भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में हरियाणा कांग्रेस का राजभवन तक विरोध मार्च! किसान आंदोलन को लेकर खट्टर सरकार को घेरा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल पर मिलने का समय ना देने का आरोपर लगाया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रतिपक्ष को मिलने का समय ना देकर राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही किसान आंदोलन को लेकर भी खट्टर सरकार पर हमला बोला

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने राजभवन तक पैदल मार्च किया। मार्च को राजभवन के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग करके रोक दिया। बारिश के बीच कांग्रेस विधायक राजभवन के पास बैरिकेडिंग पर खड़े रहे। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा कि वह लगातार राज्यपाल से मिलने के लिए वक्त देने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि प्रजातंत्र में सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष दोनों का अपना-अपना महत्व है। जनता की आवाज़ राज्यपाल तक पहुंचाना प्रतिपक्ष का संवैधानिक अधिकार है और प्रतिपक्ष की बात सुनना राज्यपाल का कर्तव्य है। लेकिन प्रतिपक्ष को मिलने का समय ना देकर राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा कि कांग्रेस राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है, ताकि प्रदेश के मौजूदा हालात और किसानों के मुद्दे पर चर्चा की जा सके। इस सत्र में कांग्रेस एपीएमसी एक्ट में एमएसपी गारंटी का संशोधन और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। क्योंकि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि जनविरोध के चलते मुख्यमंत्री, मंत्री और सरकार समर्थित विधायक अपने चुनाव क्षेत्रों में जाने से भी बच रहे हैं। इस बीच सत्ता समर्थित कुछ विधायक जनता के बीच में सरकार के विरोध की बात करते हैं, लेकिन चडीगढ़ आकर उसी सरकार को समर्थन देते हैं।

हुड्डा ने आगे कहा कि अविश्वास प्रस्ताव से साफ हो जाएगा कि कौन-सा विधायक जनता के साथ है और कौन-सा सरकार के साथ। सरकार इस अविश्वास प्रस्ताव से इसलिए डरी हुई है, क्योंकि अगर विधानसभा में यह प्रस्ताव आता है तो जनता सत्ताधारी विधायकों पर जनविरोधी सरकार के खिलाफ वोट देने का दबाव बनाएगी। अगर अविश्वास प्रस्ताव में सरकार गिरती है तो इससे केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा और वह किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर हो जाएगी। इसी डर से ही विधानसभा स्पीकर ने कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को बिना कोई नोटिस या वक्त दिए उनकी सदस्यता रद्द कर दी।

अभय चौटाला के इस्तीफे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि साल 2000 में जब इनेलो सरकार के दौरान कंडेला में किसानों को गोलियों से भूना जा रहा था, तब उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया। इस अविश्वास प्रस्ताव से उन लोगों का सच सबके सामने आ जाएगा जो किसान आंदोलन की आड़ में सिर्फ राजनीतिक खेल खेल रहे हैं और सरकार के साथ अप्रत्यक्ष गठबंधन चला रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐलनाबाद और कालका की सीट खाली होने से सरकार को कुछ राहत जरूर मिली होगी। लेकिन इस तरह की सरकारें अपने ही बोझ से गिर जाया करती हैं।

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