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जनतंत्र
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समता, समावेश और सद्भावना से ही भारत में प्रगति की मजबूत बुनियाद बनेगी
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राम पुनियानी का लेख: अगर BJP का पिछले दस साल का शासन ट्रेलर था तो अब क्या होगा?
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विष्णु नागर का व्यंग्य: मैंने कहा था या नहीं कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा?
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बहुत समानता है रामदेव और मोदी जी में, दोनों ही व्यक्तिवादी सिद्धांत के हिमायती
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योजना आयोग को फिर स्थापित करना भी चुनावी मुद्दा बने
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लोकतंत्र को सीधी राह पर लाने का क्या है उपाय?
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर सांप्रदायिक, विघटनकारी एजेंडे पर कर रही काम?
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आकार पटेल का लेख: हिंदू राष्ट्र में सिर्फ नाम ही बदलेगा, बाकी जो कुछ अभी हो रहा है, वो सब वैसे ही चलता रहेगा
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विष्णु नागर का व्यंग्य: तुम हमें सरकार दो, हम तुम्हें खून चूसने के और अवसर देंगे!
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जलवायु परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहा बोझ, दुनिया में बढ़ता जा रहा आर्थिक असमानता
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कांग्रेस के घोषणापत्र से क्यों परेशान है बीजेपी, क्या यह मुस्लिम लीग की सोच को प्रतिबिंबित करता है?
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