पाकिस्तान में इमरान सरकार के लिए नई मुसीबत, देश भर में एक साथ 50 जगहों पर छात्रों का प्रदर्शन मार्च

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब देश भर के छात्रों ने उनकी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पाकिस्तानी छात्र आज देश भर में 50 जगहों पर प्रदर्शन कर मार्च निकालेंगे।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान में विद्यार्थी अपनी मांगों के समर्थन में आज यानी शुक्रवार को एक साथ पचास जगहों पर प्रदर्शन करेंगे। स्टूडेंट एक्शन कमेटी (एसएसी) के नेतृत्व में 'छात्र एकजुटता मार्च' निकाला जाएगा। छात्र बेहतर व सुलभ शिक्षा व्यवस्था, फीस को कम करने, छात्र संघों की बहाली, लैंगिक बराबरी और परिसरों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। प्रगतिशील व वामपंथी रुझान रखने वाले इन छात्रों को किसानों व मजदूरों समेत समाज के अन्य तबकों के संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। प्रदर्शन अलग-अलग शहरों में दोपहर दो बजे किया जाना प्रस्तावित है।

विद्यार्थियों की सबसे खास मांग छात्र संघों की बहाली है जिसके जरिए वे परिसरों में अपना प्रतिनिधित्व कर सकें। अन्य मांगों में उच्च शिक्षा आयोग के बजट में की गई कटौती को खत्म करना, परिसरों में यौन उत्पीड़न विरोधी प्रभावी समितियों का गठन और लैंगिक व धार्मिक आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को समाप्त करना भी शामिल हैं।

इसी महीने की पांच तारीख को प्रोग्रेसिल स्टूडेंट कलेक्टिव (पीएससी) और देश भर में सक्रिय अन्य छात्र संगठनों ने एसएसी का गठन कर छात्र संघों की बहाली व अन्य मुद्दों को उठाने का फैसला किया था। इसके बाद एसएसी ने 29 नवंबर को छात्र एकजुटता मार्च निकालने का ऐलान किया और देश में अलग-अलग जगहों पर जाकर ना केवल छात्रों के बीच बल्कि आम लोगों के बीच भी इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाया। एसएसी में पूरे देश के छात्र संगठनों का प्रतिनिधित्व है।

छात्र संगठनों का कहना है कि इमरान सरकार ने विद्यार्थियों को हताश और लक्ष्यविहीन कर दिया है। उच्च शिक्षा के बजट को घटाकर पहले का आधा कर दिया गया है। फीस को करीब सौ फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। पाकिस्तान उन देशों में शामिल हो गया है जो शिक्षा पर बहुत कम खर्च करते हैं। एसएसी ने कहा है कि छात्रों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी बातों को सुनकर उस पर कदम नहीं उठाएगी।

महत्वपूर्ण राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों, मजदूर व किसान संगठनों, राष्ट्रवादी (सिंधी-बलोच-पश्तून आदि) संगठनों और अल्पसंख्यकों के संगठनों ने छात्रों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।

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