सावधान! दूसरी लहर में कहर बरपाने वाले कोरोना ने बदला अपना रूप, जानें इसके खतरे को लेकर वैज्ञानिकों ने क्या कहा

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में अतिथि शिक्षक बल ने कहा कि कोरोना वायरस का यह नया प्रकार कितना संक्रामक है। यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दूसरी लहर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस ने अब अपना रूप बदल लिया है। इस वायरस का नया वैरिएंट मिला है, जिसे 'डेल्‍टा प्‍लस' या 'एवाई.1' नाम दिया गया है। यह कोरोना के 'डेल्टा' वैरिएंट से बना है, जिससे बहुत ज्‍यादा संक्रमण बढ़ा था।

सवाल यह है क्‍या यह वैरिएंट भी फिर से कोहराम मचा सकता है। इस पर सआईआर-आईजीआईबी के निदेशक अग्रवाल ने कहा कि अभी वायरस के इस प्रकार को लेकर भारत में चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि टीके की पूरी खुराक ले चुके लोगों के रक्त प्लाज्मा से वायरस के इस प्रकार का परीक्षण करना होगा जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है या नहीं।

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में अतिथि शिक्षक बल ने कहा, “यह नया प्रकार कितना संक्रामक है। यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है।”

उन्होंने बताया कि नए प्रकार से संक्रमित किसी व्यक्ति में रोगाणुओं से कोशिकाओं का बचाव करने वाले एंटीबाडी की गुणवत्ता और संख्या उत्परिवर्तन के कारण प्रभावित होने की आशंका नहीं है। सांस रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधानकर्ता अनुराग अग्रवाल ने बल के मत का समर्थन किया।


दिल्ली के सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा, “के417एन उत्परिवर्तन की वजह से बी1.617.2 प्रकार बना है। इसे एवाई.1 के नाम से भी जाना जाता है।”

उन्होंने बताया कि यह परिवर्तन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में मदद करता है। स्कारिया ने ट्वीट कर कहा, “भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है। यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं।”

स्कारिया ने आगे कहा, “उत्परिवर्तन, वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण 'एंटीबाडी कॉकटेल' के प्रयोग को झटका लगा है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी।”

'डेल्टा+' वैरिएंट कोरोना वायरस के 'डेल्टा' या 'बी1.617.2' प्रकार में बदलाव होने से बना है। 'डेल्टा' वैरिएंट की पहचान पहली बार भारत में ही हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि यही वैरिएंट भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।

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Published: 15 Jun 2021, 8:28 AM
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