कृषि कानूनों से पहले उद्योगपतियों ने बना लिए थे गोदाम, साफ हो चुकी है सरकार और कार्पोरेट की सांठगांठ: राकेश टिकैत
अगर नए कृषि कानून बनाने से पहले ही बड़े उद्योगपतियों ने गोदाम बनाने शुरु कर दिए, तो साफ है कि सरकार ने ये कानून उद्योगपतियों की सांठगांठ से बनाए हैं। यह बात किसान नेता राकेश टिकैत ने कही। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब जनता इन गोदामों को तोड़ देगी।
भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि नए कृषि कानूनों से पहले ही उद्योगपतियों ने गोदाम बनाने शुरु कर दिए थे, और अब वह दिन दूर नहीं जब जनता इन गोदामों पर धावा बोलेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में एक प्रेस कांफ्रेंस में राकेश टिकैत ने कहा, “पहले व्यापारियों के गोदाम बने फिर उसके बाद कानून लाए गए। इसका मतलब है कि ये तीनों कृषि कानून व्यापारियों की सांठ गांठ से बने हैं। वो दिन दूर नहीं है जब जनता इन गोदामों को तोड़ेगी। इसलिए सरकार इन गोदामों का अधिग्रहण कर ले।”
राकेश टिकैत किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। वह अब दिल्ली की सीमा या गाजीपुर बॉर्डर तक सीमित नहीं हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों की महापंचायत में हिस्सा ले रहे हैं। इन महापंचायतों में भारी तादाद में किसान शामिल हो रहे हैं। इसी क्रम में बागपत पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि, “चौधरी चरण सिंह मंडी एक्ट लेकर आये थे जिसको सर छोटूराम राम ने पंजाब में लागू करवाया। जिसकी वजह से आज पंजाब के किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जाती है।“ उन्होंने कहा कि अगर किसान आंदोलन न होता तो सरकार गन्ने की कीमत बढ़ाने के बजाय घटा देती। टिकैत ने कहा कि जिस दिन ये आंदोलन कमजोर हुआ तो उस दिन किसान मारे जाएंगे। टिकैत ने कहा कि 2021 आंदोलन का साल है और ट्रैक्टर किसानों का प्रतीक बन गया है।”
गौरतलब है कि 90 दिन से अधिक समय से देशभर के किसान दिल्ली से सटी सीमाओं पर बैठकर सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
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