वितमंत्री का मैनेजमेंट, स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन से 8 हजार दिया, सेस बढ़ाकर 11 हजार करोड़ वसूला

वित्तमंत्री ने अरुण जेटली ने स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन को फिर से शुरू कर राजकीय कोष पर 8 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ डाला और अगले पल ही सेस को 1 फीसदी बढ़ा कर 11 हजार करोड़ रुपए वसूलने का ऐलान भी कर दिया।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

वितमंत्री अरुण जेटली ने मोदी कार्यकाल के चौथा बजट को पेश कर दिया है। इस बजट से मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा करदाताओं को निराशा हाथ लगी है। अरुण जेटली ने 12 साल बाद स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन को फिर से शुरू करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 40 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलने से नौकरीपेशा करदाताओं को राहत मिलेगा। जिसके लिए सरकार के राजकीय कोष पर 8 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।

लेकिन यहां भी वित्त मंत्री खेल कर गए और एक हाथ से राहत देकर उन्होंने दूसरे हाथ से राहत को छीन भी लिया। उन्होंने ने अगले ही पल सेस को एक फीसदी बढ़ाकर 11 हजार करोड़ रुपए वसूलने का ऐलान भी कर दिया। यानी आय करदाताओं से सीधे तौर पर 3 हजार करोड़ रुपए का बोझ डाल दिया। पहले नौकरी पेशा के लोग 3 फीसदी सेस देते थे। अब 1 फीसदी के बढ़ने के बाद उन्हें 4 फीसदी सेस देना होगा। यानी अब नौकरीपेशा लोगों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।

40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ जेटली ने ट्रांसपोर्ट भत्ता और मेडिकल रीइंबर्समेंट की सहूलियत को खत्म कर दिया है। अभी तक 15 हजार रुपये तक का मेडिकल बिल हर वित्त वर्ष टैक्स फ्री होता रहा है। ट्रांसपोर्ट भत्ते के तौर पर कर्मचारियों को हर वित्त वर्ष 19200 रुपये की छूट मिलती थी। इस तरह से टैक्स छूट वाली आय की सीमा 5800 रुपये बढ़ जाएगी। यानी अब ढाई लाख नहीं, बल्कि 2 लाख 55 हजार 800 रुपये तक की सालाना आमदनी टैक्स फ्री होगी। किसको कितना फायदा मिलेगा यह इस बात पर नर्भर करता है कि वह कौन से टैक्स स्लैब में आता है।

2005 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस ले लिया गया था। उसके बाद से ही टैक्सदाता हर साल यह उम्मीद करते रहे कि इसकी वापसी होगी। इस साल स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी हुई भी तो मिलने वाली कई और सहूलियतों को खत्म कर दिया है। 

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