किसानों के समर्थन में पंचायतों का सिलसिला जारी, शामली में बोले जयंत- हम पैदाइशी जिद्दी, पीएम अपनी जिद छोड़ें

जयंत चौधरी ने कैराना चुनाव की याद दिलाते हुए कहा कि बीजेपी ने नारा दिया था कि जिन्ना जीतेगा या गन्ना तो गन्ने की ही जीत हुई। उन्होंने कहा कि जिस तरह बीजेपी ने किसानों के गन्ने का भाव नहीं दिया, उसी तरह आने वाले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशियों को भाव नहीं देना है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

किसान आंदोलन के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों का दौर लगातार जारी है। एक सप्ताह में चार पंचायतों के बाद आज शामली के गांव भैसवाल में पंचायत आयोजित की गई। इस पांचवी किसान महापंचायत में भी उम्मीद से अधिक भीड़ पहुंची। खास बात यह थी कि इस पंचायत की अनुमति को लेकर किसान और स्थानीय प्रशासन में सहमति नहीं बन पाई थी। शामली की इस पंचायत की आयोजक आरएलडी थी, जबकि अब तक हुई अन्य चार पंचायतों का आयोजन भारतीय किसान यूनियन ने किया था।

शामली के भैसवाल में आज की पंचायत में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि किसान तो पैदा ही जिददी हुआ था, जिसकी जिद के सामने मोदी को पीछे हटना पड़ेगा। कैराना विधानसभा चुनाव की याद दिलाते हुए जयंत ने कहा कि बीजेपी ने नारा दिया था कि जिन्ना जीतेगा या गन्ना तो गन्ने ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। उन्होने कहा कि जिस प्रकार बीजेपी ने किसानों के गन्ने का भाव नहीं दिया, उसी तरह आने वाले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशियों को भी भाव नहीं देना है। जयंत ने कहा कि गन्ना मंत्री सुरेश राणा के गृह जनपद में भी 650 करोड़ रूपये से अधिक का गन्ना भुगतान बकाया है, जिसके लिए मंत्री सुरेश राणा को शर्म आनी चाहिए।

आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी नेे कहा कि किसानों पर पहरे लगाए जा रहे हैं। स्थानीय टिटौली और भैसवाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि “सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन के लोग गांव-गांव जाकर किसानों की बेइज्जती कर रहे हैं। किसानों के ट्रैक्टरों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। उन्होने पुलिस प्रशासन को भी चेताया कि या तो वह परंपरा में रहें, अंतरआत्मा की बात सुनें, नहीं तो किसान अन्याय न सहकर सामना करने के लिए तैयार है।”

जयंत ने आगे कहा, “महापंचायत में आया नौजवानों का हजूम दूसरे ही मूंड में नजर आ रहा है, धारा 144 लगाकर किसान कमजोर होने वाला नहीं है। किसान देश को बचाने और पालने वाला है। किसान आज तिरंगा लेकर सड़कों पर अपनी मान सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है, जबकि बीजेपी के लोग तिरंगा न उठाकर किसी और का ही झंडा उठाते फिरते हैं। किसानों को कॉर्पोरेट घरानों और फिल्म स्टारों द्वारा बागी, आतंकवादी न जाने क्या-क्या बताया जा रहा है। दिल्ली जाने से रोका जा रहा है।”

पूरे रौ में दिख रहे जयंत ने कहा, “दुनिया ने दिल्ली में किसानों पर हुए अत्याचार की तस्वीर देखी है। अत्याचार से त्रस्त होकर 18 वर्ष की लड़की ने संसद के सामने धरना दिया। किसान आन्दोलन से जुड़े 80 साल के गुरूमुख सिंह को दिल्ली पुलिस ने सरकार के इशारे पर कैद कर लिया। 70 वर्ष के जीत सिंह जो हरियाणा के मुख्यमंत्री के गांव के हैं, उन्हें पकड़वाकर लाठियां मारी गईं।” उन्होंने देश के गृहमंत्री अमित शाह पर किसानों को आन्दोलन से हटाने के लिए कैद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिन बुजुर्गों ने हमारे देश के लिए कुर्बानी दी, सिंघु बोर्डर पर उन्हें बदनाम करने के लिए बीजेपी ने हिंसा की साजिश रची। पहले वो गाजीपुर बोर्डर पर हिंसा की साजिश रचना चाहते थे, लेकिन किसानों ने नाकाम कर दिया। उन्होने पूर्व में हुई किसानों की महापंचायत का जिक्र करते हुए कहा कि बड़ौत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर में हुई किसान महापंचायत ने सरकार की आंखे खोलने का काम किया है।

जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी के लोग दिल्ली में पेट्रोल पम्पों से किसानों पर हमला कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस के जवान उनके बचाव में खड़े हैं। उन्होने आरोप लगाया कि सिंधु बॉर्डर पर पुलिस के भेस में आन्दोलनकारी किसान महिलाओं के टेंटों आग लगाने का प्रयास किया गया। उन्होने कहा कि जो लोग किसानों पर अत्याचार करेंगे उनकी ऊंगलियां तोड़ने का काम किया जाएगा। हमारे बेटे तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचते हैं तो मां-बाप देश के लिए शहीद होना बताते हुए आंखों से आंसू भी नहीं बहाते हैं। उन्होंने कहा कि किसान की नई पीढ़ी देश का भविष्य है, जो पूर्व में नौजवानों ने गलती की थी, उसको भी सुधार ले। नौजवानों को पता है कि खेती से गुजारा नही होता, लेकिन उनको किसान पुत्र बनकर लड़ाई लड़नी है।

जयंत चौधरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने मंडी कानून बनाया, जिसे सरकार ने बेकार बताते हुए निरस्त कर दिया। उन्होने सरकार से मांग की कि किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुरक्षित होना चाहिए। किसानों को मंडी पर एमएसपी नहीं मिल रही। खेती महंगी होती जा रही है। अपनी फसलों को बचाने के लिए तारों की बाड़ लगानी पड़ रही है। बजट में किसानों की अनदेखी करते हुए कुछ नहीं दिया गया। बिजली महंगी हो रही है। टयूबवैलों पर मीटर लगाये जा रहे हैं। डीजल के दाम 77 के पार पहुंच गए हैं। सरकार किसानों को सब्सीडी देकर सुधार कर सकती थी, लेकिन बजट में कोई सुधार नहीं किया गया। उन्होने कहा कि देश का कोना-कोना कृषि कानूनों को काला कानून बता रहा है, लेकिन केन्द्र सरकार पूरी तरह से बहरी बनी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की गन्ना मिलों पर 14 हजार करोड़ बकाया भुगतान पड़ा है। बीजेपी के लोग मंदिर के लिए पैसा जुटाने में लगे हैं।

आरएलडी नेता ने कहा कि किसानों को देने के लिए बीजेपी के पास कुछ नहीं है। उन्होंने आह्वान किया कि 7 फरवरी को अमरोहा में होने वाली महापंचायत में हिन्दु-मुस्लिम भाईचारे को कायम रखते हुए अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर सरकार की आंखों को खोलने का काम करें। पंचायत की अध्यक्षता बत्तीसा खाप के चौधरी बाबा सूरजमल ने की और संचालन आरएलडी जिलाध्यक्ष योगेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर महापंचायत को पूर्व मंत्री किरणपाल कश्यप, पूर्व मंत्री धर्मवीर बालियान, छपरौली के पूर्व विधायक वीरपाल राठी, पूर्व विधायक राजपाल बालियान, पूर्व मंत्री योगराज सिंह, नवाब कोकब हमीद, कंवर हसन, अशरफ अली खान, कालखांडे खाप के चौधरी बाबा संजय कालखांडे, बाबा श्याम सिंह, कुलदीप शर्मा, समय सिंह सैनी, विकास जैन, भोपाल कश्यप, रणबीर सिंह आदि ने भी संबोधित करते हुए किसानों की एकता पर बल देते हुए आने वाले समय में बीजेपी प्रत्याशियों को हराने का आहवान किया।

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