विष्णु नागर का व्यंग्य: मोदीजी ने राफेल घोटाला नहीं किया, वे कर भी नहीं सकते !

इतनी बड़ी हैसियत के इतने बड़े आदमी, जिनका कुछ पता नहीं, कब देश में रहते हैं, कब विदेश में - क्या करोड़-दस करोड़-हजार करोड़ का घोटाला करेंगे? पद की गरिमा भी कोई चीज होती है या नहीं होती? होती है न! तब! मोदीजी ने एक बार भी - अपने वचनों से ही सही - पद की गरिमा गिरने दी है कभी?

फोटो: सोशल मीडिया 
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विष्णु नागर

बिल्कुल बेमतलब बात है कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में जबरदस्त घोटाला हुआ है। भला उस प्रधानमंत्री के राज में घोटाला कभी हो सकता है, जो न खाता हो, न खाने देता हो, सिर्फ़ योगा करता हो और करने देता हो! आप इसे बिगाड़ कर कहना चाहें तो कह सकते हैं, जो केवल-मात्र योगा को भोगा करता है, करवाता है। ऐसे 'परम ईमानदार' नेता की सरकार में - जिसकी पार्टी का अध्यक्ष उससे भी ज्यादा ईमानदार हो - घोटाला! छि: कितनी बदबू आ रही है, ये बात सुनकर भी! अरे राम मेरी तो नाक ही सड़ जाएगी इस बदबू से, कोई बचाओ मुझे! ऐसी गंदी बात आगे से मत करना मेरे सामने और करना हो तो मुझे पहले बता देना ताकि मैं यहां से चला जाऊं।

पिछले सत्तर साल में आई है कभी ऐसी ईमानदारों की सिरमौर सरकार? फिर भी कहते हो, हर विमान पर एक हजार करोड़ का घोटाला हुआ है? हे भगवान, हे अल्लाह, हे गॉड, तूने मुझे ये सब सुनने के लिए ही अभी तक जिंदा रखा है क्या? मरने क्यों नहीं दिया ऐसी बातें सुनने से पहले! मोदी-मोदी-मोदी मंत्र का जाप अब तो करना ही पड़ेगा, वरना उस मुए नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। मेरी वो जगह भी कोई  हड़प जाएगा। मोदी-मोदी, मोदी, मोदी। मोदीमोदीमोदी।अरे सब मिलकर गाओ रे, जपो रे जपो, मोदी-मोदी, हे श्री राम बचाना मुझे इस पाप से। शरण में ले लेना प्रभो, चाहे नरक भेज देना मगर इस पृथ्वी पर और उसमें भी भारतभूमि पर फिर आने का श्राप कभी मत देना। अगर भेजना ही चाहो तो इस बार सीधे अमेरिका में पैदा करना। आजकल तो ग्रीन कार्ड में भी झंझट ही झंझट है।

चलो मोदीमंत्र का जाप करके अब कुछ पवित्र हुआ, सांस में कुछ सांस आई।अरे अटल जी की कैबिनेट में रहे मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली नहीं, अरे जेटली नहीं, वो क्या सरनेम है उनका - हां, शौरी जी, आपने तो कुछ सोचा होता! प्रशांत भूषण का तो खैर रिकॉर्ड पहले से ही बहुत खराब है।

चलो मानने के लिए यह भी मान लेते हैं कि घोटाला हुआ! कितने का हुआ? 35000 करोड़ का हुआ!आप कहते हो, मोदीजी ने किया। मोदी जी कौन हैं? किसी ग्राम पंचायत के सदस्य हैं क्या? सरपंच हैं क्या? किसी नगरपालिका के अध्यक्ष, किसी नगरनिगम के महापौर हैं क्या? पुलिस चौकी के इंचार्ज हैं क्या? किसी विभाग के क्लर्क या सेक्शन आफिसर हैं क्या? बीडीओ, डिप्टी कलेक्टर, कलेक्टर, मंत्री-मुख्यमंत्री हैं क्या? क्या हैं देश के - प्रधानमंत्री हैं न! कोई छोटे-मोटे लल्लू टाइप पद पर तो नहीं हैं न! अब आए न लाइन पर। इतनी बड़ी हैसियत के इतने बड़े आदमी, जिनका कुछ पता नहीं, कब देश में रहते हैं, कब विदेश में -  क्या करोड़-दस करोड़-हजार करोड़ का घोटाला करेंगे? पद की गरिमा भी कोई चीज होती है या नहीं होती? होती है न! तब! मोदीजी ने एक बार भी - अपने वचनों से ही सही - पद की गरिमा गिरने दी है कभी? आप ऐसा कल्पना भी कर सकते हो कभी?

