नीति आयोग के सर्वे ने मोदी सरकार की खोली पोल

नीति आयोग ने भारत में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को लेकर देश भर में सर्वे किया है। देश में नया कारोबार शुरू करना है तो तमाम जरूरी क्लीयरेंस और अनुमति के लिए कम से कम 118 दिन लगेंगे।

नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की रिपोर्ट
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नवजीवन डेस्क

आंकड़ों को लेकर की जाने वाली मोदी सरकार की एक और बाजीगरी का पर्दाफाश हुआ है। और ये पर्दाफाश किसी और ने नहीं, बल्कि नीति आयोग ने किया है। केंद्र सरकार ये दावा करती रही है कि जबसे नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली है तब से कारोबार सुगमता (ईज़ ऑफ डुइंग बिज़नेस) में इजाफा हुआ है। दावा रहा है कि 2014 के बाद से देश में कारोबार शुरु करने के लिए महज एक महीना या उससे कम समय लगता है। लेकिन नीति आयोग ने कारोबार सुगमता को लेकर देश भर में जो सर्वे किया है उसके नतीजे बताते हैं कि अगर देश में नया कारोबार शुरु करना है तो तमाम जरूरी क्लीयरेंस और अनुमति के लिए कम से कम 118 दिन लगेंगे। कुछ मामलों में तो अवधि 200 दिन तक भी है।

सोमवार को जारी किया गया नीति आयोग का सर्वे
सोमवार को जारी किया गया नीति आयोग का सर्वे

मोदी सरकार के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और कॉमर्स मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को ये रिपोर्ट जारी की। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस : एन एंटरप्राइजेज सर्वे ऑफ इंडियन स्टेट्स’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट के नतीजे चौंकाते हैं। मोदी सरकार अभी तक वर्ल्ड बैंक की वार्षिक कारोबार सुगमता रिपोर्ट में के रिपोर्ट के हवाले से कहती रही है कि भारत में कारोबार शुरू करने में मात्र 26 दिन लगते हैं। लेकिन इस दावे में कभी यह नहीं कहा गया कि विश्व बैंक यह रिपोर्ट सिर्फ दो शहरों- दिल्ली और मुंबई में हुए सर्वे के आधार पर बनी थी।

लेकिन नीति आयोग ने केंद्र सरकार के इन दावों पर पानी फेर दिया है। नीति आयोग ने आइडीएफसी इंस्टीट्यूट के साथ पूरे देश में ये सर्वेक्षण कराया। इस सर्वे की खास बात ये है कि इसमें सरकारी अफसरों की राय के बजाय कारोबार करने वाले लोगों की राय ली गयी है। वैसे इस सर्वे में अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप को शामिल नहीं किया गया है। सर्वे में तीन हजार से ज्यादा कंपनियों से बात की गयी। इस सर्वे से कारोबार सुगमता के लिए सरकार द्वारा अब तक किए गए उपायों की जमीनी हकीकत सामने आयी है।

नीति आयोग सर्वे की रिपोर्ट
नीति आयोग सर्वे की रिपोर्ट

सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक :

  • कंपनियों को जमीन अधिग्रहण में औसतन 156 दिन लगते हैं। इस मामले में सबसे कम दिन हिमाचल प्रदेश में लगते हैं, जहां यह काम 28 दिन में हो जाता है
  • पंजाब में 242 दिन और छत्तीसगढ़ में 213 दिन का वक्त लगता है।
  • निर्माण की अनुमति या परमिट पाने में औसतन 112 दिन का समय लगता है।
  • इस मामले में इस साल की विश्व बैंक की रिपोर्ट में निर्माण परमिट के लिए 190 दिन लगने की बात कही गयी थी। और इस मोर्चे पर कुल 187 देशों में भारत का नंबर 185 है।

नीति आयोग ने अपने सर्वे में कहा है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट में निर्माण अनुमति या परमिट हासिल करने के बारे में हकीकत नहीं बतायी गयी। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में निर्माण परमिट और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिलने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर दिया है। नीति आयोग ने ये भी कहा है कि अगर भारत को अपनी विकास दर दो अंकों में ले जानी है तो कारोबारी माहौल को सुधारना होगा।

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Published: 29 Aug 2017, 1:40 PM