कोरोना वायरस से संकट में किसान, जल्द हालात नहीं सुधरे तो होगी खाने-पीने की किल्लत

बाहर कमाने गए गरीब तबके के मजदूर लॉकडाउन के कारण घर नहीं पहुंचे हैं और उन्हें फसलों से मजदूरी के रूप में मिलने वाले अनाज खोने का भय बना है। अगर हलात ऐसे रहे तो किसानों के सामने आर्थिक संकट तो पहले से ही है ऐसे में खद्यान का भी संकट हो सकता है।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

कोरोना वायरस से निपटने के लिए उठाया गया लॉकडाउन का कदम किसानों को संकट में डालने वाला साबित हो सकता है। खेतों में खड़ी गन्ने की फसल की कटाई, छिलाई, लदाई और मिल तक पहुंचाने की समस्या से जूझ रहे किसान के सामने अब नया संकट खड़ा है। बालियों से भरी गेंहू की फसल कुछ ही दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाएगी लेकिन इन्हें खोजे मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं। बाहर कमाने गए गरीब तबके के मजदूर लॉकडाउन के कारण घर नहीं पहुंचे हैं और उन्हें फसलों से मजदूरी के रूप में मिलने वाले अनाज खोने का भय बना है। अगर हलात ऐसे रहे तो किसानों के सामने आर्थिक संकट तो पहले से ही है ऐसे में खद्यान का भी संकट हो सकता है। इसमें लाखों हेक्टेयर गेंहू की फसल खड़ी है। वहीं मौसम लगातार करवट ले रहा है, यह भी किसानों के लिए घातक साबित हो सकता है।

कृषि के जानकार आमोकांत ने बताया कि ज्यादातर मार्च के अंतिम हफ्ते से ही गेंहू की कटाई का काम शुरू होने लगता है। लेकिन इस बार कोरोनावायरस फैलने के कारण मजदूर नहीं मिलने से किसानों को परेशानी हो रही है। जो मशीन बाहर से कटाई के लिए आनी हैं उन्हें भी रोका जा रहा है। इससे गांवों में मशीनें भी नहीं पहुंच पा रही है। इसके अलावा जो मजदूर होली के बाद गांव में सिर्फ फसल कटाई करके ही जीवन यापन करता है, उस पर पहरा लगा हुआ है। अगर सप्ताह भर में फसल नहीं काटी गई तो किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। गन्ना किसानों के लिए बहुत सारी समस्याएं हैं।


भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरनाम वर्मा ने बताया कि जमीनी हकीकत यह है कि पशु पालक के पास जानवरों का राशन नहीं है। वह लॉकडाउन के कारण बाहर नहीं जा पा रहे हैं। इसके अलावा आलू खोदाई करने वाले किसानों को पुलिस परेशान कर रही है। मसूर और सरसों की कटाई का समय है। ऐसे में मशीन और मजदूर वहां तक नहीं पहुंच पाए तो निश्चित तौर पर किसानों पर आर्थिक संकट आएगा। इसके कारण खद्यान में भी संकट आएगा। सरकार का पैकेज किसानों तक पता नहीं कब पहुंचेगा। किसानों का सैनिटाइजर और सुरक्षित करते हुए उन्हें अपने काम की छूट दी जाए।

योजना आयोग के पूर्व सदस्य और कृषि के जानकार प्रो. डॉ. सुधीर पांवार ने बताया कि इस बार किसानों की ओला बारिश की मार से 20 से 30 प्रतिशत कृषि बर्बाद हो गई है। इसके मुआवाजा की प्रक्रिया चल रही थी। तभी लॉकडाउन हो गया। मार्च के आखिरी समय में यह गन्ना और आलू का समय है। इसमें किसानों को परेशानी बढ़ी है। हालांकि, सरकार ने इसमें कुछ छूट दी है। उधर सरकार ने बीज, खाद और कीटानाशक दवाओं की दुकानों के खोलने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस अधीक्षकों को जारी निर्देश में कहा है कि कृषि कार्य में लगे वाहनों को और खाद बीज आदि के आपूर्तिकर्ताओं के अवागमन को ना रोका जाए।

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