अर्थ जगत की खबरें: सर्वाधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी के नाम, बजट से पहले घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती

मोरारजी देसाई पहली बार 13 मार्च, 1958 से 29 अगस्त, 1963 तक देश के वित्तमंत्री रहे थे। उसके बाद मार्च 1967 से जुलाई 1969 तक फिर उन्होंने वित्तमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने केंद्र सकार के 10 बजट संसद में पेश किए, जिनमें से आठ पूर्ण बजट, जबकि दो अंतरिम बजट थे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से आरंभ हो रहा है और इसके अगले ही दिन एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार की दूसरी पारी में लगातार दूसरा आम बजट पेश करेंगी। देश में अब तक सबसे ज्यादा बार आम बजट पेश करने का रिकार्ड भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है। भारत का चौथा प्रधानमंत्री बनने से पहले बतौर वित्तमंत्री उन्होंने 10 बजट पेश किए थे। उनके बाद सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्तमंत्री पी. चिदंबरम हैं, जिन्होंने कुल आठ बार संसद में बजट पेश किया है।

मोरारजी देसाई पहली बार 13 मार्च, 1958 से 29 अगस्त, 1963 तक देश के वित्तमंत्री रहे थे। उसके बाद मार्च 1967 से जुलाई 1969 तक फिर उन्होंने वित्तमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने केंद्र सकार के 10 बजट संसद में पेश किए, जिनमें से आठ पूर्ण बजट, जबकि दो अंतरिम बजट थे। वर्ष 1964 और 1968 में ऐसे भी मौके आए, जब मोरारजी देसाई ने अपने जन्मदिन पर संसद में आम बजट पेश किया था।

पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी, 1896 को गुजरात के वलसाड जिले के एक गांव में हुआ था। देश में पहली बार 1977 में बनी गैर-कांग्रेसी सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे। वह 24 मार्च, 1977 से 28 जुलाई, 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे।

सबसे ज्यादा चार बार वित्तमंत्री रह चुके पी. चिदंबरम ने कुल आठ बजट संसद में पेश किए हैं। चिदंबरम पहली बार एच. डी. देवेगौड़ा की अगुवाई में बनी संयुक्त मोर्चा सरकार में एक जून, 1996 को वित्तमंत्री बने थे। वह 21 अप्रैल, 1997 तक वित्तमंत्री रहे। इसके बाद एक मई, 1997 से लेकर 19 मार्च, 1998 तक वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में वित्तमंत्री रहे।

इसके बाद डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी संप्रग-1 की सरकार में चिदंबरम 22 मई, 2004 से लेकर 30 नवंबर, 2008 तक वित्तमंत्री रहे। चिदंबरम चौथी बार मनमोहन सिंह की अगुवाई में संप्रग-2 की सरकार में 31 जुलाई, 2012 से लेकर 26 मई, 2014 तक वित्तमंत्री रहे।

लगातार 5वें दिन घटे पेट्रोल, डीजल के दाम

चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण कच्चे तेल के दाम में विगत सप्ताह भारी गिरावट आई है और आगे नरमी का रुख बना हुआ है, जिससे भारत में उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिल सकती है, क्योंकि तेल में नरमी से पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है। तेल विपणन कंपनियों ने सोमवार को लगातार पांचवें दिन पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती का सिलसिला जारी रखा। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम में 15 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है। डीजल का भाव दिल्ली और कोलकाता में 25 पैसे जबकि मुंबई और चेन्नई में 26 पैसे प्रति लीटर कम हो गया है।

देश की राजधानी दिल्ली में 11 जनवरी के बाद पेट्रोल 2.30 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो गया है जबकि डीजल के दाम में उपभोक्ताओं को 2.46 रुपये प्रति लीटर की राहत मिली है।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल का दाम घटकर क्रमश: 73.71 रुपये, 76.33 रुपये, 79.32 रुपये और 76.56 रुपये प्रति लीटर हो गया है।

इसी प्रकार, चारों महानगरों में डीजल की कीमत भी घटकर क्रमश: 66.71 रुपये, 69.07 रुपये, 69.93 रुपये और 70.47 रुपये प्रति लीटर हो गई है।

चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण कच्चे तेल की मांग सुस्त रहने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले सप्ताह तेल के दाम में करीब पांच डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई। कच्चे तेल के दाम में गिरावट से आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल और डीजल के और सस्ते होने की संभावना बनी हुई है।

उर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने बताया कि कच्चे तेल में नरमी फिलहाल बनी रहेगी क्योंकि तेल की वैश्विक आपूर्ति के मुकाबले मांग कम है और आने वाले दिनों में आपूर्ति और बढ़ने की संभावना है। ऐसे में तेल के दाम पर दबाव बना रहेगा। उन्होंने कहा कि तेल के दाम में आई गिरावट का असर आगामी बजट में देखने को मिल सकता है।


