झारखंड: दस राजनीतिक पार्टियों का बीजेपी के खिलाफ महागठबंन, कांग्रेस की अगुवाई में लड़ा जाएगा लोकसभा चुनाव

महागठबंधन झारखंड में सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ाने वाला है, क्योंकि, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को सिर्फ 31.3 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में अगर महागठबंधन ने वोटों को बिखरने से रोक लिया, तो झारखंड में संसदीय चुनावों के नतीजे बीजेपी को चिंतित करने वाले हो सकते हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया
user

रवि प्रकाश

सत्रह जनवरी की शाम जब सर्दी अपने चरम पर थी, झारखंड की सियासत में गर्माहट का माहौल था। कभी पक्के विरोधी रहे लोग गले मिलकर नए सियासी अध्याय की रुपरेखा तय कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के घर पर करीब सवा घंटे चली बैठक के बाद बीजेपी विरोधी दस पार्टियों के नेताओं ने झारखंड में बीजेपी विरोधी महागठबंधन का ऐलान कर दिया। यह तय हुआ कि इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस करेगी और विधानसभा चुनाव झामुमो नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इसके लिए सीटों का बंटवारा और संख्या का फार्मूला आगामी 30 जनवरी को तय कर लिया जाएगा।

यह घोषणा झारखंड में सत्ता पर काबिज बीजेपी-गठबंधन के लिए परेशानी बढ़ाने वाली है। क्योंकि, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को सिर्फ 31.3 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में अगर महागठबंधन ने वोटों को बिखरने से रोक लिया, तो झारखंड में संसदीय चुनावों के नतीजे बीजेपी को चिंतित करने वाले हो सकते हैं। बीजेपी को एंटी इंकंबेंसी का भी सामना करना पड़ेगा।

क्या है गणित?

मौजूदा समय में झारखंड की कुल 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर बीजेपी का कब्जा है। वहीं, विधानसभा की कुल 82 (81 निर्वाचित व 1 नामिनेटेड) में से 43 सीटें (6 विवादित) बीजेपी के पास हैं। इऩ 43 विधायकों में झारखंड विकास मोर्चा (प्र) छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए 6 विधायक भी शामिल हैं। इनके विलय को बाबूलाल मरांडी की पार्टी ने चुनौती दे रखी है। यह मामला पिछले चार साल से विधानसभा अध्यक्ष के कोर्ट में लंबित है। इसकी गवाही पूरी हो चुकी है और अब दोनों पक्षों को फैसले का इंतजार है। बीजेपी की सहयोगी आजसू पार्टी के पास लोकसभा की कोई भी सीट नहीं है। वहीं विधानसभा में आजसू पार्टी के 5 विधायक हैं।

हालांकि, यह गठबंधन अभी किस स्थिति में है, यह कहना किसी के वश की बात नहीं। आजसू पार्टी अभी झारखंड में काम कर रही एनडीए की रघुवर दास सरकार में शामिल है लेकिन इसके सुप्रीमो और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने सार्वजनिक तौर पर कह रखा है कि उनकी पार्टी विधानसभा की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इस घोषणा के बावजूद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने दावा किया है कि लोकसभा के चुनाव में आजसू से उनका गठबंधन कायम रहेगा। बकौल गिलुवा, आजसू अभी एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में है।

वोटों की हिस्सेदारी

झारखंड में अंतिम चुनाव साल 2014 में हुआ था तब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। इसके बावजूद उसे कुल 31.3 फीसदी वोट मिले थे। जबकि उसकी सहयोगी आजसू पार्टी को सिर्फ 3,7 फीसदी वोट मिले। इसके विपरित मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को 20.4 फीसदी, बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 14 फीसदी और कांग्रेस को 10.5 फीसदी वोट मिले। अगर वामपंथी पार्टियों व कुछ दूसरी छोटी पार्टियों के वोट प्रतिशत को छोड़ भी दें, तो विपक्ष की सिर्फ इन तीन पार्टियों के वोट प्रतिशत का योग करीब 45 फीसदी होता है। यह न केवल बीजेपी के वोट शेयर से अधिक है बल्कि चुनाव परिणाम पूरी तरह बदल देने का माद्दा भी रखता है।

कैसे बना महागठबंधन

झारखंड में महागठबंधन के ऐलान के पहले तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। अभी महागठबंधन में शामिल झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के संयोजक बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं। सियासी अनुभव व उम्र के हिसाब से भी वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन से सीनियर हैं। इस कारण बीजेपी नेताओं को लग रहा था कि वे शायद ही हेमंत सोरेन के नेतृत्व को कबूल करें। क्योंकि, झामुमो ने पहले ही कह रखा था कि वह महागठबंधन में तभी शामिल होगा, जब विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जाए।

इधर, कांग्रेस भी अपनी स्थिति को लेकर बहुत कंप्रोमाइज की हालत में नहीं थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा अजय कुमार हमेशा से यह कहते रहे कि महागठबंधन बनना तय है लेकिन नेता का चुनाव मिल-बैठ कर करेंगे। लेकिन, जब हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी और अजय कुमार सहयोगी पार्टियों के साथ बैठे तो नेतृत्व का मसला मिनटों में सुलट गया। मानो, इसके लिए सारी पार्टियां तैयार बैठी हों।

17 जनवरी को हुई बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा (प्र), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कमयुनिस्ट पार्टी, माले, एमसीसी, बीएसपी, फारवार्ड ब्लाक के नेता एक साथ बैठे थे। अब 30 जनवरी को यह सारे नेता फिर से बैठेंगे और सीटों का फार्मूला तय करेंगे।

मिले सुर मेरा तुम्हारा

महागठबंधन की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारा लक्ष्य बीजेपी को लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनावों में हराना है और केंद्र और राज्य में निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से सोचने वाली सरकार का गठन करना है। क्योंकि, देश में अघोषित अपातकाल लगा है, बेरोजगारी बढ़ी है, किसान भूखे मर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ घोषणाएं करने में लगे हैं।

बकौल हेमंत, मोदी के नक्शेकदम पर चलने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को झारखंड के लोगों से कोई मोह नहीं है और वे संविधान विरोधी बयानबाजी करने मे लगे हैं। इसलिए हम लोगों ने लोकसभा चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में और विधानसभा चुनाव सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के नेतृत्व में लड़ने पर सहमति बनायी है।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारें संवैधानिक संस्थाओं को बंधक बना रही हैं। लोकतंत्र पर कुठाराघात किया जा रहा है। इसलिए ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने के वास्ते सभी विपक्षी पार्टियां एक मंच पर आयी हैं। अब जनता इस चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे पास नेतृत्व मुद्दा नहीं है, बीजेपी को हटाना और हराना मुद्दा है। इसलिए भाजपा के लोग नेतृत्व को लेकर फूट डालने वाले सपने नहीं देखा करें। कांग्रेस के झारखंड अध्यक्ष डा अजय कुमार व आरजेडी की अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने भी कहा कि हमारा नारा बीजेपी हटाओ देश बचाओ है। हम इसके लिए काम कर रहे हैं।

अब क्या होगा

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक मधुकर मानते हैं कि यह गठबंधन झारखंड में बीजेपी को बड़ी चोट पहुंचा सकता है। बशर्ते, महागठबंधन में शामिल पार्टियां सीटों के चयन में ज्यादा मेहनत करें। यह सोचें कि किस सीट पर किस पार्टी या उम्मीदवार को लड़ाना चाहिए। अगर यह वैज्ञानिक तरीके से सोच लिया गया, तो यहां विपक्षी गठबंधन कमाल कर सकता है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


/* */