यूपी: कासगंज में पुलिस हिरासत में युवक की मौत, पुलिस के दावे पर उठे सवाल, पिता बोले- मेरे बेटे की हत्या की गई

उत्तर प्रदेश के कासगंज में अल्ताफ़ अहमद की हिरासत में मौत का मामला उलझता जा रहै है। 21 साल के अल्ताफ़ अहमद के पिता ने पुलिस पर सीधे उनके बेटे को मारने का आरोप लगाया है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश के कासगंज में अल्ताफ़ अहमद की हिरासत में मौत का मामला उलझता जा रहै है। 21 साल के अल्ताफ़ अहमद के पिता ने पुलिस पर सीधे उनके बेटे को मारने का आरोप लगाया है। अल्ताफ़ के पिता चाहत मियां ने कहा है कि वो खुद अपने बेटे अल्ताफ़ को पुलिस चौकी में छोड़कर आए थे। तब पुलिस ने भरोसा दिया था कि वो पूछताछ करके छोड़ देंगे मगर अब उसकी हत्या कर दी है। इस मामले में 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। कासगंज एसपी का कहना है कि अल्ताफ़ ने पुलिस लॉकअप के टॉयलेट में फांसी लगाकर जान दी है। अल्ताफ़ के परिजन पुलिस के दावे को नकार रहे हैं।

हिरासत में हुई इस मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। उत्तर प्रदेश पुलिस पर विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार एक समुदाय के उत्पीड़न का आरोप लगाते रहे हैं। हिरासत में मौत उत्तर प्रदेश में एक गंभीर मुद्दा है। मृतक युवक अल्ताफ़ नंगला सैय्यद का रहना वाला था और टाइल लगाने का काम करता था। पुलिस ने उसे 8 नवंबर की शाम हिरासत में लिया था, हालांकि उसके पिता का कहना है कि वो खुद उसे चौकी छोड़कर आये थे क्योंकि एक युवती के फरार होने के सिलसिले में पुलिस उनके घर दबिश दे रही थी।


अल्ताफ़ के पिता चाहत मियां के मुताबिक 24 घंटे के अंदर ही अल्ताफ़ की हत्या कर दी गई। पुलिस कह रही है कि उसने फांसी लगा ली। चाहत मियां का कहना है पुलिस झूठ बोल रही है उनका बेटा बुजदिल नहीं था और वो कभी खुदकुशी नहीं कर सकता। यह घटना 9 नवंबर शाम की बताई जा रही है। यह घटना कासगंज सदर कोतवाली में हुई है।

कासगंज एसपी रोहन प्रमोद के मुताबिक अल्ताफ़ के विरुद्ध कासगंज कोतवाली में लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज किया गया था। उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। यहां उसने टॉयलेट जाने के लिए कहा तो उसे टॉयलेट भेजा गया। जहां उसने अपनी जेकेट के हुड की डोरी को नल में बांधकर फांसी लगा ली। उसे अस्पताल ले जाया गया मगर बचाया नहीं जा सका। पुलिस की इस दलील को लोग मानने से इनकार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। लापरवाही बरतने के आरोप में कोतवाली प्रभारी वीरेंद्र सिंह ,चंद्रेश गौतम, विकास कुमार,घेणेद्र सिंह और सौरभ सोलंकी को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।


मृतक युवक के पिता ने पुलिस की कहानी को झूठा बताते हुए कहा है कि अल्ताफ़ 60 किलो के आसपास का एक खूबसूरत और स्वस्थ लड़का था, वो सिर्फ एक नाड़े से फांसी लगाकर नहीं मर सकता। जिस नल से फांसी लगाने की बात हो रही है वो 6 फ़ीट ऊंचाई पर कोई नहीं लगाता है। अल्ताफ़ की मौत की सूचना हमें कई घण्टे बाद दी गई। अब मेडिकल में वो खेल करा देंगे। हमारा कलेजा रो रहा है। यह हम पर खुला जुल्म है।

कांग्रेस पार्टी के नेता तारिक सिद्दीकी ने इसे बेहद दर्दनाक घटना बताया है उन्होंने कहा कि यह घटना उन्नाव में हुई फैसल की हत्या की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि ये घटना यूपी पुलिस की एक समाज के प्रति दुर्भावना को दर्शाती है। इस मामले में भी गहराई से पड़ताल होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब रक्षक ही खुद भक्षक बन गए हैं तो फिर किसी से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। इन सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए और मृतक अल्ताफ़ को न्याय मिलना चाहिए।


समाजवादी पार्टी के नेता मनीष जगन ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे बेहद शर्मनाक घटना बताया है। उन्होंने कहा है कि मृतक के परिजनों को गोरखपुर और लखनऊ में तिवारी और गुप्ता की तर्ज पर ही मुआवजा और नौकरी मिलनी चाहिए। एसपी नेता ने कहा कि पुलिस बेलगाम हो चुकी है। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता की नहीं क्रूरता की कहानी कहती है।

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