कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि कोरोना संकट में सरकार का रवैया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी रहा है। इसे किसी तरह माफ नहीं किया जा सकता। सोनिया गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में मोदी सरकार की नाकामियां गिनाते हुए उन उपायों को सामने रखा जो इस समय अपनाए जाने चाहिए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि विपक्ष के तौर पर कांग्रेस पार्टी इस संकट की घड़ी में सरकार के साथ है और उसे हर संभव मदद देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारी भूमिका दोहरी है जिसमें हमें सरकार को उसकी जिम्मेदारी का ऐहसास कराना है और साथ ही लोगों की मदद भी करनी है। उन्होंने कहा, "देश इस समय सबसे भयावह जन स्वास्थ्य संकट से दो-चार है। ऐसे में मैं मानती हूं कि हमारी भूमिका दोहरी है। पहली तो यह कि हम पारदर्शता और जिम्मेदारी पर जोर दें और लोगों के साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाएं कि वह लोगों के स्वास्थ्य, उनकी जान की चिंता करे क्योंकि इस समय उससे महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। लेकिन आज नेतृत्व की कमी जो हम महसूस कर रहे हैं वह बहुत ही परेशान करने वाला है। ऐसा लगता है कि लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है और शासन तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है और अपनी जिम्मेदारी से मुंह चुरा रहा है। ऐसे में विपक्ष द्वारा लोगों की तकलीफें सुनना और उनके गुस्से और निराशा को सरकार के सामने रखना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। हम सरकार पर तब तक दबाव डालते रहेंगे जब तक वह काम शुरु नहीं करती। अभी भी देर नहीं हुई है, समय पर उठाए गए कदम, नेतृत्व और कोविड प्रबंधन से लाखों लोगों की जान बच सकती है।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

उन्होंने कहा कि, "दूसरी बात यह कि हमारे कार्यकर्ता और नेता देश भर में जितना हो सकता है लोगों की मदद कर रहे हैं। कांग्रेस ने हर राज्य में कंट्रोल रूम बनाए हैं और लोगों की मदद कर रहे हैं। युवा कांग्रेस सहित कांग्रेस के सभी फ्रंट लोगों तक पहुंच रहे हैं, हम अपने संसाधनों को बढ़ा रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों तक अस्पताल बेड दिलवाने . ऑक्सीजन और दवाएं आदि पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं लगातार अपनी राज्य सरकारों और अपनी पार्टी के साथियों के साथ संपर्क में हूं।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

कोरोना संकट से निपटने में केंद्र सरकार के तौर-तरीकों पर सोनिया गांधी ने कहा कि, "कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मोदी सरकार की प्रतिक्रिया बहुत ही घातक और विध्वंसकारी रही है। सरकार ने गंभीरता की अनदेखी की और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया। सरकार का पूरा ध्यान सिर्फ विधानसभा चुनावों पर था, जबकि इस वक्त में तो लीडरशिप दिखाते हुए लोगों की मदद के लिए सरकार को खड़ा होना था। हालात बिगड़ने के बावजूद सरकार का रवैया पक्षपातपूर्ण और एकतरफा है। उनके इस दोहरे रवैये को माफ नहीं किया जा सकता।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

उन्होंने कहा कि, "लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। सरकार ने पूरी तरह निराश किया है। कोई तैयारी या रणनीति है ही नहीं। सरकार के अपने सीरो सर्वे ने चेताया था कि कोरोना की दूसरी लहर आने वाली है। संसदीय समिति ने 120 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप कर संकट से निपटने के उपाय बताए थे। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने सरकार को बार-बार चेताया था, लेकिन सरकार ने इन तीनों को नजरंदाज कर दिया, और उलटा हमें ही लोगों में भय फैलाने के लिए दो। ठहराया जा रहा है।"

