भोपाल में जमीन खिसकती देख हिंदुत्व को मुद्दा बनाने की मंशा से बीजेपी ने उतारा प्रज्ञा को

“बीजेपी ध्रुवीकरण चाहती है, इसी के चलते उसने भगवा वस्त्रधारी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है। बीजेपी वास्तव में प्रज्ञा ठाकुर के जरिए पूरे देश में यह संदेश देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है।”

फोटो : सोशल मीडिया
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संदीप पौराणिक, IANS

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को साम्प्रदायिक सद्भाव और गंगा-जमुनी तहजीब के लिए पहचाना जाता है, लेकिन बीजेपी मालेगांव आतंकी हमले की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर यहां के माहौल में 'हिंदुत्व' को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र से लगभग एक माह पहले कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। दिग्विजय सिंह बीते 25 दिनों से राजधानी के अलग-अलग हिस्सों और वर्गो से संवाद कर रहे हैं, और अपनी योजनाओं के बारे में लोगों को बता रहे हैं। दिग्विजय सिंह लगातार संभलकर और सधे हुए कदम बढ़ा रहे हैं। यही कारण है कि उनकी ओर से एक भी विवादित बयान नहीं आया है।

लेकिन बीजेपी ने बुधवार को मालेगांव विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर सियासी फिजा में बड़ा बदलाव लाने का संकेत दे दिया है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया कहते हैं कि, “बीजेपी ध्रुवीकरण चाहती है, इसी के चलते उसने भगवा वस्त्रधारी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है। बीजेपी वास्तव में प्रज्ञा ठाकुर के जरिए पूरे देश में यह संदेश देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है। प्रज्ञा को हिंदुत्व पीड़ित बताने की भी कोशिश की जा रही है और बीजेपी भोपाल में इस चुनाव को अन्य मुद्दों की बजाय ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है।"

भोपाल लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 1984 के बाद से यहां बीजेपी का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है। भोपाल में 12 मई को मतदान होने वाला है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े 19 लाख मतदाता है, जिसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर ध्रुवीकरण का दांव खेला है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं। लगभग चार माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने आठ में से पांच और कांग्रेस ने तीन सीटें जीती हैं।

दिग्विजय सिंह भी प्रज्ञा की मौजूदगी से सियासी माहौल में आने वाले बदलाव को भांप चुके हैं। यही कारण है कि उन्होंने प्रज्ञा का स्वागत करते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया था। सिंह स्वयं जहां खुलकर प्रज्ञा पर हमला करने से बच रहे हैं, वहीं कार्यकर्ताओं को भी इसी तरह की हिदायतें दे रहे हैं।

उम्मीदवारी घोषित होने के बाद प्रज्ञा के मिजाज तल्ख होने लगे हैं और मतदाताओं को भावनात्मक तौर पर लुभाने में जुट गई है। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप तो लगाया ही साथ में हिंदुत्व आतंकवाद और भगवा आतंकवाद का जिक्र छेड़ा और मालेगांव बम विस्फोट का आरोपी बनाए जाने के बाद पुलिस की प्रताड़ना का ब्योरा देना शुरू कर दिया। वे लोगों के बीच भावुक भी हो रही हैं।

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने दिग्विजय सिंह को राजनीतिक संत बताते हुए कहा, "दिग्विजय सिंह ने हिदुत्व को जीया है, मानवता की सेवा की है, नर्मदा नदी की परिक्रमा की है। वे वास्तव में राजनीति के संत हैं।"

जानकारों का कहना है कि भोपाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस की हर संभव कोशिश होगी कि ध्रुवीकरण को किसी तरह रोका जाए। लेकिन बीजेपी प्रज्ञा को कांग्रेस द्वारा सताई गई हिंदू महिला के रूप में पेश कर रही है।

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