ब्रांड मोदी को नीतीश कुमार का झटका: जेडीयू का ऐलान,नीतीश होंगे अगले चुनाव का चेहरा, चाहिए 25 सीटें

एनडीए में बगावत की गड़गड़ाहट अब और ज्यादा तेज हो गई है। बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू ने ऐलान कर दिया है कि अगले चुनाव में नीतीश होंगे चुनावी चेहरा और उसे बिहार की 40 में से 25 सीटें चाहिए। इससे कम पर कोई समझौता नहीं होगा, और नीतीश के अलावा कोई और चेहरा नहीं होगा।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी के लिए बिहार से बुरी खबरें हैं। एक तो यह कि नीतीश कुमार ने आंखे दिखाते हुए कहा है कि हम बड़े भाई हैं, हमें बिहार की 40 में से कम से कम 25 सीटें चाहिए, और अगले चुनाव में नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे, दूसरी यह कि लोक जनशकित पार्टी नेता रामविलास पासवान ने साफ कर दिया है कि अगर एससी-एसटी एक्ट पर अध्यादेश नहीं आया तो 2019 में मुश्किल होगी, और तीसरी यह कि जेडीयू के साथ ही पासवान ने भी बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग सामने रख दी है।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण खबर है नीतीश कुमार के जेडीयू से। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार दबाव की राजनीति के माहिर हैं और इन दिनों वह इसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। रविवार (3 जून) को नीतीश कुमार ने अचानक जेडू की बैठक बुलाई। पटना में उनके सरकारी आवास पर चली लंबी बैठक के बाद पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने साफ कहा कि बिहार में जेडीयू एनडीए गठबंधन में बड़े भाई की हैसियत में है, इसलिए बिहार में अगला लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जेडीयू के बिहार की 40 में से कम से कम 25 सीटें चाहिए, और इससे कम पर कोई समझौता नहीं होगा। फिलहाल बिहार की 22 सीटें बीजेपी के पास हैं, 6 एनडीए के सहयोगी रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के पास और तीन उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के पास हैं। पिछले चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए से अलग थे और उनकी पार्टी सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी। लेकिन बिहार विधानसभा में फिलहाल जेडीयू, बीजेपी से बड़ी पार्टी है।

नीतीश के घर हुई जेडीयू की इस बैठक में प्रशांत किशोर ने भी हिस्सा लिया। प्रशांत किशोर 2015 में नीतीश कुमार और 2014 में नरेंद्र मोदी का चुनावी अभियान संभाल चुके हैं। इस बैठक बाद पार्टी महासचिव पवन वर्मा ने बिहार के लिए विशेष राज्य की मांग को फिर दोहराया। लेकिन जो सबसे बड़ी बात उन्होंने कही, वह यह थी कि बिहार में जो भी चुनाव लड़ा जाएगा, वह नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा जाएगा, न कि किसी और चेहरे पर।

रविवार की बैठक को इसलिए भी अगम माना जा रहा है क्योंकि हाल में हुए जोकीहाट विधानसभा सीट पर जेडीयू की हार के बाद नीतीश की पार्टी ने हार का ठीकरा केंद्र की मोदी सरकार पर फोड़ा था। उधर आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा था कि एनडीए में सहयोगियों की बात नहीं सुनी जाती है। इन विरोधी और बगावती सुरों के बाद बिहार में एनडीए की 7 जून को बैठक का फैसला हुआ था। चर्चा है कि इस बैठक की अध्यक्षता नीतीश कुमार ही करेंगे, और इसमें बीजेपी के साथ ही आरएलएसपी और एलजेपी भी शामिल होंगी। लेकिन एनडीए की बैठक से पहले नीतीश कुमार ने जेडीयू की बैठक बुलाकर एनडीए और खासकर बीजेपी पर दबाव बनाने की शुरुआत कर दी है।

मोदी और उनकी बीजेपी के लिए दूसरी बुरी खबर यह है कि केंद्र में मंत्री एलजेपी के नेता राम विलास पासवान ने साफ कर दिया है कि दलितों के खिलाफ अत्याचार पर कानून के मूल प्रावधानों को तुरंत बहाल किया जाए और संसद के अगले सत्र में इसके लिए तुरंत अध्यादेश लाया जाए। उन्होंने इस सिलसिले में रविवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2019 में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

अमित शाह से मुलाकात के बाद पासवान ने कहा कि उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सबसे गरीब राज्यों में एक होने के कारण बिहार इसका हकदार है। पासवान के साथ उनके बेटे और सांसद चिराग पासवान भी थे।

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