नक्सलियों के खिलाफ ऑपेरशन ग्रेविटास-3! CRPF को मिली बड़ी सफलता, दो राज्यों से 14 आईईडी बरामद

नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपेरशन ग्रेविटास-3 के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और झारखंड पुलिस की टुकड़ियों ने श्रृंखला में लगाए गए 12 आईईडी बरामद किए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नक्सल विरोधी अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को एक बार फिर बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल 14 आईईडी बरामद की हैं। ये सभी आईईडी सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए थे। सीआरपीएफ की तरफ से ये जानकारी दी गई है।

सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपेरशन ग्रेविटास-3 के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और झारखंड पुलिस की टुकड़ियों ने श्रृंखला में लगाए गए 12 आईईडी बरामद किए। सीआरपीएफ के अनुसार पहले ऑपेरशन में 209 कोबरा और झारखंड पुलिस की टुकड़ियां पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड के घने जंगलों में काम कर रही थीं। जैसे ही वे रेंगराहातु फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस से लगभग 2 किमी दूर पहुंचे, क्षेत्र को ध्यान से स्कैन करते हुए जवानों ने जमीन में दबा एक आईईडी बरामद किया।

जानकारी के मुताबिक जैसे ही सैनिकों ने आईईडी से निकलने वाले तारों को ध्यान से ट्रैक किया, उन्हें 11 अन्य आईईडी का पता चला। सभी 12 आईईडी श्रृंखला में जुड़े हुए थे, इसका मतलब है कि उन्हें एक साथ विस्फोट किया जा सकता था। इसके बाद बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड ने मौके पर ही आईईडी को नष्ट कर दिया।

वहीं एक अन्य ऑपेरशन में छत्तीसगढ़ में 206 कोबरा बटालियन और छत्तीसगढ़ पुलिस की टुकड़ियों ने एल्मागुंडा फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस के पास के इलाके में एक अभियान चलाया। इलाके में जैसे ही सैनिकों ने सावधानीपूर्वक तलाशी ली, उन्हें एक तार से जुड़ी दो वस्तुओं का पता चला जो आईईडी की तरह दिखाई दे रही थीं। सीआरपीएफ ने बताया कि खोजी कुत्ते बहादुर को आईईडी की पुष्टि के लिए बुलाया गया, जिसने वस्तुओं में विस्फोटक होने का संकेत दिया। इन 2 आईईडी का वजन लगभग 5-5 किलोग्राम बताया जा रहा है, जिसे मौके पर ही ध्वस्त कर दिया गया।

गौरतलब है कि इसके पहले भी झारखंड और छत्तीसगढ़ के इन इलाकों से नक्सलियों के हथियार और आईईडी बरामद किए गए हैं। सीआरपीएफ द्वारा लगातार चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान ने नक्सलियों की कमर तोड़ने का काम किया है और वो क्षेत्र छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं।

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