सर्वदलीय बैठक में विपक्ष की एकजुट मांग पर भी नहीं बदला रुख, पीएम ने कृषि कानून पर दोहराया पिछला प्रस्ताव

संसद के बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार अभी भी कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के प्रस्ताव पर बरकरार है। पीएम ने दावा किया कि सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को संसद के बजट सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों द्वारा विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया आई है। पीएम मोदी ने कहा है कि सरकार अभी भी नए कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के किसानों को दिए प्रस्ताव पर बरकरार है।

प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, "सरकार का रुख वैसा ही है जैसा कि 22 जनवरी को हुई बैठक के दौरान था- केंद्रीय कृषि मंत्री ने जो प्रस्ताव रखा था, वह बरकरार है।" प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वह बातचीत के लिए सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं।

इस दौरान पीएम मोदी ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का भी जिक्र किया और कहा कि कानून अपना काम करेगा। उन्होंने संसद में सुचारू कामकाज के महत्व और सदन के पटल पर व्यापक बहस की जरूरत को रेखांकित किया और कहा कि बार-बार होने वाले व्यवधानों से छोटी पार्टियों पर असर पड़ेगा, क्योंकि वे खुद को पर्याप्त रूप से व्यक्त नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़े दलों का काम है कि वह संसद के कार्यो को सुचारू रूप से चलाए।

कुल मिलाकर आज सर्वदलीय बैठक में किसान आंदोलन पर विपक्ष की एकजुट मांग पर एक बार फिर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटने वाली है और किसानों से आगे और बातचीत नहीं करेगी, अगर वो पिछली बैठक में दिए प्रस्ताव को नहीं मानते। बता दें कि 22 जनवरी को हुई आखिरी बैठक में कृषि मंत्री ने आंदोलनकारी किसानों को विवादित कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने और एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था।

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