सोनिया गांधी ने कहा कि, "सरकार ने इस दौरान कोई नई सुविधा तैयार नहीं की। अस्पतालों में बेड की संख्या नहीं बढ़ाई गई। मेडिकल सेक्टर को आर्थिक तौर पर मदद नहीं दी गई। दवाओं के प्रावधान नहीं किए गए। प्रवासी मजदूरों को आर्थिक मदद नहीं दी गई और इनकम सपोर्ट के तौर पर उन्हें दिए जाने वाले 6000 रुपए का भुगतान नहीं हुआ। आज सरकार ने देश को वैक्सीन और ऑक्सीजन का आयातक देश बनाने की पहल कर दी है जबकि हम जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन और वैक्सीन का उत्पादन करते हैं। उन्होंने बिना भारतीयों की चिंता किए रेमडिसिविर के 11 लाख इंजेक्शन निर्यात कर दिए।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि, "सरकार हर मोर्चे पर विफल हुई है। विपक्षी दल होने के बावजूद मेरे मन में उनके लिए प्रतिशोध की भावना नहीं है। मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं और सरकार ने जो कुछ किया है, बल्कि यह कहें कि जो कुछ नहीं किया है, उससे बहुत ज्यादा गुस्सा भी हूं। यह बेहद दुखद है कि हम इस स्थिति को पहुंच गए हैं। लोगों की जान जा रही है और जो लोग सत्ता में हैं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और हैं।" उन्होंने कहा कि, "वायरस किसी भी राजनीतिक दल को नही पहचानता है। पहले दौर में जिन राज्यों में कोरोना का असर सर्वाधिक था वे गेर-बीजेपी शासित राज्य थे, लेकिन अब उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी कोरोना के आंकड़े भयावह हो रहे हैं। ऐसे में कोरोना संकट से निपटने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर नहीं उठना चाहिए?"

सोनिया गांधी ने कहा कि "वायरस हर जगह है। बीते एक साल से कांग्रेस पार्टी ने सरकार को अपना पूरा समर्थन दे रखा है, इस संकट के लिए। हमारा मानना है कि कोरोना से लड़ाई उनकी या हमारे बीच की लड़ाई नहीं है। यह राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर की लड़ाई है। हमें इसे मिलकर लड़ना होगा। मोदी सरकार को समझना होगा यह कोविड के खिलाफ लड़ाई है न कि कांग्रेस या किसी अन्य विपक्षी दल के खिलाफ।" उन्होंने कहा, "डॉ मनमोहन सिंह और मैंने जो सुझाव भेजे उस पर मोदी सरकार ने जो प्रतिक्रिया दी है, उससे मैं बहुत दुखी हूं। मोदी सरकार के मंत्री द्वारा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाना क्या सही है? क्या विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों की गलतियां तलाशना सही है? होना तो यह चाहिए था कि केंद्र सरकार मदद के लिए आगे आती।"

उन्होंने कहा कि, "अगर सरकार हमारा साथ मांगती है तो हम निश्चित रूप से सरकार के साथ हैं। इसीलिए हम लगातार प्रधानमंत्री को सुझाव भेजते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के पास सरकार चलाने और आपदा प्रबंधन का वर्षों का अनुभव है।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने सरकार को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि, "वैसे तो बहुत सारे मुद्दे पर जिनपर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। इनमें ऑक्सीजन का प्रावधान, दवाओं का कालाबाजारी पर रोक, अस्पतालों में बेड की उपलब्धता, होम केयर के प्रोटोकॉल, वैक्सीनेशन, जल्द से जल्द टेस्ट और ट्रेसिंग, जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता, और आम कोविड मैनेजमेंट के अलावा जेनेटिक सीक्वेसिंग करने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा कि, "फिर भी मैं कुछ सुझाव और देना चाहती हूं- इस समय सारे संसाधनों का इस्तेमाल देश भर के अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में किया जाना चाहिए। देश भर से खबरें आ रही हैं कि ऑक्सीजन न मिलने से मरीजों की मौत हो गई। इसके लिए किसी को तो जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारत ऑक्सीजन उत्पादन में दुनिया का सबसे अग्रणी देश है। हम हर दिन 7500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है। ऐसे में सरकार को बताना होगा कि आखिर ऑक्सीजन की कमी क्यों है।" उन्होंने दोहराया कि, "संसदीय समिति ने 21 नवंबर 2020 को सरकार को बताया था कि पर्याप्त ऑक्सीजन का प्रावधान किया जाए। सरकार ने इस पर कोई अमल क्यों नहीं किया?"

