यूपी चुनाव से पहले योगी सरकार का बड़ा दांव, लॉकडाउन उल्लंघन के तीन लाख केस वापस लेने का फैसला

यूपी सरकार ने पहले घोषणा की थी कि व्यापारियों पर कोविड प्रोटोकॉल और लाकडॉउन उल्लंघन को लेकर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। फिर यह फैसला सभी आमजन के लिए किया गया। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

यूपी सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान कोविड प्रोटोकाल और लॉकडाउन उल्लंघन से जुड़े तीन लाख से अधिक दर्ज मुकदमे वापस लेने का निर्णय किया है। राज्य में कोविड प्रोटाकाल और लॉकडाउन उल्लंघन को लेकर दर्ज हुए मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया अब शुरू होगी। न्याय विभाग द्वारा जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि जनता पर कम गंभीर अपराध की धाराओं में दर्ज जिन मुकदमों में न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है, वह वापस लिए जाएंगे। वहीं, मौजूदा और पूर्व सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों पर मुकदमे चलते रहेंगे।

यूपी सरकार ने पहले घोषणा की थी कि व्यापारियों पर कोविड प्रोटोकॉल और लाकडॉउन उल्लंघन को लेकर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। फिर यह फैसला सभी आमजन के लिए किया गया। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया गया।


इसमें कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897, भादवि की धारा-188 और इससे संबद्ध अन्य कम गंभीर अपराध की धाराओं (दो साल से कम सजा वाली) में लगभग तीन लाख मुकदमे पंजीकृत हैं। मौजूदा और पूर्व जनप्रतिनिधियों को छोड़कर जिन मुदकमों में आरोप-पत्र दाखिल हो चुके हैं, वह वापस लिए जाएंगे।

प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी इस शासनादेश में उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन में दर्ज मुकदमों की समीक्षा की जाए, जिससे सामान्य नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्यवाही, न्यायालयों में लंबित फौजदारी मामलों को रोकने और महामारी की वजह से पैदा हुई इस अभूतपूर्व स्थिति से बचाया जा सके। पत्र में समीक्षा के बाद मुकदमों की वापसी पर विचार का सुझाव दिया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार ने यह प्रक्रिया आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

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