बाय-बाय नैनो ! जल्द ही टाटा कर देगी एक लाख रुपए वाली आम आदमी की लखटकिया को

देश की पहली लखटकिया यानी सिर्फ एकलाख रुपए वाली कार नैनो का सफर खत्म होने वाला है। पिछले महीने यानी जून 2018 में टाटा मोटर्स ने सिर्फ एक नैनो का प्रोडक्शन किया। लेकिन अधिकारिक तौर पर इस बारे में ऐलान होना बाकी है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

“2003 में मैंने नैनो बनाने का सपना देखा था, 1 लाख रुपए की सस्ती कार देकर मैंने अपना वादा पूरा किया है।” यह कहना था टाटा मोटर्स के सीएमडी रतन टाटा का जब मार्च 2009 में उन्होंने नैनो कार लांच की थी। लेकिन बढ़ती उत्पादन लागत और कम होती या बिल्कुल खत्म होती डिमांड के आगे वादा टूटता नजर आ रहा है। स्टॉक एक्सचेंजों को अपनी फाइलिंग में टाटा मोटर्स ने कहा है कि इस साल जून में नैनो का कोई एक्सपोर्ट नहीं हुआ, जबकि पिछले साल यानी 2017 के जून महीने में 25 कारें एक्सपोर्ट की गई थीं।

पिछले महीने घरेलू बाजार में सिर्फ तीन कारें ही बिकीं। इससे पता चलता है कि दोपहिया रखने वाले परिवारों को सुरक्षित और किफायती विकल्प देने के लिए रतन टाटा की यह महत्वाकांक्षी योजना अब दम तोड़ रही है।

क्या नैनो कार का प्रोडक्शन पूरी तरह बंद हो जाएगा, इस पर टाटा मोटर्स के प्रवक्ता का कहना है कि, ‘हम जानते हैं कि मौजूदा स्थिति में नैनो का प्रोडक्शन 2019 से आगे जारी नहीं रखा जा सकता और इसे बनाए रखने के लिए नया निवेश करना पड़ सकता है। लेकिन फिलहाल इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।’

अपने ग्राहकों को टाटा नैनो के बारे में ताजा जानकारी देने के लिए टाटा मोटर्स ने नैनो का अधिकारिक ट्विटर हैंडल भी बनाया था, जिसमें कार के बारे में नई जानकारियां, ग्राहकों के फीडबैक आदि के अपडेट होते थे। लेकिन पिछले सितंबर के बाद इस हैंडिल से कोई भी ट्वीट नहीं किया गया है।

गौरतलब है कि आम आदमी की कार बनाने की उम्मीद से 2008 के ऑटो एक्सपो में नैनो को सबसे पहले शोकेस किया गया था। इस कार को बनाने में ज्यादा लागत के बावजूद इसके बेसिक मॉडल को एक लाख रुपए की कीमत के साथ मार्च, 2009 में लॉन्च किया गया था। तब टाटा ने जोर देकर कहा था कि ‘वादा, वादा होता है।’

वैसे नैनो को लेकर शुरु से ही समस्याएं आती रहीं। नैनो बनाने का कारखाना पहले पश्चिम बंगाल के सिंगुर में लगने वाला था, लेकिन वहां जमीन अधिग्रहण को लेकर राजनीतिक तौर पर और किसानों की तरफ से भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद कंपनी को गुजरात के साणंद स्थित नए प्लांट में अपना प्रोडक्शन शिफ्ट करना पड़ा।

इस कार का उत्पादन 2009 में शुरू किया गया था। इस कार को लखटकिया कार भी कहा जाता है। नैनो का डिजायन मोटे तौर पर टाटा मोटर्स के इंजीनियरों ने ही तैयार किया था, लेकिन इसमें जस्टिन नोरेक नाम के एक इंजीनियर का भी योगदान था।

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Published: 06 Jul 2018, 8:16 AM