फोटो मुद्दा नहीं है अमित भाई, मुद्दा पीएनबी घोटाला है और यह बहुत बड़ा मुद्दा है

अपना ज्ञान लोगों से साझा करते समय अमित शाह यह भूल गए कि यह पूरा मामला सिर्फ तस्वीर का नहीं है। यह देश के एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से 11 हजार करोड़ के गबन का मामला है।

फोटो: सोशल मीडिया
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रोहित प्रकाश

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के साथ दावोस में प्रधानमंत्री की तस्वीर सामने आने पर मचे सियासी घमासान पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सफाई में कहा है कि सार्वजनिक जीवन में किसी कार्यक्रम में कोई किसी के साथ बैठता है, तो ये मुद्दा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक फोटो को मुद्दा बनाना बहुत छोटी राजनीति है।

लेकिन अपना यह ज्ञान लोगों से साझा करते समय अमित शाह यह भूल गए कि यह पूरा मामला सिर्फ तस्वीर का नहीं है और न ही सिर्फ एक फोटो को मुद्दा बनाया जा रहा है। यह देश के एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से 11 हजार करोड़ के गबन का मामला है। यह मामला गबन करने वाले आदमी को भागने का मौका देने का है। यह मामला सरकार के पास घोटाले की जानकारी होते हुए भी उसे चलने देने का है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं करने का है। यह मामला पीएम मोदी द्वारा घोटालेबाज मेहुल चोकसी की आवभगत करने और उन्हें ‘मेहुल भाई’ कह कर बुलाने का है। यह मामला देश की बैंकिंग व्यवस्था में लोगों के घटते विश्वास का है। यह मामला देश के करोड़ों लोगों के भीतर छले जाने के पैदा हुए एहसास का है।

इस देश में हजारों किसान चंद हजार रुपए का कर्ज न चुका पाने की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। इस देश में मध्यवर्गीय परिवारों में किस्तें चुकाने को लेकर लगातार एक तनाव बना रहता है। इस देश के एक आम नागरिक को बैंक से छोटा-मोटा कर्ज लेने के लिए भी न जाने कितनी प्रक्रियाओं, जांच और दांव-पेच से गुजरना पड़ता है। एक किस्त की तारीख भी चूक जाने से इज्जत कर्ज की बलि चढ़ जाती है। वैसे देश में एक आदमी पूरी बैंकिंग व्यवस्था से खिलवाड़ करते हुए देश का हजारों करोड़ रुपए लेकर पूरी बेशर्मी से यह कहता है कि कर्ज चुकाने की जो भी संभावना थी वह घोटाले के उजागर होने से खत्म हो गई है। वह यह भी कहता है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक बैंक के इतिहास के सबसे बड़े संकट से बड़ी उसकी प्रतिष्ठा है जो घोटाले के सामने आने से धूमिल हुई है। यह मामला उसका है।

इस मामले को लेकर कई किताबें लिखी जा सकती हैं और उम्मीद है कि भविष्य में लिखी भी जाएंगी। पूरे मामले के सामने आने के एक सप्ताह के भीतर देश-विदेश के अखबारों, पत्रिकाओं, खबरिया और सोशल वेबसाइटों पर जितना लिखा गया है, उनको मिलाकर भी कई किताबें तैयार हो सकती हैं। अब तक जितनी भी जानकारी हमें मिली है वह चीख-चीख कर कह रही है कि आपकी पार्टी के राज में हमारे देश को खुलेआम लूटा गया है और यह लूट होने दी गई है और लुटेरों को आपकी सरकार ने आतिथ्य प्रदान किया है।

क्या अब भी यह मुद्दा आपको छोटा लगता है, अमित भाई? क्या सच में ‘बात का बतंगड़’ बनाया जा रहा है? इस घोटाले पर नीरव मोदी का बयान आने के बाद हम यह सोच रहे थे कि ‘चोरी और उस पर सीनाजोरी’ का मुहावरा उस पर पूरी तरह फिट बैठता है। अब आप तो ऐसी बात न कहें, अमित भाई।

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