यूपी के चुनाव में बीजेपी को बेचैन कर सकते हैं बिहार वाले साथी, कई क्षेत्रीय दल चुनावी मैदान में उतरने को आतुर

उत्त्तर प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव में भले ही देरी हो लेकिन बिहार के क्षेत्रीय दल वहां चुनावी मैदान में उतरने को लेकर आतुर दिख रहे हैं।

फोटो: IANS
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मनोज पाठक, IANS

उत्त्तर प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव में भले ही देरी हो लेकिन बिहार के क्षेत्रीय दल वहां चुनावी मैदान में उतरने को लेकर आतुर दिख रहे हैं। सबसे गौर करने वाली बात हैं कि इसमें तीन ऐसे दल भी शामिल हैं जो बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं।

बिहार में सत्तारूढ जनता दल (युनाइटेड), पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने न केवल चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, बल्कि चुनावी तैयारी भी प्रारंभ कर दी है। वैसे, माना जा रहा है कि बिहार के इन क्षेत्रीय दलों की यूपी में बहुत पहचान नहीं हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जातीय समीकरण को देखते हुए ये दल चुनाव में उतरने को लेकर व्यग्र हैं।


वीआईपी के प्रमुख और बिहार के मंत्री मुकेश सहनी पिछले दिनों यूपी पहुंचकर राज्य के विभिन्न स्थानों पर फूलन देवी की प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। उन्होंने हालांकि यूपी में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। एकबार फिर वीआईपी यूपी में ऐसे कार्यक्रम करने की तैयारी में जुटी हुई है।

इधर, एनडीए में शामिल जेडीयू ने भी यूपी चुनाव में उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है। जदयू के राष्ट्रीय अयक्ष बनने के बाद ललन सिंह ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी यूपी में चुनाव लड़ेगी और सीट भी जीतेगी। सिंह ने हालांकि यह भी कहा कि वे पहले एनडीए में शामिल दलों से बात करेंगे और जब भागीदार नहीं बनाया जाएगा तब पार्टी यूपी में अकेले चुनाव लडेगी।

जेडीयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार भी कहते हैं, " उनकी पार्टी की कोशिश होगी कि राजग में रहकर चुनाव लडे, लेकिन अगर बात नहीं बनती है तो जदयू अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है।"

इधर, भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं, " उत्तर प्रदेश के चुनाव में जदयू 2012 में भी चुनावी मैदान में उतरी थी और सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारी थी, लेकिन दो प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा सके थे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि "पहले की बात तो छोड दीजिए, अब तो योगी आदित्यनाथ का जमाना है।"


इधर, जीतन राम मांझी की पार्टी हम और चिराग पासवान की पार्टी भी यूपी चुनाव में हाथ आजमाने की तैयारी में जुटी है। पिछले दिनों हम के नेता और मंत्री संतोष मांझी यूपी पहुंचकर वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल भी चुके हैं।

कहा जा रहा है कि बिहार की सभी क्षेत्रीय पार्टियां की नजर जातीय मतदाताओं पर है। वीआईपी जहां निषाद मतदताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश में जुटे हैं वहीं जदयू भी 'लव-कुश' समीकरण के जरिए यूपी में पांव पसारने के जुगाड में हैें।

बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं, "यह कोई नई बात नहीं है, क्षेत्रीय दलों की पुरानी इच्छा- आकांक्षा रही है राजनीतिक विस्तार करने की और पहले भी अन्य राज्यों में चुनाव लड़ते रहे हैं। एनडीए घटक दलों और उनके नेताओं का बीजेपी सम्मान करती है, लेकिन गठबांन से परे उन दलों के राजनीति की अपनी स्वतंत्र वैचारिक लाईन भी है जिसके तहत वे दूसरे प्रदेशों में प्रचार के लिए जाते हैं जहां उनका प्रभाव नहीं होता है।"


उन्होंने दावा करते हुए आगे कहा, "लोकतंत्र में सभी दल और नेता चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सभी को न्याय, सम्मान, भागीदारी एवं सु²ढ़ कानून- व्यवस्था की बुनियाद पर जो 'सुशासन' स्थापित किया है, उनकी दुबारा रिकर्डतोड़ वापसी होगी और विपक्ष में कोई भी नहीं टिक पाएगा, यह लिखकर रख लीजिए।"

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Published: 09 Aug 2021, 2:53 PM