कोविड-19: कितने बुरे हैं हालात और इससे जुड़े कुछ सुलगते सवाल

चीन और कुछ अन्य देशों में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट के सब वेरिएंट ‘BF-7’ के बढ़ते मामलों के बीच भारत में बैठकों का दौर जारी है। त्योहारी सीजन आ रहा है इसलिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर एहतियात जरूरी है। आइए कोविड से जुड़े कुछ सवालों को जवाब जानते हैं।

फोटो: Getty Images
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ऐशलिन मैथ्यू

चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोविड केसों की बढ़ती संख्या की खबरों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि सतर्क और सावधान रहना जरूरी है। उनका कहना है कि चूंकि त्योहारी सीजन आ रहा है इसलिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर एहतियात जरूरी है।

मंडाविया ने बुधवार को बैठक की और आज यानी शुक्रवार को भी बैठक कर स्थिति की  समीक्षा करेंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और कोविड पॉजिटिव केसों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग लैब भेजने को कहा गया है, ताकि किसी भी नए वेरिएंट को, अगर कोई है तो, को ट्रैक किया जा सके। लोकसभा में भी उन्होंने कहा कि वायरस की प्रकृति निरंतर बदल रही है और इससे खतरा हो सकता है, लेकिन फिलहाल चिंता की बात नहीं है।

लेकिन फिर भी हमें सतर्क तो रहना ही है। आइए कोविड से जुड़े कुछ सवालों को जवाब जानते हैं:

सवाल – क्या भारत में कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं? क्या इससे घबराने की जरूरत है?

भारत में कोविड केसों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। 19 दिसंबर को देश में कोविड संक्रमण के सिर्फ 158 केस ही थे। वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट का कहना है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

जाने-माने वायरोलॉजिस्च डॉ टी जैकब का कहना है कि ओमिक्रॉन जानलेवा वेरिएंट नहीं है इसीलिए इस वेरिएंट से संक्रमित होने वालों में मृत्युदर काफी कम है। खासतौर से भारत जैसे देशों में क्योंकि हमारे यहां बुजुर्गों की आबादी बहुत अधिक नहीं है।

सवाल – क्या चीन में आई तेजी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के कारण है या कोई और नया वेरिएंट है?

माना जा रहा है कि कोविड का बीएफ.7 वेरिएंट चीन में केसों को बढ़ा रहा है, लेकिन इस वेरिएंट के केस तो भारत के गुजरात और ओडिशा में जुलाई और सितंबर में ही सामने आ चुके हैं। लेकिन इस वेरिएंट ने दोनों ही राज्यों में संक्रमण में कोई तेजी हीं दिखाई है।

सवाल – भारत में कोविड-19 का सबसे खतरनाक वेरिएंट कौन सा है?

भारत में कोविड-19 का सबसे खतरनाक वेरिएंट ओमिक्रॉन एबी5 है (जोकि बीएफ.7 से संबद्ध है), लेकिन इनकी संख्या बहुत सीमित है

सवाल – क्या लोगों को बूस्टर लेने की जरूरत है?

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि सभी व्यस्को को बूस्टर डोज देने का फैसला साक्ष्यों पर आधारित नहीं है क्योंकि इस डोज़ ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ कोई खास प्रतिरोधक क्षमता नहीं दिखाई है। बुजुर्गों और पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को हेट्रोलोगस वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा सकती है।

सवाल – हेट्रोलोगस वैक्सीन बूस्टर क्या है?

हेट्रोलोगस वैक्सीन बूस्टर में व्यक्ति को बूस्टर डोज के तौर पर उससे भिन्न या अलग वैस्कीन का इंजेक्शन दिया जाता है जो उसने प्राइमरी डोज के तौर पर लिया था। होमोलोगस बूस्टर में व्यक्ति को उसी वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाता है जो उसने प्राइमरी डोज के तौर पर लिया हो।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरबावैक्स को कोविड-19 के हेट्रोलोगस वैक्सी के तौर पर मंजूरी दी है, लेकिन यह सिर्फ इमरजेंसी में इस्तेमाल के लिए है और सिर्फ 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को प्राइमरी वैक्सीन की दोनों डोज (कोवैक्सिन या कोविशील्ड) लेने के 6 महीने बाद दी जा सकती है।

सवाल – कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों और बंद इलाकों में भी मास्क पहनना जरूरी है।

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