प्रज्ञा के गोडसे वाले बयान पर कार्यवाही का जिम्मा अमित शाह ने जिस समिति को सौंपा था, वह तो अस्तित्व में ही नहीं है

प्रज्ञा ठाकुर के गोडसे वाले बयान पर कार्यवाही का जिम्मा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जिस अनुशासन समिति को सौंपा था, वह तो अस्तित्व में ही नहीं है। ऐसे में 10 दिन में कार्यवाही की मीयाद कब की बीत जाने के बावजूद अभी तक इस पर सन्नाटा ही है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

17वीं लोकसभा का सत्र आज से शुरु हो गया और नए सदस्यों के शपथ लेने का सिलसिला भी जारी है। पीएम से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक के शपथ लेने की तस्वीरें और वीडियों देखने को मिले। इन्हीं में एक खास तस्वीर ने ध्यान खींचा, वह थी भोपाल से बीजेपी सासंद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की। यह वही प्रज्ञा ठाकुर हैं जिन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था और जिनके खिलाफ दस दिन में अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का ऐलान बीजेपी अध्यक्ष और अब गृहमंत्री अमित शाह ने किया था। लेकिन, लगता है वक्त के साथ बीजेपी अध्यक्ष इस कार्यवाही के बारे में भूल गए हैं।

दरअसल बात यह है कि जिस अनुशासन समिति को प्रज्ञा ठाकुर के बयान का संज्ञान लेकर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने और रिपोर्ट देने का जिम्मा सौंपा गया था, वह अस्तित्व में ही नहीं है। बीजेपी ने 17 मई को कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर का मामला अनुशासन समिति को सौंपा जा रहा है। लेकिन अब एक महीना गुजरने के बाद भी न तो प्रज्ञा के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई और न ही इस बारे में कोई रिपोर्ट सामने आई।


अंग्रेजी वेबसाइट द प्रिंट की एक खबर के मुताबिक बीजेपी की तीन सदस्यीय अनुशासन समिति फिलहाल अस्तित्व में ही नहीं है। इस समिति के अध्यक्ष को एक राज्य का राज्यपाल बनाया जा चुका है और एक अन्य सदस्य निजी कारणों से समिति से इस्तीफा दे चुके हैं।

पार्टी के मुताबिक बीजेपी की अनुशासन समिति में तीन सदस्य होते हैं। इसके अध्यक्ष गणेशी लाल को ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया है और एक अन्य विजय चक्रवर्ती किसी वजह से इस्तीफा दे चुके हैं। बाकी बचे तीसरे और आखिरी सदस्य सत्यदेव सिंह बीजेपी की उत्तर प्रदेश अनुशासन समिति के भी अध्यक्ष हैं और उनके पास यूपी बीजेपी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों का अंबार लगा हुआ है, वे उन्हें ही निपटाने में व्यस्त हैं।

द प्रिंट की खबर में बताया गया है कि सत्यदेव सिंह का कहना है कि जब समिति को प्रज्ञा ठाकुर का केस दिया गया तो समिति के पास न तो कोई सचिव था और न ही अध्यक्ष। उन्होंने द प्रिंट को बताया कि एक सदस्यीय समिति इस हाई प्रोफाइल केस में कैसे फैसला ले सकती थी, इसलिए उन्होंने पार्टी महासचिव राम लाल ने इस बारे में स्वंय फैसला लेने या फिर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पास यह मामला भेजने का अनुरोध किया था।


इसके चलते अमित शाह द्वारा घोषित 10 दिन की डेडलाइन तो कब की खत्म हो चुकी है। अभी 4 जून को बीजेपी ने समिति में दो नए सदस्यों की नियुक्ति की है। एक हैं पंजाब के अविनाश राय खन्ना और दूसरे हैं उत्तर प्रदेश के ओम पाठक। द प्रिंट ने ओम पाठक से इस बारे में पूछा तो उन्होंने यह कहकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि वे इस बारे में बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं खन्ना ने कहा कि समिति की बैठक के रिकॉर्ड्स बीजेपी महासचिव महेंद्र पांडे के पास हैं। उन्होंने अलबत्ता यह जरूर कहा कि उनकी जानकारी में इस मामले में फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

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