बेंग्लुरु में  ‘बंधक’ बने विधायकों पर कमलनाथ का अमित शाह को पत्र, कहा-सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बेंग्लुरु में कथित तौर पर बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों की सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि अमित शाह इन विधायकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र में लिखा है। पत्र में कहा गया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री होने के नाते अपनी शक्तियों का प्रयोग करें जिससे कांग्रेस के 22 विधायक जो बेंग्लुरु में बंदी बनाए गए हैं वे वापस मध्य प्रदेश सुरक्षित पहुंच सकें।

इस्तीफे वापस ले लेंगे विधायक : कांग्रेस का दावा

इस बीच मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस के 6 विधायकों- इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभु राम चौधरी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

वहीं कांग्रेस ने दावा किया है कि पार्टी के जिन विधायकों को बेंग्लुरु ले जाया गया है उन पर जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है और भोपाल लौटते ही वे अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे। पार्टी के मध्यप्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने कहा कि, “मैं एक कांग्रेसी हूँ और जिंदगी भर कांग्रेसी ही रहूंगा। हमारे विधायकों को बेंग्लुरु में बंधक बनाकर रखा गया है और वे भोपाल वापस लौटते ही अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे।” रावत को आमतौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नजदीकी माना जाता रहा है। स बारे में उन्होंने कहा कि, “हमने सिंधिया को नहीं छोड़ा है, बल्कि वे खुद गए हैं। बीजेपी ने उनके पार्टी में जाते ही उन्हें विभीषण की संज्ञा दी है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। हमारे देश में कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का नाम विभीषण नहीं रखते हैं, क्योंकि इस नाम के साथ धोखा लगा हुआ है।”


रावत से जब पूछा गया कि जब बेंग्लरु गए विधायकों के परिवार ही उनसे सम्पर्क नहीं कर पा रहे तो ऐसे में उन्होंने कैसे सम्पर्क किया, तो रावत ने कहा कि, “यह एक राज़ है और इसे राज़ ही रहने दो।”

गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने सभी कथित बागी विधायकों को 15 मार्च (रविवार) को उनके सामने पेश होने का नोटिस दिया है। हालांकि इन विधायकों को पहले भी समय दिया जा चुका है। इसके अलावा माना जा रहा है कि नियमानुसार अगर सभी विधायक सदन में उपस्थित नहीं होते हैं तो शक्ति परीक्षण नहीं कराया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो इस सिलसिले में कोर्ट की मदद ली जा सकती है।

इससे पहले मध्यप्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि 19 विधायकों के इस्तीफे की गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों से यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर किन परिस्थितियों में उन्होंने इस्तीफा दा है, और अगर यह स्वैच्छिक नहीं है तो इन्हें रद्द किया जाना चाहिए।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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