बिलकिस बानो के दोषी फिर जाएंगे जेल? रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर है याचिका, आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल करके जिन तीन महिलाओं ने गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी है, उनमें सीपीएम नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली, मानवाधिकार कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा और जर्नलिस्ट एवं लेकिका रेवती लाल शामिल हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है। याचिका में गुजरात सरकार के आदेश को रद करने की मांग की गई है। वहीं दूसरी ओर 11 दोषियों की रिहाई को लेकर देश के लोग गुस्से में है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि वो सजा में मिली छूट को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि एक गर्भवती महिला से रेप हुआ और उसके परिवार के 14 लोग मारे गए। उनकी दलील पर चीफ जस्टिस एनवी रमन ने कहा कि हम इस मामले को देखेंगे।

किन तीन महिलाओं ने दी गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती?

सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल करके जिन तीन महिलाओं ने गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी है, उनमें सीपीएम नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली, मानवाधिकार कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा और जर्नलिस्ट एवं लेकिका रेवती लाल शामिल हैं। इनकी वकील अपर्णा भट हैं। आपको बता दें इन सभी 11 दोषियों को 9 जुलाई 1992 के पॉलिसी रिजोलूशन नियम के तहत रिहा किया गया है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी तत्काल सुनवाई पर राजी हो गए हैं। वहीं याचिकाकर्ताओं की मांग है कि दोषियों को फिर से गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए। उनका कहना है कि मामले की जांच सीबीआई ने की थी और सीबीआई कोर्ट ने ही उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी। ऐसे में गुजरात सरकार खुद से फैसला नहीं ले सकती बल्कि इसके लिए सीआरपीसी की धारा 435 के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी जरूरी है। याचियों ने अपनी याचिका में कहा है कि दोषियों का अपराध बहुत ही गंभीर है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार की सजा माफी नीति में रेप के दोषियों को बाहर रखा गया है।

क्या है मामला?

गौरतलब है कि 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगाइयों ने बिलकिस का सामूहिक बलात्कार किया था। उस समय वह 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी। उसके परिवार के सात सदस्यों की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी। उनका मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट के कहने पर मुकदमे को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था।

21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या मामले में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उनकी सजा को बरकरार रखा था। लेकिन, 14 साल बाद, गुजरात सरकार द्वारा गठित एक पैनल द्वारा सजा की छूट के लिए उनके आवेदन को मंजूरी देने के बाद सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया।

दोषियों की रिहाई पर बिलकिस बानो ने क्या कहा था

दोषियों को रिहा किये जाने के फैसले के बाद बिलकिस बानो ने कहा था कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा । गुजरात सरकार से इसे बदलने और ‘बिना डर के शांति से जीने’का अधिकार देने को कहा। बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा ने कहा था कि दो दिन पहले 15 अगस्त, 2022 को जब मैंने सुना कि मेरे परिवार और मेरी जिन्दगी बर्बाद करने वाले, मुझसे मेरी तीन साल की बेटी को छीनने वाले 11 दोषियों को आजाद कर दिया गया है तो 20 साल पुराना भयावह अतीत एक बार फिर सामने आ गया है।

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