपके पास है तो 30 सितंबर तक जमा कर सकते हैं लेकिन एक बार में सिर्फ़ 20,000 रुपये ही बदले जाएंगे।"

उन्होंने आगे नोटबंदी की खौफनाक यादों का जिक्र किया है:

नोटबंदी की खौफनाक यादें

  • 99 फीसदी प्रतिबंधित पैसा बैंकों में वापस

  • आरबीआई को मात्र ₹16,000 करोड़ मिले

  • नए नोटों की छपाई की कीमत ₹21,000 करोड़

  • एटीएम का साइज बदलने का खर्च अलग से

नोटबंदी के दुष्प्रभाव

  • जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 फीसदी से गिरकर 4.1 फीसदी पर आधी

  • 35 लाख नौकरियां तुरंत ख़त्म

  • करोड़ों कारखाने और लघु मध्यम उद्योग बंद

नोटबंदी के दावे और और नतीजे

  • सारे दावे फेल

  • काले धन पर प्रहार नाकाम

  • आतंकी फंडिंग का दावा गलत साबित

  • कैश कम करने का दावा भी खोखला

  • नक़ली नोटों का चलन जारी

  • अर्थव्यवस्था में नवंबर 2016 में  ₹17,74,000 करोड़ कैश था जो अब दोगुने से ज्यादा होकर ₹37,00,000 करोड़ पर है

सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया को भी आगाह किया है कि वे कृपया करके इस बार 2000 के नोटों में चिप न ढूँढें और न ही इसे मास्टरस्ट्रोक कहें।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia