बजट 2019: किसानों और मध्यवर्ग को 17 रुपए प्रतिदिन की राहत, आधा लीटर दूध तक नहीं मिलेगा इतने पैसे में

सरकार बेशुमार बेरोजगारी और बेतहाशा बढ़े पेट्रोल-डीज़ल के दामों के जरिए पहले ही मध्यवर्ग को चूस चुकी है, और इससे उसे पिछले तीन साल में 10 लाख करोड़ रुपए से ऊपर की आमदनी हुई थी।

फोटो : सोशल मीडिया
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राहुल पांडे

अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में कोशिश तो बहुत की, लेकिन कुछ खास कर नहीं पाए। किसान और मध्य वर्द को 500 रुपए महीना यानी सिर्फ 17 रुपए प्रतिदिन की राहत ही बजट प्रस्ताव में दे पाई मोदी सरकार। लेकिन इससे पहले तो सरकार कठिन कर प्रणाली के जरिए बहुत कुछ पहले ही छीन भी चुकी है। इस बजट से यह भी नहीं पता चल सका कि पैसा आएगा कहां से। खैर इस पर बाद में बहस करते हैं।

प्रधानमंत्री किसान योजना इस बजट की सबसे बड़ी घोषणा कही जा सकती है, लेकिन किसानों के लिए यह नाकाफी है। सरकार ने हर साल 6000 रुपए तीन किस्तों में देने का वादा किया है। यह घोषणा इस बात की स्वीकारोक्ति है कि किसानों को लेकर सरकारी नीतियां नाकाम रही हैं, ऐसे में 500 रुपए महीने से और क्या मिलेगी, क्योंकि लागत तो लगातार बढ़ती जा रही है।

देश में किसानों की औसत सालाना आमदनी 77,112 रुपए यानी करीब 6,426 रुपए महीना है। इसमें 500 रुपए महीने के इजाफे का यूं तो स्वागत होना चाहिए, लेकिन इससे पहले सरकार बीते सालों में बहुत कुछ छीन चुकी है।

डीएपी के दाम 2014 के 281 रुपए से बढ़कर 295 रुपए हो चुके हैं। यूरिया की कीमत 1125 से बढ़कर 1450 रुपए हो चुकी है। यूरिया के बैग का आकार 50 किलो से घटकर 45 किलो का रह गया है। यूरिया की प्रति किलो कीमत 22.50 रुपए से बढ़कर 32.22 रुपए हो चुकी है। आशंका है कि आने वाले दिनों में खाद के दामों में 5 से 26 फीसदी का इजाफा हो सकता है। और यह होता है तो 500 रुपए महीने में क्या हो जाएगा।

इसके अलावा डीज़ल भी खेती-किसानी का अभिन्न अंग है और बीते पांच साल में डीज़ल की कीमत ने किसानों को खूब रुलाया है। कच्चे तेल के दाम यूपीए दौर के दामों से आधे पर आ चुके हैं लेकिन डीज़ल के दाम मई 2014 के 55.13 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 62.56 रुपए प्रति लीटर (अंबाला में) हो चुके हैं।

एक औसत किसान पर कर्ज 47,000 रुपए का है और अगर 6 फीसदी ब्याज भी माने तो किसान 2820 रुपए ब्याज में ही चुका देता है। तो फिर 6000 रुपए साल की मदद से उसका क्या भला होने वाला है। ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है कि इस पैसे से वह अपनी फसल के बीमा का प्रीमियम चुका देगा, जो कि अब 5135 रुपए हो चुका है।

किसानों को मोदी सरकार से और भी उम्मीदें थी, लेकिन उन्हें मिला है सिर्फ 17 रुपए प्रतिदिन का भरोसा। न तो कोई कर्ज माफी हुई और न ही कोई ऐसी किसी योजना का ऐलान जिससे किसानों की आमदनी बढ़ सके। मिला तो सिर्फ 17 रुपए प्रति दिन का वादा।

हां मध्य वर्ग थोड़ा जश्न मना सकता है कि अब उसकी 5 लाख तक की कमाई टैक्स फ्री होगी। यानी वित्त मंत्री ने देश के तीन करोड़ लोगों को राहत देने के लिए 18,000 करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है। इस तरह जोड़ें तो सिर्फ 6000 रुपए महीने की राहत ही मध्य वर्ग के टैक्सपेयर को होगी। यह भी सिर्फ 16-17 रुपए प्रतिदिन की ही राहत है, जिससे परिवार के लिए आधा लीटर दूध तक नहीं मिल सकता।

सरकार बेशुमार बेरोजगारी और बेतहाशा बढ़े पेट्रोल-डीज़ल के दामों के जरिए पहले ही मध्यवर्ग को चूस चुकी है, और इससे उसे पिछले तीन साल में 10 लाख करोड़ रुपए से ऊपर की आमदनी हुई थी।

तो हुआ यूं कि वित्त मंत्री ने पहले तो मध्यवर्ग से 10 लाख करोड़ रुपए वसूले और अब उसमें से 18,000 करोड़ रुपए की राहत देने का ऐलान कर दिया है। मोदीनॉमिक्स इसी को कहते हैं।

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