विष्णु नागर का व्यंग्य: ‘सिर्फ हम पूछ सकते हैं सवाल, कोई हमसे नहीं पूछ सकता’, एक भक्त की डायरी के पन्ने

‘ये बता हमसे पूछने का नैतिक अधिकार तुझे दिया किसने? हमने दिया? हमने दिया हो तो जा, वह अधिकार पत्र लाकर दिखा, फिर पूछना, जितने पूछने हों सवाल! अच्छा चल, ले आ, जिले के कलेक्टर-एसपी से प्रमाणपत्र ले आ।’

फोटो: सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

अबे ओ सवाल पूछने के बच्चे, तू हमसे यानी हमसे सवाल पूछेगा? तू हमारी सरकार से सवाल पूछेगा? मोदीजी, अमित शाह जी, आदित्यनाथ जी, शिवराज जी, रमन सिंह जी और हमारे इन जी, उन जी से सवाल पूछेगा? तूने नेहरू जी से सवाल पूछा था कभी? नहीं पूछा था न? बेईमान और डरपोक कहीं के! उनसे सवाल पूछने की हिम्मत नहीं थी, अब हमसे पूछेगा! तूने अंबेडकर साहब से सवाल पूछा था कभी कि महाराज, हम हिंदुत्ववादियों के सिर पर आपने ये संविधान क्यों लाद दिया?कुछ तो हमारे लिए भी सोचा होता। ये आरक्षण का लच्चड़ क्यों फंसा दिया? सवर्ण भारत बंद करा रहे हैं और हम न इनके रहेंगे, न उनके। न खुदा ही मिला और आगे जो भी कहते हैं, वह भी नहीं मिला, जैसी हालत हो सकती है हमारी!

हमें यह भी मालूम है कि तूने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी से भी सवाल नहीं पूछा होगा।कैसे पूछता, तुझे तो हमसे सवाल पूछने थे न! बेट्टा, हमें  इतना बेवकूफ मत समझना। हम तुझ जैसों को देख यूं निबटा चुके हैं। अच्छा ओह, तू कह रहा है, तू उनके समय पैदा नहीं हुआ था? तो क्या ये हमारी गलती है? मोदी जी की गलती है? हमने रोक रखा था तुझे पहले पैदा होने से कि आना और मोदी जी से ही आकर सवाल पूछना? अरे तेरी मर्जी बाद में पैदा होने की थी तो अपने पिताजी, स्वर्गीय दादा जी से कह देता कि आप इनसे ये सवाल पूछकर कागज पर लिखकर रख छोड़ना। मैं बड़ा होकर देख लूंगा। कहा था उनसे? फिर?

चल छोड़ इसे भी, ये बता, क्या तू अपने मां-बाप से पूछकर पैदा हुआ था? जब तू उनसे बिना पूछे पैदा हो गया, उनसे इजाजत लिए बगैर जनम ले लिया तो हमसे बिना इजाजत लिए कुछ भी पूछने का क्या हक है तुझे कि ऐसा क्यों और वैसा क्यों है? चल ये भी छोड़। ये बता हमसे पूछने का नैतिक अधिकार तुझे दिया किसने? हमने दिया? हमने दिया हो तो जा, वह अधिकार पत्र लाकर दिखा, फिर पूछना, जितने पूछने हों सवाल! अच्छा चल, ले आ, जिले के कलेक्टर-एसपी से प्रमाणपत्र ले आ।अच्छा उनको भी छोड़ हमारे विधायक जी या जिला बीजेपी अध्यक्ष जी से ले आना। वे अधिकार-पत्र दे दें, सील-मोहर लगाकर दे दें, तो पूछ लेना हमसे सवाल वरना जल्दी से यहां से चलता-फिरता दिख। फुट ले फौरन वरना कोई तेरा अग्निवेश बना दे तो हमसे न कहना! चले आते हैं मुंह उठाकर सवाल पूछने! हमसे सवाल पूछने का हक है किसी को? हमें ही है एकमात्र अधिकार सवाल पूछने का हक और हां, जवाब नहीं देने का भी! सत्ता में रहते हुए भी है और विपक्ष में रहते हुए भी है। सवाल पूछने की होलसोल एजेंसी हमारे पास है। किससे और कब और कितने में ली हमने ये एजेंसी और लोकतंत्र में ऐसी एजेंसी देने का हक किसी को नहीं है, सरकार को भी नहीं, ये पूछने का अधिकार भी किसी को नहीं। बड़ा आया सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार बकनेवाला। वहां से मिल जाए जवाब तो 100 रुपये मुझसे ले जाना। चल एक्स्ट्रा एक रुपय्या और दे दूंगा, तू भी क्या याद करेगा कि मिला था कोई दिलवाला! होगा यह संविधान के विरुद्ध, बट हू केयर्स  फॉर संविधान? हू  केयर्स फॉर संसद? हू केयर्स फॉर सुप्रीम कोर्ट? वी केयर फॉर गिविंंग भाषण और प्रॉमिसिंग डेढ़ लाख एंड अच्छे दिन टू एवरीबडी मतलब सबको।

हमें फासिस्ट भी कहोगे और इन सबका डर भी दिखाओगे? डबल स्टैंडर्ड? डबल स्टैंडर्ड अपनाने का भी एकमात्र अधिकार हमारा है। आज से नहीं 1925 से, जब संघ बना। डू यू नो हिस्ट्री? अरे हिस्ट्रीशीटर होते तो हिस्ट्री का पता होता! दिल्ली यूनिवर्सिटी की जाली मार्कशीट होती तो भी पता होता। लगता है देशद्रोही हो, जेएनयू पलट हो।

पता करके कुछ आएंगे नहीं, कहेंगे सर मैं आपसे एक, ओनली वन क्वेश्चन पूछना चाहता हूं। सर के पास खुद जवाब देने का समय नहीं है। हां, सवाल पूछने का टाइम जितना चाहो, है - कांग्रेस से, राहुल से, कम्युनिस्टों से और जो हमारे हत्थे पड़ जाए उससे। सवाल पूछने के लिए चाल, चरित्र और चेहरा होना चाहिए। शाह जैसी चाल, मोदी जैसा चरित्र और योगी जैसा चेहरा होना चाहिए। आप चाहें तो शाह की जगह मोदी, मोदी की जगह योगी और योगी की जगह किसी अन्य का नाम भी रख सकते हैं। बस होना चाहिए वह जिसकी चाल, चरित्र और चेहरा हो। सब मोदीजी जैसा और अमित भाई जैसा हो तो बल्ले।

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Published: 09 Sep 2018, 7:59 AM