भाइयों-बहनों, गरीब मां के इस बेटे ने, इस चायवाले ने ऐसा किया कभी? वह  ऐसा कर सकते हैंं कभी? उनका खुला चैलेंज है कि कोई माई का लाल उनका एक भी भाषण दिखा दे, जिसमें एक भी शब्द पद की गरिमा के प्रतिकूल हो। उन्होंने एक भी काम किया हो कभी, कर्म से ही नहीं  बल्कि अपने वचनों से भी, जो पद की गरिमा को गिराता हो। विपक्ष एक भी उदाहरण दे दे, एक भी, तो अभी और यहीं भारत मां का यह लाल, यह लाड़ला, यह सपूत, यह भगत सिंह, यह चंद्रशेखर आजाद, अभी और यहीं फांसी पर चढ़ जाएगा। फंदा तैयार रखना रे भाइयों-बहनों। यह बात मैं उनकी तरफ से उनकी उपस्थिति में कह रहा हूं भाइयों-बहनों। उन्हें पुराना एक्सपीरियंस है फांसी के फंदे पर चढ़ने का। नोटबंदी के समय भी चढ़े थे या नहीं चढ़े थे? खुलेआम चढ़े थे कि छुपकर चढ़े थे? हुआ उनका एक भी बाल बांका और जो बाल पहले से आके-बांके थे, उनमें से एक भी सीधा हुआ? कोई चाहे तो पास आकर दूर से देख ले। उनकी चिंता करने की किसी को कोई जरूरत नहीं। वह स्वयं सक्षम हैं।

अरे ये प्रेसकांफ्रेसिये, ये तो सोच लेते कि वह घोटाला भी करेंगे तो पद की प्रतिष्ठा के अनुकूल ही करेंगे न! और क्या 35000 करोड़ का घोटाला उनकी पद की प्रतिष्ठा-गरिमा के अनुरूप नहीं है? फिर दिक्कत क्या है, सवाल क्या है, यही हमें और मोदीजी को समझ में आ रहा है। आपको भी समझ में नहीं आ रहा होगा। समझो इनकी चाल, ये चाहते हैं मोदीजी पद की प्रतिष्ठा गिराकर  घोटाला किया करें। ऐसा वह कभी नहीं करेंगे। न करेंंगे और भाइयों-बहनों और वह किसी को करने भी नहीं देंगे। उनका मानना है कि मनी के टर्म में, आलवेज थिंक बिग, डू बिग। देश की प्रतिष्ठा का सवाल है, उसके जगद्गुरुत्व की रक्षा का सवाल है, उसकी पुनर्प्रतिष्ठा का प्रश्न है। सबसे बढ़कर देशभक्ति का सवाल है। इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता और राहुल जी, राहुल जी की जानें, मोदीजी ऐसा नहीं करेंगे और न करने देंगे। अब घोटाले का बेंच मार्क 35000 करोड़ है। जो प्रधानमंत्री इससे कम का घोटाला करेगा, समझो पक्का देशद्रोही है और देश कभी ऐसे देशद्रोहियों को बर्दाश्त नहीं करनेवाला। सब सुन लें ध्यान से। देशद्रोही मुर्दाबाद, मोदीजी जिंदाबाद।

(इस लेखक के अपने विचार हैं। इससे नवजीवन की सहमति अनिवार्य नहीं है।)

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