मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नजर में पाकिस्तान के इतिहास का सबसे गंदा चुनाव है यह, वैधता पर भी सवाल

पाकिस्तान की पुलिस ने सत्ता में कार्यकाल पूरा करने वाली नवाज शरीफ की पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ 17000 आपराधिक मामलों की फाइल खोली है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे पाकिस्तान के इतिहास का “सबसे गंदा” चुनाव कहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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डॉयचे वेले

पाकिस्तान में अगले हफ्ते आम चुनाव होने हैं। पुलिस ने जिन 17000 मामलों की छानबीन शुरू करने का ऐलान किया है वो पिछले चार दिनों में पंजाब प्रांत में दर्ज कराए गए हैं। पुलिस का कहना है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज यानी पीएमएल एन के सैकड़ों सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को पहले ही भ्रष्टाचार के मुकदमे में सजा के बाद गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस के बयान में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि संदिग्धों ने किन चुनाव नियमों का उल्लंघन किया है।

पाकिस्तान में इन दिनों यह चर्चा आम है कि देश की सेना पर्दे के पीछे रह कर इमरान खान और उनकी पार्टी को चुनाव में जीत दिलाने के लिए काम कर रही है। पाकिस्तान की सेना इससे पहले भी नवाज शरीफ को 1999 में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है. हालांकि सेना देश की राजनीतिक प्रक्रिया में दखल से लगातार इनकार कर रही है। उधर इमरान खान ने भी सेना के साथ किसी तरह के गठजोड़ से इनकार किया है। पुलिस के बयान में कहा गया है कि इमरान खान की पार्टी के 39 सदस्यों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग ने चुनाव की वैधता पर चिंता जताई है। आयोग का कहना है कि, "लोगों में यह धारणा बन रही है कि सभी पार्टियों को चुनाव प्रचार के लिए बराबर आजादी नहीं दी जा रही है।" प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता आई ए रहमान का कहना है कि देश के लोकतांत्रिक शासन के साथ-साथ समस्यापूर्ण रिश्तो में यह "सबसे गंदा" चुनाव है। मानवाधिकार आयोग ने अपने बयान में कई चेतावनियों की ओर इशारा किया है। इनमें एक आरोप यह भी है कि पीएमएल-एन के नेताओं पर राजनीतिक निष्ठा बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कई उम्मीदवारों से तो पीछे हटने के लिए भी कहा गया है।

पिछले हफ्ते लाहौर में पीएमएल-एन की रैली से पहले पुलिस ने पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया, जो नवाज शरीफ का स्वागत करने जमा हुए थे। पीएमएल-एन के तीन स्थानीय नेताओं का कहना है कि पुलिस ने पार्टी के नेताओं को धमकियां दी हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। खुफिया एजेंसियां और अर्धसैनिक बल पार्टी से जुड़े लोगों को रोक रहे हैं। रविवार को पाकिस्तान में मौजूदा प्रशासन ने नवाज शरीफ के खिलाफ आतंकवाद निरोधी कानून के तहत भी एक मामला दर्ज किया है। उन पर 13 जुलाई को प्रतिबंधों की अनदेखी कर मार्च करने का आरोप लगाया गया है।

नवाज शरीफ को वतन वापस लौटने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। सोमवार को उन्होंने अपनी और अपनी बेटी-दामाद को मिली सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इस बीच देश में चुनाव पूर्व हिंसा ने जोर पकड़ लिया है। इस सप्ताहांत चुनावी रैलियों पर हुए हमलों में 153 लोगों की जान गई। हमलों में मारे गए लोगों में एक प्रांतीय एसेंबली का एक उम्मीदवार भी शामिल था। रविवार की रात सेक्यूलर अवामी नेशनल पार्टी के दफ्तर पर भी गोलीबारी हुई जिसमें पूर्व सीनेटर दाउद अचकजई घायल हो गए। अब तक चुनाव से जुड़ी हिंसा में 170 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

मानवाधिकार आयोग ने अपने बयान में साढ़े तीन लाख सुरक्षकर्मियों को मतदान के दिन चुनाव केंद्रों के भीतर बाहर तैनात करने के फैसले पर भी सवाल उठाया है। रहमान ने चिंता जताई है कि इतनी बड़ी संख्या में मौजूद सुरक्षाकर्मी मतदाताओं को डरा धमका सकते हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओँ का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों को चुनाव से पहले प्रचार अभियान में जुटे नेताओँ की सुरक्षा में लगाया जाना चाहिए।

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