पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार रहा भारत बंद, विपक्ष के तमाम नेता नजरबंद, शासन ने घर से बुलाकर खुलवाई दुकानें

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज किसानों के भारत बंद को विफल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। सुबह से समस्त प्रशासनिक अमला बंद को विफल करने में जुटा रहा। यहां तक कि कई जगह प्रशासन खुद बंद दुकानों को खुलवाने की कोशिश करता नजर आया, पर फिर भी सफलता नहीं मिली।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश में किसानों के आज के भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बंद काफी जोरदार रहा और इसमें आम लोगों का भी समर्थन रहा। कई शहरों और कस्बों के बाजार स्वतः स्फूर्त बंद रहे और गलियां सुनसान रहीं। लोगों ने बड़े-बड़े बाजारों में अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान खुद से बंद रखा। अगर कहीं दुकान खुले भी रहे तो ग्राहक गायब रहे।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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किसानों के आह्वान के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समस्त प्रशासन बंद को निष्फल करने में जुटा रहा। बंद को नाकाम करने के लिए प्रदेश सरकार ने पूरी ताकत झोक दी। तमाम जिलों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन खुद बंद हो चुकी दुकानों को खोलने के लिए प्रेरित करता नजर आया। इससे पहले विपक्ष के तमाम नेताओं को उन्ही के घरों में नजरबंद कर दिया गया। विपक्षी नेताओं ने इसे अघोषित आपातकाल बताया है। पूरे प्रदेश में बंद के असर को नाकामयाब बनाने में जुटे प्रशासनिक अमले ने कई जगहों पर जाम लगाने के प्रयास में जुटे लोगों को गिरफ्तार भी किया।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिला सहारनपुर में बंद का असर सुबह मंडी से ही दिखने लगा, जब किसान सब्जियां बेचने नहीं आएं। कम सब्जियों के आने के कारण बाजार में सब्जी की कीमत बढ़ गई। आमतौर पर यह 4 से 5 रुपये ज्यादा हो गई। बाजारों में भीड़ नहीं रही और लोगों ने खुद को घरों तक महदूद रखना मुनासिब समझा।

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यहां सुबह से ही भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर, स्थानीय सांसद फजलुर्रहमान, आरएलडी जिलाध्यक्ष राव कैसर सलीम और समाजवादी पार्टी के प्रभावशाली नेता फरहाद गाड़ा को नजरबंद कर दिया गया। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने इसे सरकार की तानाशाही बताया। उन्होंने नवजीवन से कहा कि वो किसानों के साथ खड़े हैं। उनकी मांग जायज है। उन्हें बदनाम करने की कोशिश हो रही है। सरकार ध्यान भटकाने का काम कर रही है। आज सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का भी काम किया है। आपातकाल की तरह तमाम विपक्ष को उनके घरों में कैद किया गया है।

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मुजफ्फरनगर में भी बंद के असर को शून्य दिखाने के लिए प्रशासन ने सुबह से गुड़ मंडी में बिक्री को जारी रखने के लिए प्रयास किया और कोल्हू मालिकों ने यहां आकर गुड़ बेचा, हालांकि यह मात्र औपचारिकता रही। पूर्व विधायक पंकज मलिक ने बताया कि उन्होंने आज अपने सभी प्रतिष्ठान किसानों के समर्थन में बंद रखे हैं। वो खुद किसान हैं। पंकज मलिक के मुताबिक प्रशासनिक लोग उनके भाई की एजेंसी पर पहुंचे और प्रतिष्ठान को बंद न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था जैसे प्रशासन पर बंद को बेअसर दिखाने के लिए बहुत अधिक दबाव हो।

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बता दें कि कल देर शाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम जिलों के डीएम और एसएसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बंद को लेकर निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि पुलिस बंद कराने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटे। बंद से निपटने के लिए प्रशासन ने जबरदस्त तैयारी की थी, हालांकि इसके बाद भी बीजेपी के असर वाले बाजार को छोड़कर बंद का जबरदस्त असर रहा।

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बंद के दाौरान शामली में आरएलडी के प्रदेश सचिव सुधीर भारतीय की पुलिस से झड़प हो गई। वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ सड़क के बीचोंबीच चक्का जाम करके बैठ गए। शामली और मुजफ्फरनगर में आरएलडी के नेता काफी सक्रिय रहे। मुजफ्फरनगर में जाम लगाने की कोशिश करते कांग्रेस के नगर अध्यक्ष जुनैद राउफ को गिरफ्तार कर लिया गया। शामली के चांदपुर मखियाली में किसानों ने जबरदस्त जाम लगा दिया।

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बिजनौर में बीएसपी के नेता गौरव जाटव ने बताया कि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने सुबह ही उनके घर के बाहर आकर डेरा डाल दिया और उनके बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी। बिजनौर के समाजवादी पार्टी के नेता खुर्शीद मंसूरी को भी नजरबंद कर दिया गया। बिजनौर में किसानों ने 75 पॉइंट पर जाम किया और इस दौरान यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेड़ियां पहनकर किसानों को समर्थन दिया।

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शहरों की तुलना में कस्बों और गांवों में बंद बेहद असरदार रहा। मुजफ्फरनगर में गिरफ्तार किए गए पूर्व मंत्री योगराज सिंह ने बताया कि इसका कारण यह है कि किसान कस्बों और गांवों में रहता है। शहर में प्रशासन खुद बंद को नाकामयाब करने में जुटा था। जाम लगाने के दौरान योगराज सिंह को उनके साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया। लखनऊ में किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों को गुलाब का फूल भेंट कर अपने तरीके से विरोध जताया। टेढ़ी पुलिया पर मुर्शीद खान के नेतृत्व में किसानों ने यह किया।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की राजधानी कही जाने वाली टिकैत की जन्मभूमि सिसौली में भी बंद का जबरदस्त असर रहा। यहां पूरी तरह सन्नाटा रहा। सिसौली में भारतीय किसान यूनियन का हेडक्वार्टर है। यहां के नरेश टिकैत खुद दिल्ली-यूपी बोर्डर पर डटे हुए हैं। यहां पुलिस की दखल भी नहीं रही। भारतीय किसान यूनियन के हाजी महबूब ने बताया कि यह किसान एकता की बात है। हम सरकार को एक संदेश देना चाहते हैं।

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वहीं, देवबंद में पूर्व विद्यायक माविया अली को केंद्र सरकार का पुतला फूंकने के प्रयासों के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। मेरठ में बंद का तगड़ा असर रहा। खासकर सड़कों पर दौड़ने वाले पहियों में रोक लग गई। हाइवे पर जरूर कुछ गाड़िया दिखाई दीं। बीजेपी समर्थकों के अलावा सभी प्रतिष्ठान बंद रहे।

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