हाथरस केस में आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जांच की निगरानी से लेकर सुरक्षा पर शीर्ष अदालत देगी आदेश

इस मामले को लेकर चौतरफा घिरी बीजेपी की योगी सरकार ने अपना चेहरा बचाने के लिए पहले मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था, लेकिन काफी दबाव बढ़ने पर सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। आज सुप्रीम कोर्ट कई पहलुओं पर अपना फैसला सुनाएगा।

फोटोः IANS
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आसिफ एस खान

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म और मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगा या फिर हाईकोर्ट। अदालत मामले का ट्रायल उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने के साथ ही पीड़ित परिवार को मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा के बारे में भी अपना फैसला सुनाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ दोपहर 12 बजे अपना आदेश सुनाएगी। इससे पहले 15 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने हाथरस पीड़िता के परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी को नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा था कि इससे राज्य पुलिस की निष्पक्षता पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में डीजीपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा, "यह अदालत परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी की प्रतिनियुक्ति कर सकती है, लेकिन इससे राज्य पुलिस की निष्पक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। हम किसी चीज के विरोध में नहीं हैं।" साल्वे ने जोर देकर कहा था कि कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे यूपी पुलिस की छवि खराब हो। मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

हरीश साल्वे की प्रतिक्रिया वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा दी गई दलीलों पर आई थी, जो एक हस्तक्षेपकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जिसने शीर्ष अदालत से पीड़ित परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंपने और इसे उत्तर प्रदेश पुलिस से वापस लेने का आग्रह किया था। उन्होंने उन्नाव मामले का हवाला दिया था, जहां दुष्कर्म पीड़िता को यूपी पुलिस की सुरक्षा प्रदान की गई थी, लेकिन सड़क दुर्घटना में उसे गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा और परिवार के सदस्य की मौत हो गई।

बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की के साथ चार युवकों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके बाद आरोपियों ने पीड़िता की बेरहमी से पिटाई भी की, जिसमें उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई, गर्दन मरोड़ दी गई और जीभ तक काट दी गई थी। कई दिनों तक स्थानीय अस्पताल में इलाज के बाद पीड़िता को दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

इसके बाद हाथरस जिला प्रशासन ने 30 सितंबर को दिल्ली से पीड़िता का शव गांव पहुंचते ही घर के नजदीक ही उसकी रातों-रात अंत्येष्टि कर दी थी। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने उनकी इच्छा पूछे बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया और शव को देखने तक नहीं दिया। वहीं पुलिस का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।

इस मामले को लेकर चौतरफा घिरी बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपना चेहरा बचाने के लिए पहले इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। लेकिन काफी दबाव बढ़ने के बाद में राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच की सिफारिश की। अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट कई पहलुओं पर अपना फैसला सुनाएगा।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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Published: 26 Oct 2020, 11:01 PM