पिछड़ों में गहरी पैठ वाले महान दल के कांग्रेस खेमे में जाने से यूपी में बीजेपी ही नहीं, सभी का भी बिगड़ सकता है खेल

उत्तर प्रदेश में जिस महान दल ने कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, उसे विशाल रैलियां आयोजित करने वाले दल के तौर पर जाना जाता है। 2008 में वजूद में आए इस दल ने 2017 में 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और साढ़े 6 लाख से ज्यादा वोट हासिल किया था।

फोटोः सोशल मीडिया
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आस मोहम्मद कैफ

साल 2018 के 31 जुलाई को उत्तर प्रदेश के एक जनपद लखीमपुर खीरी के पूरबी तालाब मैदान में महान दल की रैली थी। रैली में महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्या को शिरकत करना था।रैली से ठीक एक दिन पहले भारी बारिश हुई, जिसकी वजह से सारा मैदान घुटनों तक पानी से भर गया। जब बारिश बंद हो गई तो कुर्सियां पानी में ही डाली गईं और कार्यकर्ता वहीं बैठ गए। कुछ खड़े भी रहे, लेकिन डटे रहे। ये लोग महान दल के नेता केशव देव मौर्य को सुनने के लिए जुटे थे।

यह घटना बताती है कि समाज के लोगों में महान दल की दीवानगी की हद क्या है। केशव देव मौर्या ने इस रैली को संबोधित कतरे हुए कहा, “समाज के लिए लड़ो, लड़ नहीं सकते तो लिखो, लिख नहीं सकते तो बोलो, बोल नहीं सकते तो साथ दो, साथ नहीं दे सकते तो जो लिख बोल और लड़ रहा है उसका सहयोग करो और अगर यह भी नहीं कर सकते हो तो उनका मनोबल न गिराओ जो आपके हिस्से की लड़ाई लड़ रहा है। यह सब कुछ ही समाज को उसका हक दिलाएगा।”

इससे पहले केशव मौर्य 100 से ज्यादा रैलियों में यही संदेश दे चुके थे। उनकी रैलियों में समाज के लोग जोश-खरोश से पहुंचते हैं। महान दल इसी तरह की रैलियां बिजनौर, मुरादाबाद, कासगंज, आगरा, खीरी, लखनऊ, बांदा, बस्ती, अमरोहा और सहारनपुर में आयोजित कर चुकी है और सभी जगह अच्छी भीड़ जुटी।

जाहिर है केशव देव मौर्य अपने समाज को एकत्र कर सामाजिक क्रांति पैदा करने की बात करते रहे हैं और उन्हें समर्थन भी मिल रहा है। उनकी रैलियों में हजारों लोग जुटते हैं। केशव मौर्या के बेटे चंद्रप्रकाश मौर्य ने बताया, “पापा बुद्धांस समाज में राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाने का काम कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने महान दल की स्थापना की।”

चन्द्रप्रकाश के अनुसार बुद्धांस समाज सम्राट अशोक के समाज लोग हैं और ये कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी, कम्बोज, भगत, महतो, मुराव, भुजबल और गहलोत बिरादरी का समूह है। उत्तर प्रदेश में यह आबादी 13 फीसद है, जिसका अपना राजनीतिक आधार बेहद कमजोर है। इस समाज से आने वाले राजनीतिक लोगों का रिमोट कंट्रोल उनकी पार्टी के अध्यक्ष के हाथों में है। महान दल इसी समाज को प्रतिनिधिवत्व देने और अपना नेतृत्व देने की बात करता है।

13 फरवरी को इसी महान दल ने लखनऊ में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिआदित्य सिंधिया की मौजूदगी में कांग्रेस के साथ गढबंधन का ऐलान किया है। राज्य की जाति आधारित छोटी-छोटी पार्टियों में महान दल काफी अहम है। इसकी पहचान अपनी रैलियों में अच्छी भीड़ जुटाने की रही है। 2008 में वजूद में आए महान दल ने 2017 में 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे कुल साढ़े 6 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।

इससे पहले पार्टी ने 2009 में प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, उस चुनाव में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। इसके बाद 2014 में महान दल ने तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में महान दल ने जौरा और जतारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें अच्छे वोट हासिल हुए।

महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव मौर्या कहते हैं, “अभी 10 साल पहले ही हमने राजनीतिक पार्टी के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया है। पहले मैंने बीएसपी के साथ राजनीति की। हमें लगता था कि बीएसपी पिछडों के हितों के लिए कुछ करेगी। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह समाज को नजरंदाज करने लगी। समाजवादी पार्टी ने भी यही काम किया। हम दोनों दल से पूछना चाहते हैं कि वो पिछड़ों के लिए किए अपने काम गिनाएं।”

मौर्य जोर देकर कहते हैं, “सच ये है कि कांग्रेस की सरकार में पिछड़ों के लिए इतना काम हुआ है कि किसी और सरकार ने नहीं किया। बीजेपी में पिछड़ों के नेताओं को सांस लेने तक की आजादी नहीं है, तो वे समाज के हित की आवाज कैसे उठाएंगे! हमारी रैलियों में भीड़ जुटती है और समाज के लोग उत्साह से आते हैं। लेकिन हमारे पास संसाधन का अभाव है, इसीलिए हम भीड़ को वोट में नहीं बदल पाए।”

हालांकि, 2012 के विधानसभा में महान दल ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट से उनके प्रत्याशी विजय कुमार को 46 हजार 556 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मनमोहन सैनी को सिर्फ 5 हजार 633 वोट मिले। इस सीट पर महान दल का प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहा।

वहीं, बिजनौर के चांदपुर में अरविंद कुमार को 31 हजार 495 मत मिले थे। यही नहीं, नूरपुर के गौहर इकबाल को 32 हजार 141, नोगांव सादात से महमूद अली को 32 हजार 184, बहेड़ी से वैजन्ति बाला को 28 हजार, ददरौल से देवेंद्र पाल को 28 हजार, पटियाली से श्याम सुंदर सिंह को 28 हजार 181 और कांठ से महान दल के प्रत्याशी को 24 हजार वोट मिले। 2012 के चुनाव में महान दल ने 20 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था।

हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में महान दल के प्रदर्शन में गिरावट आई और सिर्फ चार विधानसभा कासगंज, मधुगढ़, अमांपुर और पटियाली में ही उनके प्रत्याशी 10 हजार से ज्यादा वोट ला पाए।

लखनऊ के राजनीतिक मामलों के जानकार मंसूर अली बताते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2012 में उत्तर प्रदेश में अच्छे प्रदर्शन के बाद महान दल ने अपना विस्तार करना शुरू कर दिया और मध्य प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा दी। इसके अलावा कई दूसरी कमजोरियों के चलते उत्तर प्रदेश में वे अपना पुराना प्रदर्शन जारी नहीं रख सके। मूलरूप से उनके वोटर बीजेपी से छिटक कर आते हैं, जो 2017 में प्रभावित नहीं हो सके।

महान दल ने 2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकते हुए जौरा, पृथिवीपुर, जतारा, सबलागढ़ और टीकमगढ़ में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। जौरा से महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्या की पत्नी सुमन शाक्य ने चुनाव लड़ा और उन्हें 17 हजार 478 वोट मिले। जबकि पार्टी को 6 विधानसभा सीटों पर लगभग एक लाख मत मिले।

केशव देव मौर्य के अनुसार पहली बार में यह प्रदर्शन बहुत खराब नहीं था। मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में जौरा से महान दल के प्रत्याशी आर आर बंसल दूसरे स्थान पर रहे। केशव देव मौर्या बताते हैं कि उनके कार्यकर्ता मोटरसाइकिल से गांव-गांव जाते हैं। उन्होंने कहा कि समाज संघर्ष कर रहा है और इस स्थिति में बड़ी कार वाले कुछ लोगों को बहकाने में कामयाब हो जाते हैं।

जहां तक कांग्रेस से गठबंधन की बात है तो महान दल इससे पहले 2009 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ चुका है। केशव देव के अनुसार, “हम समाज को बताते हैं कि पिछड़ों की उत्थान की बात करने वाली तमाम पार्टीयों ने समाज को छलने का काम किया है, जबकि सिर्फ कांग्रेस ने उनके लिए ईमानदारी से काम किया है। हमें एक बार फिर कांग्रेस की जरूरत है। बीजेपी नफरत की राजनीति करती है। हम उत्तर प्रदेश में 20 लोकसभा के नतीजे प्रभावित करेंगे और मध्य प्रदेश में कम से कम 5 पर असर डालेंगे। हमारे समर्पित कार्यकर्ताओं के चलते हम ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि हमारे कार्यकर्ताओं में सत्ता में भागीदारी के लिए जुनून है।”

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