नागिरकों की निगरानी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से सहमी मोदी सरकार, वापस ली सोशल मीडिया हब बनाने की अधिसूचना

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह साफ किया है कि वह सोशल मीडिया हब बनाने की अपनी योजना को वापस ले रही है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि यह नीति सोशल मीडिया पर नागरिकों की गतिविधियों पर निगरानी रखने का एक औजार बन जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सोशल मीडिया हब नीति पर केंद्र की मोदी सरकार ने यू टर्न ले लिया है। सोशल मीडिया पर नागरिकों की गतिविधियों की निगरानी की आशंका को लेकर दाखिल की गई याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के प्रस्ताव को वापस ले रही है। केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार सोशल मीडिया की निगरानी नहीं करेगी और सरकार पूरे प्रोग्राम पर पुनर्विचार कर रही है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना वापस लेने की दलील को स्वीकार कर लिया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं का निस्तारण कर दिया। इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि क्या सरकार सर्विलांस स्टेट बनाना चाहती है?

सोशल मीडिया हब बनाने के प्रस्ताव को तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा ने चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इस टूल के जरिए उन लोगों पर 360 डिग्री तक निगरानी रखी जाएगी जो सोशल मीडिया पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना विरोध करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जून में मोइत्रा की केन्द्र के उस फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था , जिसमें कहा गया था कि केन्द्र का सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब (एसएमसीएच) सोशल मीडिया की गतिविधियों की जासूसी का एक औजार है और यह निजता का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई को सरकार से जानना चाहा था कि क्या मीडिया हब बनाने का उसका यह कदम नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों पर नजर रखने के लिए है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि यह तो ‘निगरानी राज’ बनाने जैसा हो जायेगा। तृणमूल कांग्रेस की विधायक ने सवाल किया था कि क्या सरकार व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर नागरिकों के संदेशों पर नजर रखना चाहती है।

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