कोरोना संकट में पंचायत चुनाव के लिए योगी ने कोर्ट पर मढ़ा दोष, कहा- सरकार की इच्छा नहीं थी

उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में पंचायत चुनाव होने वाले थे। लेकिन महामारी के कारण पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन में देरी हुई। याचिकाओं और उच्च न्यायालय के बाद के फैसले ने राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर किया।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में भयावह कोरोना संकट के बीच पंचायत चुनाव कराने को लेकर चौतरफा निंदा के बाद अब योगी सरकार ने सफाई दी है। योगी सरकार ने कहा है कि वह कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य में पंचायत चुनाव कराने की इच्छा नहीं रखती है, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए ऐसा करना पड़ा, ताकि 10 मई तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो सके।

उत्तर प्रदेश सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "पिछले साल दिसंबर में पंचायत चुनाव होने वाले थे। लेकिन महामारी के कारण पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन में देरी हुई। याचिकाओं और उच्च न्यायालय के बाद के फैसले ने राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर किया।"

राज्य सरकार ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनाव करवाए गए हैं। चार चरण के पंचायत चुनाव 15 अप्रैल से शुरू हुए और मतों की गिनती और परिणाम की घोषणा 2 मई को होगी। प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उचित स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य के 75 जिलों के गांवों में विशेष सैनिटाइजेशन अभियान चलाया गया।

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