धारा 370 पर नहीं बोलने की शर्त पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार प्रमुख रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आगे देखने का समय
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि वह कयूम की नजरबंदी को आगे नहीं बढ़ाने पर सहमत हैं। मेहता ने कोर्ट के सुझावों को मंजूर कर लिया कि कयूम धारा 370 पर कोई बयान नहीं देंगे, दिल्ली में ही रहेंगे और 7 अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की नजरबंदी मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने उनकी सशर्त रिहाई पर सहमति जताई है। वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल कयूम की रिहाई के लिए शर्त रखी गई है कि वह छूटने के बाद धारा 370 पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे, दिल्ली में ही रहेंगे और सात अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे।
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने इस दौरान कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि यह भविष्य के लिए रास्ता बनाने का समय है। यह भविष्य की ओर देखने का समय है। अतीत में न रहें, आगे देखें। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की बहुत बड़ी संभावना है, जो अप्रयुक्त है।
इसस पहले केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि वह कयूम की नजरबंदी को आगे नहीं बढ़ाने के लिए सहमत हैं। मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें तुरंत रिहा कर दिया जाएगा। मेहता ने शीर्ष अदालत के सुझावों को स्वीकार कर लिया कि कयूम दिल्ली में ही रहेंगे और सात अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे। साथ ही वह धारा 370 पर कोई बयान भी नहीं देंगे।
बता दें कि पिछले साल पांच अगस्त को धारा 370 को निरस्त कर दिया गया था। उसके फौरन बाद अगस्त 2019 में ही कयूम को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में ले लिया गया था। तब से वह नजरबंदी में हैं। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने उनकी कथित अलगाववादी विचारधारा का हवाला देते हुए उनकी नजरबंदी को बरकरार रखा था।
अब्दुल कयूम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गुरुवार को उनकी रिहाई के लिए शीर्ष अदालत से आग्रह किया था, ताकि वह अपने परिवार के पास जा सकें। दवे की दलील थी कि वह 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और हृदय की बीमारियों से पीड़ित हैं। दवे ने सरकार के इस शर्त को भी स्वीकार कर लिया कि उनके मुवक्किल रिहाई के बाद धारा 370 पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे।
दोनों पक्षों में सहमति के बाद कयूम की रिहाई का रास्ता साफ हो गया और पीठ ने इसके बाद मेहता और दवे दोनों के प्रयासों की सराहना की, जो बिना किसी प्रतिकूल स्थिति के इस मामले को हल करने में सक्षम रहे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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