सोनिया गांधी ने सुझाव दिया कि इस समय सरकार और उद्योगों के सभी संसाधनों को मिलाकर अस्पतालों में बेड बढ़ाने और अस्थाई सुविधाएं स्थापित करने का काम युद्ध स्तर पर करना होगा। लेकिन सरकार ने यह मान लिया था कि कोरोना काबू में आ चुका है और असर में जनवरी 2021 में कोविड बेड की संख्या में कमी आ गई। और अब तो बहुत भारी कमी सामने है।

एक अन्य सुझाव में उन्होंने कहा कि, "टेस्टिंग में तेजी लानी होगी। पारदर्शिता के साथ असली डेटा सामने रखा जाए ताकि लोग कोविड नियमों का गंभीरता से पालन करें। अगर आप आंकड़े छिपाएंगे तो इससे आप असलियत में महामारी को काबू में नहीं कर पाएंगे।" सोनिया गांधी ने कहा कि, "जितनी असंवेदनशील और पक्षपातपूर्ण वैक्सीन नीति मोदी सरकार ने अपनाई है, ऐसा दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता। विडंबना है कि हम एक देश हैं लेकिन दो वैक्सीन निर्माताओं द्वारा वैक्सीन की पांच कीमतें सामने रखी गई हैं। इस दुस्साहसी मुनाफाखोरी पर ऐसे में सरकार मूक दर्शक कैसे बनी रह सकती है। ऐसे में तो यही कहा जाएगा कि सरकार लोगों की जान की कीमत पर मुनाफाखोरी को बढ़ावा दे रही है।"

कोरोना संकट में सरकार की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी, इसे माफ नहीं किया जा सकता: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि, "हमें नहीं भूलना चाहिए कि वैक्सीन उत्पादन में हम दुनिया के सबसे बड़े देश हैं और यह क्षमता बीते 70 सालों में तैयार हुई है। हमने 1980 के दशक में ही बीसीजी वैक्सीन का निर्यात शुरु कर दिया था। यहां तक की कोरोना वैक्सीन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सरकार से महीनों पहले ही भारतीय कंपनियों से ही वैक्सीन मंगवाई। लेकिन हमारी सरकार ने वैक्सीन का पहला ऑर्डर जनवरी में दिया और वह भी सिर्फ 1.1 करोड़ का। इतना ही नहीं, सरकार को उम्मीद थी कि जनवरी और मार्च के बीच में 6 करोड़ लोगों को वैक्सीन दे दी जाएगी, लेकिन 4 करोड़ से भी कम लोगों को वैक्सीन दी गई। सरकार की तरफ से मंजूरी देने में देरी और अत्यधिक केंद्रीकृत व्यवस्था के चलते ऐसा हो रहा है।"

उन्होंने कहा कि, "नई वैक्सीन नीति के तहत हमारे अपने नागरिक अपने ही देश की वैक्सीन के लिए अधिक पैसे देंगे जबकि विदेशों को यह सस्ते में मिलेगी। इसे कैसे सही ठहराया जा सकता है? सरकार को तो पूरे देश के वैक्सीनेशन का खर्च उठाना चाहिए। यही सही तरीका होता। लेकिन सरकार ने युवाओं के साथ ही पक्षपात करते हुए उन्हें 18 से 45 वर्ष के आयुवर्ग में बांट दिया। सरकार ने अपने ही लोगों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है।"

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