छत्तीसगढ़ में हरियाली बढ़ाने की कवायद, 'हरियाली प्रसार' योजना के तहत लगाए गए 83 लाख पौधे

राज्य में हरियाली बढ़ाने के लिए राज्य का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा संचालित 'हरियाली प्रसार' योजना के अंतर्गत तीन वर्षों के वर्षा काल में 2019, 2020 तथा 2021 में 83 लाख 31 हजार पौधों का रोपण किया गया है।

 फोटो: IANS
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आईएएनएस

छत्तीसगढ़ की देश में पहचान हरियाली वाले राज्यों में से रही है, तो वहीं हरियाली को और बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। बीते तीन साल में 83 लाख से ज्यादा पौधे रोपे गए हैं। राज्य में हरियाली बढ़ाने के लिए राज्य का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा संचालित 'हरियाली प्रसार' योजना के अंतर्गत तीन वर्षों के वर्षा काल में 2019, 2020 तथा 2021 में 83 लाख 31 हजार पौधों का रोपण किया गया है। इससे सात हजार 400 हेक्टेयर रकबा हरियाली का बढ़ने का दावा किया गया है। इसमें हितग्राहियों तथा कृषकों की ओर से पौधों की बढ़ती मांग को देखते हुए वृद्धि कर वर्ष 2022-23 में इस योजना के अंतर्गत वन क्षेत्रों के अलावा कृषकों की भूमि पर रोपण के लिए बजट में 17 करोड़ 58 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है।

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि 'हरियाली प्रसार' योजना पर्यावरण सुधार सहित भूमि के विकास तथा लोगों की आय में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। हरियाली प्रसार योजना में कृषकों की स्वयं की भूमि पर कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने और हरियाली को बढ़ाए जाने के लिए विभाग द्वारा प्रति हितग्राही 50 से पांच हजार तक न केवल पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं, बल्कि उसके देखरेख के लिए अनुदान के रूप में आंशिक राशि भी उपलबध कराई जाती है। इससे कृषकों को लगभग 30 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष का लाभ अर्जित हो सकेगा।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुवेर्दी ने बताया कि हरियाली प्रसार योजना के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में 30 लाख 95 हजार पौधों का रोपण किया गया है। इससे 13 हजार 651 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं।

हरियाली प्रसार योजना के तहत वर्ष 2019-20 में एक हजार 600 हेक्टेयर रकबा में 18 लाख 56 हजार तथा वर्ष 2020-21 में तीन हजार हेक्टेयर रकबा में 33 लाख 80 हजार पौधों का रोपण हुआ है। इनमें वर्ष 2019-20 में 10 हजार 497 तथा वर्ष 2020-21 में 20 हजार 16 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं।

बताया गया है कि हरियाली प्रसार योजना के अंतर्गत सागौन, बांस, खम्हार, आंवला, शीशम, चंदन, मीलिया डुबिया, क्लोनल नीलगिरी, टिशू कल्चर बांस, टिशू कल्चर सागौन, आम, कटहल, मुनगा, सीताफल एवं अन्य प्रजातियों के पौधों का रोपण शामिल हैं।

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