प्रियंका के सिर्फ एक रोड शो से हार गई थीं सुषमा, इसलिए घबरा रही है बीजेपी

कांग्रेस महासचिव बनाई गईं प्रियंका गांधी की राजनीति में आधिकारिक एंट्री भले ही आज हुई है, लेकिन देश और खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए प्रियंका नई नहीं हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रियंका के एक रोड शो से चुनाव के नतीजे पूरी तरह से पलट गए और विरोधी हाथ मलते रहे गए।

फोटोः सोशल मीडिया
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प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने को लेकर लंबे समय से लगाई जा रही अटकलों को अब विराम लग गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को बड़ा ऐलान करते हुए प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव नियुक्त करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान उन्हें सौंप दी। प्रियंका गांधी संभवतः फरवरी के पहले सप्ताह में अपना कार्यभार संभालेंगी।

प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश से राजनीति में लाने की मांग पिछले लंबे समय से लगातार उठती रही है। कांग्रेस के कई बड़े नेता कई मौकों पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर प्रियंका को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग कर चुके हैं। इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में भारी जोश का माहौल है।

कांग्रेस अध्यक्ष के इस ऐलान के बाद जहां दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश के कांग्रेस दफ्तरों में जश्न का माहौल है, वहीं, बीजेपी इस फैसले से अचरज में है। यही वजह है कि प्रियंका के राजनीति में आने का ऐलान होते ही बीजेपी नेताओं के साथ ही मोदी सरकार के मंत्रियों की तरफ से एकतरफा हमलों का दौर शुरू हो गया।

दरअसल ये हमले यूं ही नहीं हैं। इसके पीछे वजह है प्रियंका गांधी का करिश्माई नेतृत्व। पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रियंका की आहट भर से बीजेपी को अभी से नतीजों का एहसास होने लगा है। ये सच है कि प्रियंका ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व और प्रबंधन क्षमता से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की लगातार जीत सुनिश्चित की है।

पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी देशभर में प्रचार में व्यस्त थे तो प्रियंका अकेले रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार का जिम्मा देख रही थीं और दोनों की जीत सुनिश्चित कर रही थीं। 2014 के चुनावों में जब बीजेपी ने स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास के जरिये राहुल गांधी को अमेठी में घेरने की कोशिश की तो ये प्रियंका गांधी का ही करिश्मा था जो कांग्रेस का ये किला हिल भी नहीं सका।

इससे पहले 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने सोनिया गांधी को एक नहीं दो-दो सीटों से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह पहली बार था जब प्रियंका ने लोकसभा चुनाव में प्रचार का जिम्मा संभाला था। वह दो सप्ताह अमेठी में रहीं और लाखों वोट से सोनिया गांधी को जीत दिलाई।

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में ही कर्नाटक की बेल्लारी सीट से सोनियां गांधी के लिए सुषमा स्वराज जब कन्नड़ में भाषण देकर भारी चुनौती पेश कर रही थीं, तो ऐसे में प्रियंका ने बेल्लारी में सिर्फ एक दिन के तूफानी रोड शो से पूरे चुनाव का रुख ही पलट दिया।

यही नहीं, 2009 के आम चुनावों में पहली बार प्रियंका रायबरेली और अमेठी के अलावा बाराबंकी भी गईं थी। उन्होंने यहां रोड शो किया था। बाराबंकी से प्रियंका के गुजरने भर से इस सीट का पूरा गणित पलट गया और कांग्रेस ने 1984 के बाद पहली बार इस सीट पर कामयाबी हासिल की।

इसके बाद उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रियंका गांधी ने पहली बार पार्टी के दायरे से बाहर निकलकर प्रदेश की राजनीति में सबको चौंकाते हुए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन का पूरा खाका तैयार करने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। एक समय जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन असंभव सा नजर आने लगा था तो प्रियंका ने सीधे अखिलेश यादव से बात कर गठबंधन की नई राह खोल दी थी।

दरअसल उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति के लिए प्रियंका गांधी कोई नया चेहरा नहीं हैं। इससे पहले तक वह अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी की पूरी जिम्मेदारी बखूबी निभाती रही हैं। दोनों जगहों पर चुनाव प्रचार का काम भी अभी तक प्रियंका ही संभालती रही हैं। कहा जाता है कि दिल्ली में रायबरेली और अमेठी के लोगों का काम प्रियंका ही देखती रही हैं। इन दोनों जगहों के लोग अपने को सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ज्यादा प्रियंका गांधी के करीब मानते हैं।

इसके पीछे उनका रायबरेली और अमेठी को वक्त देना ही अकेली वजह नहीं है। दरअसल प्रियंका गांधी का लोगों से मिलने का अंदाज, उनसे बात करने का तरीका, उनके बीच जमीन पर बैठकर उनकी बातें सुनने का लहजा, राह चलते क्षेत्र की किसी गरीब महिला की गोद से बच्चे को अपनी गोद में बिना झिझक ले लेना, गरीब और आम महिलाओं से हाथ पकड़कर सहेली की तरह बातें करना आदि ये बहुत सारी बातें हैं जो आम लोगों को प्रियंका गांधी से जोड़ती हैं।

इसके अलावा एक और बात है जो लोगों के बीच प्रियंका गांधी को लोकप्रिय बनाती है। दरअसल लोगों को उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी दादी इंदिरा गांधी की झलक दिखाई देती है। अक्सर लोग प्रियंका की तुलना इंदिरा गांधी से करते हैं। उनकी शख्सियत, लोगों से मिलने का अंदाज, भाषण देने की शैली, लोगों को अपना बना लेने का हुनर और यहां तक कि विरोधियों को भी अपना मुरीद बनने के लिए मजबूर कर देने का करिश्मा, इन सबकी तुलना इंदिरा गांधी से की जाती रही है।

यही सब वजहें हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान उन्हें मिलने के ऐलान के साथ ही उन पर और कांग्रेस पर हमलों का नया दौर शुरू हो गया। जो साफ बताता है कि कांग्रेस अध्यक्ष के इस फैसले का प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।

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