आफत की बारिश से IT हब बेंगलुरु का बुनियादी ढांचा ‘पानी-पानी’, जानें, ऐसी हालत के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार?

बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में ऐसी हालात होने की सिर्फ एक ही कारण है कुव्यवस्था। खराब बुनियादी ढांचा, खराब ड्रेनेज और नालों का रखरखाव में कमियों के चलते आईटी हब बेंगलुरु पानी-पानी हो चुकी है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारी बारिश ने आईटी हब बेंगलुरु के बुनियादी ढांचे को तार-तार कर दिया है। बारिश, जलभराव और कुव्यवस्थाओं के चलते भारतीय का आईटी हब घुटनों के बल हो गया है। कई इलाके जलमग्न हैं, कई सड़कों पर जलभराव हैं, दर्जनों इलाकों में पीने का पानी तक नहीं है क्योंकि जलभराव के चलते सप्लाई बंद कर दी गई है। बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में ऐसी हालात होने की सिर्फ एक ही कारण है कुव्यवस्था। खराब बुनियादी ढांचा, खराब ड्रेनेज और नालों का रखरखाव में कमियों के चलते आईटी हब बेंगलुरु पानी-पानी हो चुकी है।

बेंगलुरु में आफत क्यों बन रही बारिश?

बेंगलुरु में आफत की बारिश के बाद सड़कें समंदर बन गई हैं, इसका जो हाल हुआ है। उसके कई कारण हो सकते हैं।

पहला कारण है कि खराब बुनियादी ढांचा। बेंगलुरु में बारिश बाद बने हालात का एक कारण बुनियादी ढांचे की कमी भी माना जा रहा है। भारी बारिश के कारण बेंगलुरु की आउटर रिंग रोड पर भारी जलभराव हो गया है, जो शहर को अपने टेक पार्क से जोड़ता है। इसका प्रमुख कारण बुनियादी ढांचे की कमी है।

न्यूज वेबसाइट फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, एक कार्यकर्ता नागेश अरास ने न्यूज मिनट को बताया कि 2005 में, 110 गांवों को बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका में मिला दिया गया था, लेकिन नगर निगम ने गांवों को शहर के सीवेज सिस्टम से जोड़ने की जहमत नहीं उठाई। बारिश के पानी के साथ सीवेज का पानी मिल जाता है और आउटर रिंग रोड पर फैल जाता है।"

इसके अलावा, सड़क पर बहता हुआ पानी एक बांध की तरह काम करता है। पुलियों की कमी के कारण, बारिश का पानी और सीवेज का पानी का साथ में बहता है, जिससे जलभराव हो जाता है।


दूसरा कारण: बेंगलुरु में बाढ़ का एक और कारण खराब ड्रेनेज सिस्टम है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अचानक और भारी बारिश से निपटने के लिए शहर ड्रेनेज सिस्टम बेहद खराब है। अक्सर नालियों में कचरा जमा हो जाता है, जिसकी समय पर निकासी नहीं हो पाती है। जो सीवेज के प्रवाह को रोक देती हैं और जब अचानक से ढेर सारा पानी बहता है तो सड़कें ब्लॉक हो जाती हैं। क्योंकि पानी को निकलने की जगह नहीं मिलती।

तीसरा कारण: नालों के साथ एक और समस्या उनके रखरखाव की है। सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बीबीएमपी ने साल 2019-20 से नाले के रखरखाव के लिए ठेका किसी और को दिया हुआ है। लेकिन यह शहर के कुल नालों का केवल 45 प्रतिशत ही कवर करती है।

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भारतीय विज्ञान संस्थान के डॉ टीवी रामचंद्र ने जानकारी दी है कि यह हर बार एक ही कहानी है। रामचंद्र का कहना है कि बेंगलुरु की कंक्रीट और पक्की सतहों में 78% की वृद्धि हुई है, जिससे जल निकासी व्यवस्था गंभीर रूप से अवरुद्ध हो गई है।

उन्होंने कहा कि “जलमार्ग के संकुचित होने, उचित जल निकासी रखरखाव की कमी, बाढ़ के मैदानों में अतिक्रमण और ठोस कचरे ने हमारे जल निकासी को अवरुद्ध कर दिया है। सीवर बंद होने से पानी के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है और नालियां सड़कों पर पानी फेंकती हैं, जिससे शहर का बुनियादी ढांचा नष्ट हो जाता है।

कब- कब बने ऐसे हालात

यह 1988 के बाद से आईटी शहर में तीसरी सबसे अधिक बारिश है। 12 सितंबर 1988 को बेंगलुरु में 177.6 सेंटीमीटर बारिश हुई, जो अब तक की सबसे अधिक बारिश है। इसके बाद 26 सितंबर, 2014 को 132.3 मिमी और सितंबर में अब तक का तीसरा उच्चतम स्तर था।


मौसम विभाग ने फिर दी चेतावनी

बेंगलुरु में कई जगहों पर पांच सितंबर की रात को हुई भारी बारिश के कारण उपजी स्थिति मंगलवार को भी कमोबेश वैसी ही बनी रही। बेंगलुरु के लोगों को आने वाले चार दिनों तक राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, बारिश का सिलसिला शुक्रवार तक जारी रहेगा। शनिवार से इसमें गिरावट दर्ज की जाएगी। मौसम विभाग के अनुसार, बंगलूरू के शहरी जिले में रविवार को 28.1 मिमी बारिश दर्ज की गई। यह समान्य से 368 फीसदी अधिक था।

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