मुरादनगर हादसे की ग्राउंड रिपोर्ट: जिंदगी बचाने श्मशान पहुंचे थे ‘चर्च’-‘मदीना‘ के ‘फरिश्ते’, मची थी चीख-पुकार

पीटर मुरादनगर की चर्च कॉलोनी में रहते हैं। उनका घर इस शमशान के सबसे करीब है वो कहते हैं जब ये शमशान घाट की बिल्डिंग पर लेंटर डाला जा रहा था तो पड़ोस के लोग ख़राब माल की चर्चा करते थे।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

यूपी के मुरादनगर में शमशान घाट में हुए हादसे में अब तक 25 लोगों को मौत हो चुकी है। यह संख्या 40 तक हो सकती थी। अगर ऐसा नही हुआ तो इसकी सबसे बड़ी वज़ह शमशान घाट के करीब की दो कॉलोनी 'चर्च' और 'मदीना'। मुरादनगर में यह शमशान घाट इन दोनों कॉलोनियों के बिल्कुल पास है। नज़दीकी इतनी है कि इन दोनों बस्तियों के कई घरों की दीवार शमशान से मिलती है। इन दोनों बस्तियों से सैकड़ों लोग एक मिनट में मदद के लिए पहुंच गए थे। वहीं एनडीआरएफ टीम को यहां पहुंचने में एक घण्टे से ज्यादा वक्त लगा और स्थानीय पुलिस टीम पहली यूनिट को 10 मिनट।

पीटर बताते हैं, “बारिश हो रही थी और वो घर पर चाय पी रहे थे। धड़ाम की आवाज के साथ ज़मीन हिल गई और हमारा घर भी दहल गया। मेरी चाय का कप उछल कर ज़मीन पर गिर गया। चींखें सुनाई दी तो हम दीवार फांद कर श्मशान में घुस गए। बहुत भयानक मंजर था। लोग मलबे के नीचे दबे हुए थे। उनकी चीख भी नही निकल रही थी। जो लोग बाहर थे वो बदहवास थे और बुरी तरह तड़प रहे थे। एक ही मिनट यहां मददगारों की भीड़ लग गई। हमारे यहां चर्च कॉलोनी और मदीना मौहल्ले के सैकड़ों युवकों को आने में समय नही लगा। शमशान में पहली बार हिंदुओं से बड़ी संख्या में पहली बार मुसलमान और ईसाई थे। वो अज़ीब ही मंजर था। हमारे हाथों में ताक़त आ गई थी। हमने पत्थर तोड़ डाले और लोगों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। मैंने खुद अपने हाथों से 7 लोगों को बाहर निकाला। इसमे मेरी जहांगीर खान और दिनेश शर्मा ने मदद की। हम तीनों पड़ोसी है और इंसानियत को बचाने के लिए एक साथ जुटे थे।”

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

पीटर मुरादनगर की चर्च कॉलोनी में रहते हैं। उनका घर इस शमशान के सबसे करीब है वो कहते हैं जब ये शमशान घाट की बिल्डिंग पर लेंटर डाला जा रहा था तो पड़ोस के लोग ख़राब माल की चर्चा करते थे। अफ़सोस यह भी है लोग आशंकित थे और एक स्थानीय नागरिक ने इसकी शिकायत भी की थी, फिर भी मौत को रोका नही जा सका।

मदीना कॉलोनी के रहने वाले जहांगीर खान डेढ़ घण्टे तक शमशान में लोगों को बचाने के लिए जूझते रहे। जहांगीर बताते हैं कि उनका घर मदीना कॉलोनी में है, सच यह है वो पहली बार शमशान घाट के अंदर गए। जहांगीर बताते हैं कि हमने एक अजीब मंजर देखा, जब वो अपने साथियों समीर, जावेद, शोएब और शाहिद के साथ के साथ एक लेंटर के टुकड़े को उठा रहा था तो उसके नीचे से एक युवक निकला और 'भूत भूत ' चिल्लाता हुआ भाग गया। वो बहुत ही तेज़ भागा। इस हादसे का उसके दिमाग पर गहरा असर हुआ था। जहांगीर बताते हैं उन्होंने सुना था कि कुछ लोग कहते हैं कि शमशान में नही जाना चाहिए। हम कभी यहां आए भी नही है मगर लोगों को मुसीबत में देखकर हम खुद को रोक नही पाएं। पुलिस के आने तक हम चार लोगों को निकाल चुके थे। हम खुद की भी परवाह नही कर रहे थे। फिर पुलिस आ गई और उन्होंने हमें माइक से सावधानी बरतते हुए मदद करने के लिए निर्देशित किया।


शमशान घाट में मौजूद रहे संजय कश्यप बताते हैं कि अगर ये लोग न आते तो लोग तड़प-तड़प कर मर जाते। उन्होंने यह दर्दनाक मंजर अपनी आंखों से देखा है। कुछ की आंत बाहर निकल गई और एक का दिल फट गया था। बहुत बुरा मंजर था। इनमे मेरे एक ताऊ जी भी थे। संजय बताते हैं कि उन्हें देखकर वो जहांगीर खान के गले से लगकर बुरी तरह रोए। वो कहते हैं मैंने इन लोगों की हिम्मत देखी। मैं इन्हें सलाम करता हूं हथौड़े ऐसे चला रहे थे जैसे वो फूल के हो। बारिश हो रही थी, किसी ने भी अपनी सेहत की परवाह नहीं की, वो भीगते रहे और जिंदा, मुर्दा लाशों को बाहर निकालते रहे। मैंने जो देखा है उससे मैंने एक सीख ली है। मैं जिंदगी भर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का भेदभाव नही करूंगा और इंसानियत को सबसे बड़ा मजहब मानूंगा। चर्च कॉलोनी और मदीना मौहल्ले के ये लोग फरिश्ते थे। वो पलक झपकते ही यहां दिखाई दिए।

मुरादनगर में हुए शमशान घाट के इस हादसे के बाद यहां जबरदस्त गुस्सा है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि शमशान घाट के इस निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और नियमों को ताक पर रखकर शातिराना तरीके से अपनी पसंद के ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए ठेका दिया गया। इसी गुस्से के चलते सोमवार को यहां पीड़ितों के परिवार वालों ने 5 घण्टे से अधिक समय तक सड़क पर जाम भी लगाए रखा।

समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी आशु मलिक मुरादनगर में ही रहते वो उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि यह सरकारी हत्याएं हैं। ये सभी निर्दोष लोग सरकारी तंत्र और ठेकेदार की मिलीभगत से पनपे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। सच यह है कि इस सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने का इनका नारा एकदम खोखला है। सच तो यह है कि इस पार्टी के लोगों को सिर्फ नफ़रत की दीवार मजबूत बनानी आती है और कोई दीवार इनसे बनती नही हैं। अभी इनकी सरकार में पुल गिर रहे थे अब शमशान घाट में भी भ्रष्टाचार की बात असहनीय है।

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Published: 05 Jan 2021, 11:33 AM