इंदिरा गांधी का हू-ब-हू रूप हैं प्रियंका गांधी, कांग्रेस के लिए ‘हुकुम की रानी’ साबित होंगी - शिवसेना

प्रियंका गांधी अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह ‘हुकुम की रानी’ साबित हो सकती हैं। प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीतिमें आने पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में यह टिप्पणी की है।

‘सामना’ अखबार का स्क्रीनशॉट
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नवजीवन डेस्क

प्रियंका गांधी अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह ‘हुकुम की रानी’ साबित हो सकती हैं। प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में यह टिप्पणी की है।

शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा है कि, “प्रियंका गांधी, इंदिरा गांधी का हू-ब-हू रूप हैं और उनकी बोल-चाल में इस तरह की झलक दिखाई देती है। इसलिए हिंदीभाषी क्षेत्रों में कांग्रेस को निश्चित ही लाभ होगा।” सामने आगे लिखा है कि, “प्रियंका की तोप चली और उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ने लगी तो यह इंदिरा गांधी की तरह ‘हुकुम की रानी’ साबित हो सकती हैं। राहुल गांधी ने अच्छा दांव चला है।“

‘सामना’ का मुताबिक, ‘कांग्रेस में महासचिव पद पर प्रियंका की नियुक्ति की गई है। आने वाले लोकसभा चुनाव में सफलता प्राप्त करने के लिए सबकुछ करने की तैयारी है, ये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐसा करके दिखा दिया है।‘ ‘सामना’ के मुताबिक जो लोग यह कह रहे हैं कि राहुल गांधी सफल नहीं हो पाए इसलिए प्रियंका को लाना पड़ा, ऐसी अफवाहें उड़ाई जा रही हैं, जिसमें दम नहीं है।

शिवसेना कहती है कि राफेल को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ‘सामना’ के मुताबिक, ‘तीन राज्यों में कांग्रेस ने बीजेपी से सत्ता छीनी उसका श्रेय उन्हें न देना, कुंठित प्रवृत्ति की निशानी है। सपा बसपा गठबंधन में कांग्रेस को महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिला। लेकिन राहुल ने किसी भी तरह का हंगामा न करते हुए संयम से काम लिया। राहुल ने कहा कोई बात नहीं, वह उत्तर प्रदेश की सभी सीटें लड़ेंगे। ऐसी नीति अपनाना और फिर प्रियंका को राजनीति में लाकर उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपने के पीछे जो योजना है उससे फायदा होगा।‘

शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने पर ‘खुद पीएम मोदी को भी उनपर बोलना पड़ा कि कुछ लोगों के लिए परिवार ही पार्टी है।‘ शिवसेना का कहना है कि, ‘प्रियंका गांधी को सक्रिय किया जाए, ये कांग्रेस को लगता होगा तो यह उनका अधिकार है। हम उनके निर्णय में दखल क्यों दें?’

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