किसानों के बीच खालिस्तानी हैं? जब दलीलों के बीच SC में फंसी मोदी सरकार! कोर्ट ने कहा- अगर हैं तो दें हलफनामा

सीजेआई ने कहा कि हमारे पास एक आवेदन है, जिसमें कहा गया है कि एक प्रतिबंधित संगठन है जो इस विरोध प्रदर्शन को मदद कर रहा है। अटॉर्नी जनरल इसे स्वीकार करते हैं? इस पर अटॉर्नी ने कहा कि हमने कहा है कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

किसानों और कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरकार को झटका दिया। कोर्ट ने जहां तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए कमेटी गठित करने का आदेश दिया। वहीं, दूसरी तरफ आंदोलन कर रहे किसानों से अन्य मुद्दों पर भी अदालत ने रोशनी डाली और सीधे-सीधे सरकार से सवाल पूछ लिया। सुप्रीम कोर्ट के सवालों से सरकार असहज नजर आई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में खालिस्तानी के होने के आरोप पर सरकार से सवाल पूछा।

खालिस्तानी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमारे पास एक आवेदन है, जिसमें कहा गया है कि एक प्रतिबंधित संगठन है जो इस विरोध प्रदर्शन को मदद कर रहा है। क्या अटॉर्नी जनरल इसे स्वीकार करते हैं? इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमने कहा है कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है। अटॉर्नी जनरल के जवाब में कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार कल (बुधवार) तक इस बारे में हलफनामा दे। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम हलफनामा भी देंगे और आईबी रेकॉर्ड भी जमा कराएंगे।”


गौरतलब है कि बीजेपी के नेता और मंत्री यह आरोप लगा चुके हैं कि आंदोलन करने वाले किसान नहीं हैं, इसमें खालिस्तान, चीन और पाकिस्तान के एजेंट हैं। बीजेपी नेताओं और मंत्रियों की इस तरह की बयानबाजी के बाद किसानों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। किसानों ने सरकार से साफ कहा था कि अगर किसान आंदोलन में खालिस्तानी हैं तो उन्हें पुलिस और सरकार की एजेंसियां पकड़ती क्यों नहीं हैं? किसानों के सवाल पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया, और ना ही आंदोलन स्थल से किसी ऐसे शख्स को पकड़ा गया, जो खालिस्तानी हो या फिर सीधे तौर पर उससे खालिस्तानियों से जुड़ने का आरोप लगा हो। अब जबकि खुद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार से सवाल पूछ लिया है और हलफनामा दायर करने के लिए कहा तो सरकार को यह बताना हो होगा कि आंदोलन में खालिस्तानी कौन हैं?

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