CAA: रिकॉर्ड तोड़ सर्दी और बारिश भी नहीं तोड़ पाई शाहीन बाग़ की महिलाओं का हौसला, महीने भर से जारी है धरना

दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से चल रहा है। इस बार जब दिल्ली-एनसीआर में ठंड ने भी कई रिकॉर्ड तोड़े हैं, ऐसी परिस्थितियों में रातभर लोगों का धरना प्रदर्शन पर डटे रहना भी मायने रखता है।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

दिल्ली के शाहीनबाग में हर रात सैकड़ों लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एकत्रित होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है, “सरकार द्वारा लाए गए नए कानून से लोगों का फायदा होने के बजाय नुकसान होगा। कई मुद्दों के अलावा वे नए नागरिकता कानून को समानता, जीवन एवं स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।” यह प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से चल रहा है। इस बार जब दिल्ली-एनसीआर में ठंड ने भी कई रिकॉर्ड तोड़े हैं, ऐसी परिस्थितियों में रातभर लोगों का डटे रहना भी मायने रखता है।

आप इस प्रदर्शन को चाहे किसी भी तरीके से देखें, मगर जिस तरह शांतिपूर्ण तरीके से लगातार यह प्रदर्शन चल रहा है, उसने ऐसी हलचल मचाई है, जिसका प्रभाव देशभर में पड़ा है। इस प्रदर्शन की खास बात यह है कि करीब 100 मीटर क्षेत्र में लगाए गए अस्थायी टेंट में महिलाएं मोर्चा संभाले हुए हैं। दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली यह करीब 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क नंबर 13ए पिछले साल 15 दिसंबर से ही बंद है।

घरेलू कामों और अन्य जिम्मेदारियों के बीच मुख्य रूप से बुर्का पहने हुईं महिलाएं बड़ी संख्या में उस दिन से मौजूद हैं, जिस दिन से विरोध शुरू हुआ था। धरना स्थल के सामने ही इलाके का प्रमुख बाजार है, जहां प्रदर्शन शुरू होने से पहले तक काफी रौनक रहती थी। अब यहां की दुकानें भी एक महीने से बंद पड़ी हुई हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है शाहीनबाग के अलावा दिल्ली के अन्य हिस्सों से भी लोग इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।


एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सड़क बंद होने से हम भी परेशान हैं। हम भी कठिनाई का सामना करते हैं, क्योंकि दुकानें बंद हैं। लेकिन हम यहां मुख्य रूप से अपने बच्चों के सामने आने वाली सभी बाधाओं के खिलाफ हैं। जैसा कि हम हालिया नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को एक खतरा मानते हैं।”

शाहीनबाग में विरोध पिछले साल दिसंबर में सीएए के पारित होने और 15 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ पुलिस के हस्तक्षेप के साथ शुरू हुआ था। इसके बाद प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है, जिसका असर देश के अन्य स्थानों पर चल रहे प्रदर्शनों पर भी पड़ा है।


एक अन्य महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, “यह प्रदर्शन कुछ लोगों के साथ शुरू हुआ था, जो थोड़े समय के बाद ही बढ़ गया। हमारी लड़ाई संविधान को बचाने की है। आप किसी को भी नागरिकता देने के लिए धर्म को एक शर्त नहीं बना सकते।” वहीं पुलिस ने लोगों से दोबारा अपील की है कि वह सड़क को खाली कर दें, जिससे लोगों को आने-जाने में सहूलियत हो सके।

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Published: 18 Jan 2020, 5:59 PM