14 साल शासन किया, लेकिन बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दे पाए छतीसगढ़ के स्कूलों को मुख्यमंत्री रमन सिंह

छत्तीसगढ़ में तीन बार से बीजेपी की सरकार है और डॉ रमन सिंह चौथी बार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन जांजगीर-चांपा जिले के गांव में आजादी के 70 साल बाद भी बच्चे जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं।

फोटो: IANS
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छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के डभरा ब्लॉक के गांव कुंदरूझांझ में आजादी के 70 साल बाद भी बच्चे उसी जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं, जहां न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही सिर पर छत। कई सालों से वहां का निरीक्षण करने न तो जिला प्रशासन पहुंचा और न शासन।

प्रदेश में लगातार तीन बार से बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए ताल ठोक रहे हैं। प्रचार का पूरा ताम-झाम है, विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन विदेश से भरपूर निवेश आने का इंतजार किया जा रह है। विकास के दावे में कहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन कुंदरूझांझ में पहुंचने के लिए सड़क अभी भी कच्ची है, रास्ते में पुल-पुलिया भी नहीं है।

स्कूल का भवन जर्जर तो है ही, छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय और पेयजल की सुविधाएं भी नहीं है। ब्लॉक मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर 700 लोगों की आबादी वाला यह गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है।

ग्राम पंचायत मिरौनी के सचिव सतीश सिदार ने जानकारी दी कि गांव में शासकीय प्राथमिक विद्यालय 1973 से चल रहा है, इस विद्यालय में कुल 20 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं, जिसमें 8 लड़कियां और 12 लड़के हैं। 20 बच्चों के इस स्कूल में दो शिक्षक हैं।

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उन्होंने कहा कि विद्यालय भवन और गांव की मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पारित कर जनपद पंचायत को भेज दिया गया है।

दूसरी ओर विकासखंड के अधिकारियों को ये जानकारी ही नहीं है कि ग्राम पंचायत ने जर्जर भवन को नवनिर्माण के लिए प्रस्ताव जनपद पंचायत को भेज दिया है।

पूरे मामले पर सीईओ डभरा नितेश कुमार उपाध्याय ने कहा, "शासकीय प्राथमिक शाला कुंदरूझांझ के विद्यालय भवन के बारे में उपअभियंता से जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अगर भवन की आवश्यकता हुई तो तत्काल ग्राम पंचायत से प्रस्ताव मंगाकर उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।"

विकास शिक्षा अधिकारी डभरा ताराचंद भोई ने कहा कि स्कूल का भवन अगर जर्जर होगा, तो ग्राम पंचायत से प्रस्ताव मंगवाकर जिला पंचायत को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।

ग्रामीण डमरूधर पटेल और राजू पटेल ने कहा कि गांव में कोई विकास नहीं हुआ है। जनप्रतिनिधियों ने भी गांव के विकास में कोई ध्यान नहीं दिया। गांव की गलियां बारिश में कीचड़ से भर जाती है, उरांव मोहल्ले में पेयजल की समस्या और सीसी रोड गांव में पहुंचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। समस्याओं के बारे में क्षेत्रीय विधायक और प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन समस्याएं जस की तस हैं।

राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। संभव है, जो काम चौदह साल में नहीं हो सका, अब हो जाए। शायद किसी बड़े नेता या मंत्री की कृपादृष्टि इस गांव पर भी हो जाए, आखिर वोट तो चाहिए न!

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