राहुल गांधी मामले को लेकर सिविल सोसायटी चिंतित, 1000 लोगों के हस्ताक्षर से जारी बयान में लोकतंत्र बचाने का आह्वान

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मामले को लेकर नागरिक समाज के लोगों ने गहरी चिंता जताई है। करीब 1000 लोगों के हस्ताक्षर से जारी बयान में लोगों से लोकतंत्र बचाने के लिए सामने आने का आह्वान किया गया है।

सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता खत्म किए जाने से साबित होता है कि आज हमारे देश में लोकतंत्र को किस तरह किस तरह के लोग चला रहे हैं। मानहानि के मामले में राहुल गांधी को अधिकतम दो साल की जेल की सजा दी गई है, जिससे फैसले के उद्देश्य पर भी संदेह पैदा होता है। अदालती फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने जिस विद्युत गति से राहुल गांधी को सदन की सदस्यता से वंचित करने का काम किया और उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालत के आदेश पर रुख का इंतजार तक नहीं किया, उससे देश के न्यायविद् भी अचंभित हैं।

दरअसल कानून, राहुल गांधी को दोषी ठहराकर सजा सुनाना और फिर उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दिए जाने से संसद में बैठे लोगों ने न्यायपालिका और संसद दोनों का अपमान किया है। यह बिल्कुल साफ है कि राहुल गांधी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे खुलकर संसद के अंदर और संसद के बाहर सरकार की आलोचना कर रहे थे। ऐसे में यह पूरा मामला न सिर्फ समूचे विपक्ष पर हमला है बल्कि लोकतंत्र के दो स्तंभों न्यायपालिका और संसद को कमजोर करने वाला है।

हम इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि लोगों की तरफ से बोलना और सरकार को उसके कामों के लिए जिम्मेदार ठहराना विपक्ष का कर्तव्य है। अगर न्यायपालिका समेत सभी सरकारी संस्थाएं सिर्फ विपक्ष के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल की जाएंगी तो लोकतंत्र की मृत्यु तय है। हम निरंतर विपक्षी नेताओं का उत्पीड़न देख रहे हैं। कभी जांच एजेंसियां उन्हें परेशान करती हैं तो कभी उन्हें जेल में डाल दिया जाता है।

इसी तरह सत्तारूढ़ दल द्वारा संसद की कार्रयवाही को जिस तरह बाधित किया जा रहा है वह भी चिंताजनक स्थिति है। सदन के सभापतियों द्वारा विपक्षी नेताओं को अपनी बात रखने और लोगों के मुद्दे उठाने नहीं दिया जा रहा है, यह लोकतंत्र का ह्रास है।

राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्यवाही को विपक्षी नेताओं को बदनाम करने और पूरे लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने की कोशिशों के तौर पर देखा जाना चाहिए। हम लोगों से अपील करते हैं कि वे उठें और देश और संसदीय लोकतंत्र को बचाने और अपने नागरिक हितों की रक्षा के लिए सामने आएँ।

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