राहुल गांधी ने पीएम को पत्र लिखकर दिए कई सुझाव, कहा- अचानक लॉकडाउन से लोगों में घबराहट और भ्रम पैदा हुआ

राहुल गांधी ने पीएम को पत्र में लिखा कि हमारे देश में दिहाड़ी पर काम करने वाले गरीब लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए हम आर्थिक गतिविधियों को बंद नहीं कर सकते। पूरी तरह से आर्थिक बंदी के कारण कोविड-19 वायरस से होने वाली मृत्यु दर बढ़ जाएगी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश में बढ़ते कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। तीन पन्नों के इस पत्र में राहुल ने लॉकडाउन के समर्थन के साथ-साथ मजदूरों के पलायन को लेकर चिंता जाहिर की है। राहुल गांधी ने अपने इस पत्र में लिखा है कि कि भारत की परिस्थिति अलग है। हमें दूसरे देशों की लॉकडाउन रणनीति से इतर कदम उठाने होंगे। उन्होंने आगे लिखा है कि हमारे देश में दिहाड़ी पर काम करने वाले गरीब लोगों की संख्या ज्यादा है, इसलिए हम आर्थिक गतिविधियों को बंद नहीं कर सकते। पूरी तरह से आर्थिक बंदी के कारण कोविड-19 वायरस से होने वाली मृत्यु दर बढ़ जाएगी। राहुल गांधी ने पीएम को सुझाव देते हुए ये भी कहा कि इस कोरोना जैसी चुनौती से लड़ने और उस पर काबू पाने में हम सरकार के साथ खड़े हैं।

राहुल ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे 'राष्ट्रव्यापी देशबंदी का हमारे लोगों, हमारे समाज और हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़े संभावित प्रभाव' पर दोबारा विचार करें। उन्होंने कहा कि 'अचानक हुई देशबंदी से दहशत और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई' जिसके कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर वापस जाने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल ने पत्र में लिखा है कि हमारे यहां रोज की कमाई पर निर्भर रहने वाले गरीब लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए एकतरफा कार्रवाई करके सभी आर्थिक गतिविधियों को बंद नहीं कर सकते हैं। आर्थिक गतिविधियों को बंद कर देने से कोविड-19 की तबाही और बढ़ जाएगी।


फोटो: @INCIndia
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राहुल गांधी ने पत्र में लिखा कि वे (प्रधानमंत्री) सामाजिक सुरक्षा जाल को मजबूत करें और गरीब मजदूरों की मदद और उन्हें आश्रय देने के लिए सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग करें। उन्होंने सरकार द्वारा घोषित किए गए वित्तीय पैकेज को एक अच्छा पहला कदम बताते हुए उसके जल्द से क्रियान्वयन का आह्वान किया। उन्होंने वायरस के प्रभाव और आर्थिक बंदी से प्रमुख वित्तीय और रणनीतिक संस्थानों के आसपास रक्षात्मक दीवार स्थापित करने का सुझाव दिया।

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इससे पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से इन मजदूरों की मदद करने की अपील भी की थी। राहुल ने शनिवार को ट्वीट कर लिखा था- 'आज हमारे सैकड़ों भाई-बहनों को भूखे-प्यासे परिवार सहित अपने गांवों की ओर पैदल जाना पड़ रहा है। इस कठिन रास्ते पर आप में से जो भी उन्हें खाना-पानी-आसरा-सहारा दे सके, कृपा करके दे! कांग्रेस कार्यकर्ताओं-नेताओं से मदद की खास अपील करता हूं. जय हिंद!'


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वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार को इस स्थिती के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण लाखों प्रवासी मजदूरों को सैकड़ों मील पैदल चलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ही नहीं बल्कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार को कोसते हुए कहा कि ये हमारे अपने हैं। मजदूर देश की रीढ़ की हड्डी हैं। कृपया इनकी मदद करिए। इन्हें ऐसी स्थिती में मत छोड़िए।

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कांग्रेस की ओर से लगातार केंद्र सरकार से सवाल किया जा रहा। कांग्रेस ने कहा है जिनके कारण हमारे शहर चलते हैं आज उन्हीं को घर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि सड़कों पर यूपी के लोग हैं, जो आज बिस्कुट खाकर जिंदा है। जिन्होंने घर पहुंचने के लिए 550 किलोमीटर का सफर मजबूरी में पैदल ही तय किया। इनके पास ना तो खाने के लिए कुछ है ना ही पैसा है। कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि बताएं आखिर इन दिहाड़ी मजदूरों की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है ?

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