दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया समेत सभी आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, आबकारी नीति मामले में CBI का एक्शन!
सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत सभी आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है। मतलब यह कि सिसोदिया समेत अब इस मामले से जुड़ा कोई भी आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकता है।
दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत सभी आरोपियों पर और शिकंजा कस दिया है। गिरफ्तारी की तलवार के बीच सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत सभी आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। मतलब यह कि सिसोदिया समेत अब इस मामले से जुड़ा कोई भी आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकता है।
बताया जा रहा है कि मनीष सिसोदिया समेत 14 लोगों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में उन आरोपियों के नाम हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। बताया जा रहा है कि हालांकि इसमें मुंबई की एंटरटनेमेंट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ विजय नायर का नाम शामिल नहीं है।
इससे पहले 19 अगस्त को दिल्ली में मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की टीम ने करीब 14 घंटे तक छापेमारी की थी। सिसोदिया के अलावा देश के 21 ठिकानों पर सीबीआई ने एक साथ छापेमारी की थी।
सीबीआई द्वारा जारी लुकआउट नोटिस पर मनीष सिसोदिया ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “आपकी सारी रेड फेल हो गई, कुछ नहीं मिला, एक पैसे की हेरा फेरी नहीं मिली, अब आपने लुकआउट नोटिस जारी किया है कि मनीष सिसोदिया मिल नहीं रहा। यह क्या नौटंकी है मोदी जी? मैं खुलेआम दिल्ली में घूम रहा हूं, बताइए कहां आना है? आपको मैं मिल नहीं रहा?”
मनीष सिसोदिया पर आरोप क्या है?
पिछले महीने उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सिसोदिया के पास आबकारी विभाग की जिम्मेदारी भी है। उनपर नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार का आरोप है।
सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने नीति में नियमों की अनदेखी कर टेंडर दिए। आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने शराब ठेकेदारों को अनुचित तरीके से मुनाफा पहुंचाया। शराब के लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। इसके अलावा टेंडर देने के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए।
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था?
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई आबकारी नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस फीस माफ की गई। उन्होंने कहा था कि नई नीति के जरिए राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नीति शराब करोबारियों को फायदा पहुंचाने की मंशा से लाई गई। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे रिपोर्ट जमा कर यह बताएं कि नियमों की अनदेखी करते हुए आबकारी नीति को तैयार, लागू और मनमुताबिक बदलाव करने की छूट में किन सरकारी अधिकारियों की भूमिका रही है।
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Published: 21 Aug 2022, 9:19 AM