भारत अब आलू निर्यात पर देगा जोर

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है, लेकिन निर्यात की बात करें तो देश के कुल उत्पादन का एक फीसदी भी आलू निर्यात नहीं होता है। लिहाजा, सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों को चिन्हित कर रही है, जहां एक्सपोर्ट क्वालिटी के आलू का उत्पादन होता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत संचालित व हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. स्वरूप कुमार चक्रवर्ती ने आईएएनएस को बताया कि इसके लिए देश के पांच प्रमुख आलू उत्पादक राज्य पहले ही चिन्हित किए गए हैं जहां से आलू निर्यात की काफी संभावना है। ये राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और गुजरात हैं।

उन्होंने बताया कि इस समय सबसे ज्यादा आलू निर्यात गुजरात से होता है, उसके बाद उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से होता है। डॉ. चक्रवर्ती ने बताया कि देश से तकरीबन चार लाख टन आलू निर्यात होता है, जिसमें करीब एक लाख टन यानी 25 फीसदी आलू गुजरात से निर्यात किया जाता है।

भारत नेपाल, श्रीलंका, ओमान, इंडोनेशिया, मलेशिया, मॉरीशस जैसे देशों को आलू निर्यात करता है। इनमें सबसे ज्यादा निर्यात नेपाल को होता है। उन्होने ने कहा कि एक्सपोर्ट क्वालिटी के आलू का उत्पादन होने पर अन्य देशों में भी निर्यात की संभावना तलाशी जा सकती है।

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है जहां तकरीबन 140 लाख टन आलू का उत्पादन होता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में करीब 120 लाख टन और बिहार में 90-100 लाख टन आलू का उत्पादन होता है।

उन्होंने बताया कि पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश में ऐसे उत्पादक क्षेत्रों को चिन्हित किया जा रहा है जो पेस्ट फ्री जोन हैं। मतलब जहां आलू पर विनाशकारी कीट का प्रकोप नहीं है और वहां का आलू दुनिया के देशों को निर्यात किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश में आलू का निर्यात की काफी संभावना है और निर्यात बढ़ने से किसानों को उनकी फसल का अच्छा भाव मिलेगा।

भारत में बीते एक दशक में आलू के उत्पादन में 52.79 फीसदी का इजाफा हुआ है और आगे 2050 तक इसमें सालाना तीन फीसदी की उत्तरोत्तर वृद्धि होने का अनुमान है। वर्ष 2008-09 देश में आलू का कुल उत्पादन 346.6 लाख टन था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 529.59 लाख टन हो गया।

एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर आलू उत्पादन की बात करें तो 1961 से लेकर 2016 के दौरान दुनिया में आलू का उत्पादन 27.05 करोड़ टन से बढ़कर 37.68 करोड़ टन हो गया, हालांकि आलू की बढ़ती खपत मांग को पूरा करने के लिए 2050 तक उत्पादन बढ़ाकर 71.15 करोड़ टन करने की जरूरत है।

बजट से पहले घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती, कोरोना का भी असर

रेलू शेयर बाजार में सोमवार को सुस्त कारोबारी रुझान के कारण सेंसेक्स आरंभिक कारोबार के दौरान करीब 290 अंक टूटा और निफ्टी भी 50 अंक से ज्यादा फिसलकर 12,200 के नीचे आ गया। ई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 458.07 अंकों की गिरावट के साथ 41,155.12 पर और निफ्टी 129.25 अंकों की गिरावट के साथ 12,119.00 पर बंद हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 102.51 अंकों की गिरावट के साथ 41,510.68 पर खुला और 458.07 अंकों या 1.10 फीसदी की गिरावट के साथ 41,155.12 पर बंद हुआ। दिन भर के कारोबार में सेंसेक्स ने 41,516.27 के ऊपरी स्तर और 41,122.48 के निचले स्तर को छुआ।

बीएसई के मिडकैप सूचकांक में गिरावट रही और स्मॉलकैप सूचकांक में तेजी रही। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 63.53 अंकों की गिरावट के साथ 15,759.01 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 4.43 अंकों की तेजी के साथ 14,850.39 पर बंद हुआ।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 51.15 अंकों की गिरावट के साथ 12,197.10 पर खुला और 129.25 अंकों या 1.06 फीसदी की गिरावट के साथ 12,119.00 पर बंद हुआ। दिन भर के कारोबार में निफ्टी ने 12,216.60 के ऊपरी और 12,107.00 निचले स्तर को छुआ।

बीएसई के 19 में से सिर्फ एक सेक्टर- स्वास्थ्य सेवाएं (1.43 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।

बीएसई के गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे- धातु (3.25 फीसदी), दूरसंचार (1.75 फीसदी), बिजली (1.48 फीसदी), वित्त (1.34 फीसदी) और बैंकिंग (1.18 फीसदी)

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