बजट 2018: पहले शहरी मध्यवर्ग को दिखाए सपने, अब किसानों को ठगने की तैयारी

शहरी मध्य वर्ग के समर्थन से सत्ता के शिखर पर पहुंची मोदी सरकार को अपने शासन के आखिरी साल में गांवों की याद आई है, जब नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी के चलते लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आ गया है।

फोटो: IANS 
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नवजीवन डेस्क

सरकार में शामिल लोगों को खुद ही गरीबी की ‘केस स्टडी’ बताते हुए मोदी सरकार ने शहरों से पलायन कर गांवों का रुख किया है। शहरी मध्य वर्ग के समर्थन से सत्ता के शिखर पर पहुंची मोदी सरकार को अपने शासन के आखिरी साल में गांवों की याद आई है, वह भी तब, जब नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी के चलते लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आने लगा है। गुरुवार को संसद में पेश बजट में सरकार अपने बचाव के लिए गांवों में पनाह लेती नजर आई।

इस बजट को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, लेकिन लब्बोलुबाब यह है कि इस बजट के अगले लोकसभा चुनावों का घोषणा पत्र माना जा सकता है। गांव और किसान, इस बजट का पूरा फोकस इसी पर रहा। 10 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य बीमा और ज्यादातर फसलों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना करने का ऐलान कर किसानों को रिझाने की कोशिश की गई।

देश में किसानों के असंतोष और कृषि क्षेत्र की बुरी हालत के मद्देनजर सरकार ने किसानों और इस क्षेत्र के लिए कई बड़े फैसलों का ऐलान किया। सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को दोहराया, तो मछली पालन और पशुपालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सरकार ने मानो खजाने के दरवाजे खोल दिए। किसानों की आमदनी दोगुनी करने के वादे के साथ ही, उन्हें कम लागत में ज्यादा पैदावार की भी बात की। सरकार ने सभी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना दिलवाने का वादा किया है। इसके लिए 2000 करोड़ से एक कृषि बाजार तैयार करने की बात है। लेकिन इसमें रबी की फसलों का जिक्र नहीं है। इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग के लिए 1400 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव है।

सरकार ने सीधे सीधे कर्ज माफी का ऐलान तो नहीं किया लेकिन किसानों के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। साथ ही 42 मेगा फूड पार्क बनाने, पशु पालने वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड देने जैसी घोषणाएं की हैं।

इसके अलावा गांवों को सड़कों से जोड़ने की भी नई घोषणाएं हैं। सरकार ने घोषणा की कि जिस तरह उद्योग जगत में क्लस्टर बेस डेवलपमेंट का मॉडल है, वैसे ही जिलों में भी क्लस्टर मॉडल पर हार्टीकल्चर को डेवलप किए जाने की जरूरत है। गांवों पर ही फोकस करते हुए स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 करोड़ और शौचालय बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

इस बजट में गांवों और निम्न वर्ग पर फोकस बरकरार रखते हुए सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना का ऐलान किया। सरकार ने नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की शुरुआत करने का ऐलान किया, जिसमें 10 करोड़ गरीब और जरूरतमंद परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है। साथ ही हर परिवार को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने का ऐलान किया गया। मोटे तौर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी योजना लगती है।

निम्न वर्ग की महिलाओं को रिझाने की कोशिश के तहत उज्जवला योजना का लक्ष्य 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया। यूं भी सरकार पिछले काफी दिनों से महिला सशक्तिकरण की बातें महिलाओं को रिझाने की कोशिशों में लगी हुई है।

लेकिन मध्य वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को इस बजट से निराशा हाथ लगी है। सरकार ने निजी आयकर में किसी भी किस्म की नई छूट या बदलाव करने से साफ इंकार कर दिया। वहीं 40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन की घोषणा की, लेकिन इसमें मेडिकल और कंवेयंस अलाउंस यानी चिकित्सा और यात्रा भत्ते का समावेश कर दिया। यानी अभी तक आपको जो 15,000 रुपये सालाना चिकित्सा भत्ता और करीब 10 हजार रुपए सालाना यात्रा भत्ते पर जो टैक्स छूट मिलती थी, वह अब नहीं मिलेगी, इसके बदले आपको 40 हजार रुपये साल का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। यानी आपकी कर योग्य आमदनी में पहले करीब 25000 रुपये जुड़ेंगे, फिर इसमें से 40 हजार रुपए घटा कर टैक्स जोड़ा जाएगा।

वहीं बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की सीमा में थोड़ा बदलाव कर इसे 10 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज को करमुक्त कर दिया गया है।

शेयर बाजारों की तेजी में आनन-फानन में पैसे बनाने वालों को भी झटका लगा है। सरकार ने लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू कर दिया है। इसका मतलब है कि शेयर बाजारों में ज्यादा कमाई करने वालों को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा। पहले शेयर बाजार की लॉन्ग टर्म कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था।

शहरी मध्य वर्ग को एक और झटका लगा है। सरकार ने मोबाइल फोन महंगे कर दिए हैं। इन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ी है, वहीं पेट्रोल डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन लिया है। सरकार ने अभी तक पेट्रोल डीजल पर लगने वाली बुनियादी एक्साइज ड्यूटी में बदलाव करते हुए इसे 2 रुपये प्रति लीटर घटा दिया और 6 रुपये प्रति लीटर लगने वाली अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी को खत्म कर दिया। इससे पहले कि आप इस घोषणा से खुश हों, पूरी बात सुनलें। सरकार ने 8 रुपये प्रति लीटर की जो राहत दी, उसके बदले 8 रुपये प्रति लीटर का रोड सेस लगा दिया। यानी आपको कोई राहत नहीं।

सरकार ने गांवों पर फोकस बरकरार रखते हुए शिक्षा के बहाने आदिवासी इलाकों को साधने की कोशिश की है। प्रस्ताव किया गया है कि 2022 तक आदिवासी इलाकों में एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल बनेंगे। यह सर्वोदय विद्यालय की तर्ज पर होंगे।

इस बजट में वित्त मंत्री ने रेलवे से जुड़ी बातों को महज ढाई मिनट में निपटा दिया। उन्होंने घोषणा की कि सभी ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। रेलवे से जुड़ी घोषणाओं में कुछ शहरों को प्राथमिकता दी गई। मसलन मुंबई के रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए 11 हजार करोड़ और बैंगलोर सिटी के लिए 17 हजार करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव पेश किया गया। साथ ही कहा गया कि रेलवे के पास बेकार पड़ी भूमि का लाभ उठाने के लिए दूसरी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा।

एविएशन सेक्टर की बात करते हुए वित्त मंत्री ने पीएम मोदी के जुमले को दोहराते हुए कहा कि, “हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई यात्रा कर सकते हैं।” उन्होंने ऐलान किया कि फिलहाल 120 हवाई अड्डे हैं, इनकी संख्या 5 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है।

शहरी मध्य वर्ग के लिए यूं तो इस बजट में कुछ नहीं था, लेकिन दिल्ली- एनसीआर में प्रदूषण की समस्या का हवाला दिया गया।

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