हरियाणाः खट्टर सरकार का किसानों पर चाबुक, धान की फसल खत्‍म करने वाली नीति लागू, विरोध में आई कांग्रेस

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 3 जून, 2020 को धान की खेती को तहस-नहस करने वाली और किसान की रोटी छीनने वाली ‘नई राईस शूट’ नीति को जारी कर दिया। इस राईस शूट नीति का लक्ष्य हरियाणा में धान की खेती पूर्णतया खत्म करना और किसान के पेट पर लात मारना है।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा सरकार की मंशा पूरी तरह साफ हो गई है। कोरोना संकट में किसानों की कमर टूटने के बावजूद खट्टर सरकार किसी भी हालत में राज्‍य की प्रमुख फसल धान को खत्‍म करने पर तुली है। पहले गिरते भू-जल के नाम पर प्रदेश के धान पैदा करने वाले बड़े क्षेत्र में बुआई पर ही पाबंदी लगा दी गई। अब नई राईस शूट (बरसाती मोगे) नीति लाकर किसानों को पूरी तरह मुसीबत में फंसा दिया है।

नई राईस शूट (बरसाती मोगे) नीति के तहत 20 एकड़ से कम भूमि पर प्रदेश में राईस शूट दिया ही नहीं जाएगा। उसमें भी शर्त है कि 15 एकड़ से अधिक भूमि पर किसान धान नहीं लगाएगा। कांग्रेस ने इसे खट्टर सरकार की नादिरशाही नीति करार देते हुए, उसे किसानों की रोजी-रोटी छीनने पर आमादा बताया है।

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा के इतिहास में खट्टर सरकार सबसे बड़ी ‘किसान और धान विरोधी’ सरकार साबित हुई है। लगता है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार उत्तरी हरियाणा के किसानों, खासकर कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-अंबाला-यमुनानगर की रोजी-रोटी छीन कर खेती पर पूरी तरह से ‘तालाबंदी’ करना चाहती है। खट्टर सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक हरियाणा में 35.13 लाख एकड़ भूमि में धान की खेती की जाती है और हरियाणा हर साल 50 लाख टन धान पैदा करता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 3 जून, 2020 को धान की खेती को तहस नहस करने वाली और किसान की रोटी छीनने वाली ‘नई राईस शूट’ नीति को जारी कर दिया। इस राईस शूट नीति का लक्ष्य हरियाणा में धान की खेती पूर्णतया खत्म करना और किसान के पेट पर लात मारना है।

उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेश में गिरते भू-जल का संकट है, तो दूसरी तरफ दादूपुर नलवी रिचार्ज कैनाल जबरन बंद की जा रही है। एक तरफ 50 बीएचपी की ट्यूबवेल मोटर के कनेक्शन काटे जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ बरसाती मोगे यानि राईस शूट बंद कर किसान को ट्यूबवेल यानि भू-जल दोहन के सहारे छोड़ा जा रहा है। साफ है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ‘दो कदम आगे और दो सौ कदम पीछे’ ले जाने की नीति पर चल रही है।

चौंकाने वाली बात यह है कि खट्टर सरकार द्वारा इस नीति को बनाने के दो मुख्य कारण बताए गए हैं। पहला, हरियाणा धान की खपत से ज्यादा धान पैदा करता है। दूसरा, हरियाणा में उगाए जाने वाले बासमती धान और 1121-1509 बासमती वैरायटी के धान का विदेशों में निर्यात किया जाता है। हरियाणा के द्वारा पूरे देश का पेट भरना, देश के लिए विदेशी मुद्रा कमाना और हरियाणा का सबसे बड़ा चावल-राईस शैलर उद्योग चलाना अब खट्टर सरकार के लिए प्रोत्साहन की बजाय अपराध बन गया है।

खट्टर सरकार की राईस शूट नीति की ‘तालिबानी शर्तें’

  • भाखड़ा कमांड सिस्टम में नए ‘राईस शूट’ बिल्कुल खत्म कर दिए गए हैं (केवल जहां यमुना या घग्घर नदी का पानी मिलेगा, वह इलाका अपवाद रहेगा)।
  • 20 एकड़ से कम भूमि पर पूरे हरियाणा में राईस शूट नहीं दिया जाएगा। वहां भी यह शर्त रहेगी कि 20 एकड़ में से 15 एकड़ से अधिक भूमि में धान नहीं लगाया जा सकता।
  • वेस्टर्न यमुना कैनाल सिस्टम (यमुना नगर-करनाल-पानीपत-जींद-रोहतक इत्यादि) में राईस शूट के लिए हर साल आवंटित पानी की मात्रा क्रमशः 10 प्रतिशत, 5 प्रतिशत कम कर साल 2024 तक 25 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक कम कर दी जाएगी।
  • साल 2020 से हर साल पुराने राईस शूट की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती की जाएगी और 2022 के बाद कोई पुराना राईस शूट नहीं दिया जाएगा। नए राईस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे।
  • भाखड़ा सिस्टम (कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद इत्यादि) में भी राईस शूट के लिए 10 प्रतिशत पानी को कम कर साल 2024 तक 3 प्रतिशत तक घटा दिया जाएगा।
  • दो साल में यानि साल 2020 और 2021 के बाद सब पुराने राईस शूट खत्म कर दिए जाएंगे। नए राईस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे।
  • 10 क्यूसेक से कम के सब रजबाहों पर कोई राईस शूट नहीं दिया जा सकता।
  • राईस शूट की फीस में 100 प्रतिशत वृद्धि कर 300 रुपये प्रति एकड़ यानि कम से कम 6000 रु. (300X20 एकड़) कर दी गई है।

ज्ञात रहे कि उत्तरी हरियाणा यानि कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-पानीपत-अंबाला-यमुनानगर में पहले ही नहरें 24 दिन बंद रहती हैं और 7 दिन चलती हैं। ऊपर से किसान को मिलने वाले राईस शूट को खत्म करना पूरे धान की खेती पर निष्ठुर मार मारने जैसा है।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री को हम चुनौती देते हैं कि इस राईस शूट नीति पर वह मुझसे और उत्तरी हरियाणा के किसानों से सार्वजनिक तौर पर खुली बहस करें, ताकि सरकार की नादिरशाही नीति का पूरी तरह से पर्दाफाश हो।

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Published: 05 Jun 2020, 8:30 PM