दुनिया की 5 बड़ी खबरें: अमेरिका में इस वजह से कोरोना के मामलों में आई तेजी और पाकिस्तान में कम टेस्ट पर सवाल

अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स ने बताया कि संक्रमित मामलों में तेजी आने का एक मुख्य कारण यही है कि अमेरिकी सरकार ने चिकित्सा बजट बड़े पैमाने पर घटाया था। पाकिस्तान में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। रविवार शाम 4 बजे तक (स्थानीय समयानुसार) देश में 16 लोगों की मौत हो चुकी है

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अमेरिका में कोविड-19 मामलों में तेजी का कारण चिकित्सा बजट घटाना

मेरिका में लगातार पांच दिनों तक पुष्ट कोविड-19 मामलों की संख्या 10 हजार से अधिक थी। अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स ने बताया कि संक्रमित मामलों में तेजी आने का एक मुख्य कारण यही है कि अमेरिकी सरकार ने चिकित्सा बजट बड़े पैमाने पर घटाया था। फॉरेन अफेयर्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सरकार ने वर्ष 2018 में 15 अरब अमेरिकी डॉलर का बजट घटाया था। इसके अलावा अमेरिकी सरकार ने अमेरिकी बीमारी नियंत्रण केंद्र, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, राष्ट्रीय भूमि सुरक्षा और स्वास्थ्य और सार्वजनिक सेवा विभाग का संचालन बजट भी घटाया।

उधर अमेरिकी मीडिया की नजर में वर्ष 2018 में अमेरिकी वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यालय को खत्म करना, इस महामारी के निपटारे पर ट्रंप के अनुचित फैसले और देश में चिकित्सा संसाधन की किल्लत कोविड-19 के मामलों की तेज वृद्धि का मुख्य कारण भी है।

कोविड-19 : पाकिस्तान में अब तक 16 मरे, 12 हजार संदिग्ध, कम टेस्ट पर सवाल

पाकिस्तान में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। रविवार शाम 4 बजे तक (स्थानीय समयानुसार) देश में 16 लोगों की मौत हो चुकी है और इसकी चपेट में आने वालों की संख्या बढ़कर 1530 हो गई है। बताया गया है कि देश में कोरोना के संदिग्ध मामलों की संख्या 12 हजार से भी अधिक है। 'जंग' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटों में तीन और मौतों के बाद रविवार शाम तक पाकिस्तान में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई। देश के सभी प्रांतों में इस बीमारी के नए मामलों का सामने आना जारी है और इनकी संख्या अब 1530 तक जा पहुंची है।

'द न्यूज' ने अपनी रिपोर्ट में अस्पतालों और आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि देश में इस समय बारह हजार से अधिक लोगों को कोरोना के शक में आइसोलेशन में रखा गया है और उनकी निगरानी की जा रही है। खुद सरकार ने शनिवार को बताया कि 7180 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है।


भारतीय-अमेरिकी पब्लिकेशन ने 50 साल बाद प्रिंट संस्करण बंद किया

न्यूयॉर्क स्थित 50 साल की लंबी विरासत वाले प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी साप्ताहिक समाचार पत्र इंडिया अब्रॉड ने अपने प्रिंट संस्करण को बंद करने की घोषणा की है। अमेरिकन बाजार ने शनिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 1970 में भारतीय-अमेरिकी प्रकाशक गोपाल राजू द्वारा स्थापित उत्तरी अमेरिका के सबसे पुराने भारतीय समाचार पत्र ने लोकप्रियता की ऊंचाइयों को छुआ। इसने अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के बीच अच्छी पैठ बनाई।

2001 में, राजू ने प्रकाशन को 'रेडिफडॉटकॉम' को बेच दिया। 2016 के अंत में, 'रेडिफडॉटकॉम' इसे 8केमाइल्स मीडिया को बेच दिया।

आखिरकार शुक्रवार को, वर्तमान अध्यक्ष और प्रकाशक, सुरेश वेंकटचारी ने प्रिंट संस्करण को बंद करने के निर्णय की घोषणा की।

चीन में कोविड-19 के 45 नए मामले, 44 विदेशों से आए

चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार 28 मार्च को चीन की मुख्य भूमि में कोविड-19 के 45 नए मामले दर्ज हुए, जिनमें 44 मामले विदेशों से आए हैं और चीन के हनान प्रांत में एक मामला सामने आया। 28 मार्च को चीन में 5 रोगियों की मौत हो गई, नए संदिग्ध मामलों की संख्या 28 है, जिनमें 27 विदेशों से आए हैं और एक कानसू प्रांत से है। 28 मार्च को और 477 मरीज स्वास्थ्य बहाल होने के बाद अस्पताल से घर लौट गए, 1097 लोग चिकित्सा निगरानी से मुक्त हुए और गंभीर मामलों में 179 की कमी आई।

28 मार्च की रात 12 बजे तक चीन की मुख्य भूमि में कोविड-19 के 2691 मामले दर्ज हुए हैं। उपचार के बाद स्वस्थ होने वाले मरीजों की कुल संख्या 75448 रही और कुल 3300 रोगियों की मौत हो चुकी है। वहीं पुष्ट मामलों की कुल संख्या 81439 रही और इस समय संदिग्ध मामलों की संख्या 174 है और 18581 लोग चिकित्सा निगरानी में हैं। 28 मार्च की रात 12 बजे तक विदेशों से कुल 693 पुष्टिकृत मामले आए हैं।


कोविड-19 : कराची में हिदू-ईसाई समुदाय की मदद के लिए उठे हाथ

पूरी दुनिया पर मुसीबत बनकर टूटी कोविड-19 बीमारी उन लोगों के लिए और भी तबाही लेकर आई है जो रोज कमाकर अपना जीवन चलाते हैं। लॉकडाउन ने इनकी रोजी छीन ली है और इनके सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है। पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदाय ऐसे ही संकट से गुजर रहे हैं क्योंकि इनकी एक बड़ी आबादी मजदूर वर्ग से संबंध रखती है। इन अल्पसंख्यक समुदायों का एक बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है और इसकी राजधानी कराची पर अपनी रोजी-रोटी के लिए एक हद तक निर्भर रहता है।

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने इनकी कमाई के रास्ते बंद कर दिए हैं और इनके सामने भुखमरी जैसा संकट आ गया है। ऐसे में कराची की कुछ परोपकारी संस्थाएं और लोग सामने आए हैं जिन्होंने सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय की मदद के लिए चंदा इकट्ठा कर इन लोगों के घरों में खाने-पीने का सामान पहुंचाया है। प्रांतीय सरकार भी इनकी मदद के लिए आगे आई है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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